कृष्ण कुमार की मौत के एक महीने बाद भी परिवार को इंसाफ नहीं
फतेहपुर। करंट हादसे में जान गंवाने वाले विद्युत विभाग के एफआरटी कर्मचारी कृष्ण कुमार के परिवार की हालत आज भी बेहद दयनीय है। मौत को एक महीने से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन समझौते के तहत किए गए वादे अब तक अधूरे हैं।
समझौता सिर्फ कागजों में
धरना-प्रदर्शन और संघर्ष समिति के दबाव में प्रशासन ने लिखित समझौता किया था।
समझौते के मुताबिक –
- 10 लाख रुपये नकद (FRT की ओर से)
- 8 लाख इंश्योरेंस से
- 4 लाख जीएसएस से
- ईएसआई क्लेम के तहत 7 हजार की पेंशन
देने का आश्वासन दिया गया था।
लेकिन आज तक पीड़ित परिवार को एक रुपया भी नहीं मिला।
पिता की पीड़ा
कृष्ण कुमार के पिता ने कहा –
“मैं हर अफसर और नेता के दरवाजे जा चुका हूं। सबने वादे किए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। हम दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हैं।”
नेताओं और अधिकारियों के वादे
धरने के दौरान पूर्व विधायक नंद किशोर महरिया ने ऊर्जा मंत्री से मुलाकात कर जल्द मदद का आश्वासन दिलाया था।
वहीं आरएलपी नेता हनुमान बेनीवाल की पार्टी ने तत्काल 51 हजार रुपये की नकद मदद दी थी।
लेकिन सरकारी वादे अब तक पूरे नहीं हुए।
संघर्ष समिति का आरोप
संघर्ष समिति सदस्य एडवोकेट रामप्रकाश कारंगा ने बताया कि 9 सितंबर को समिति के प्रतिनिधियों ने विद्युत विभाग के अधिकारियों से दोबारा मुलाकात की थी। अधिकारियों ने सोमवार तक समाधान का आश्वासन दिया, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
विभाग का जवाब
इस मामले पर जब हमारी टीम ने फतेहपुर विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता से बात की, तो उन्होंने कहा –
FRT वालों से बात कर बता पाएंगे।
लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही सामने नहीं आई है।
बड़ा सवाल
- क्या समझौता सिर्फ धरना खत्म करने का हथियार था?
- दोषियों पर कार्रवाई का वादा सिर्फ भाषण और कागजों तक क्यों सीमित रहा?
- विभागीय जांच रिपोर्ट अब तक क्यों नहीं आई?