शिक्षाविद् मुरारी लाल महर्षि ने गुरु-शिष्य परंपरा का महत्व बताया
सीकर, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, जिला सीकर द्वारा गुरु पूर्णिमा महोत्सव का भव्य आयोजन भारती पुस्तकालय, बलराम नगर में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित शिक्षाविद् मुरारी लाल महर्षि ने गुरु-शिष्य परंपरा की भारतीय संस्कृति में भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि गुरु और शिष्य का संबंध केवल ज्ञान का नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण का मूल आधार होता है। मुरारीलाल महर्षि ने आषाढ़ पूर्णिमा के दिन शुकदेव द्वारा वेदव्यास को वंदन करने की परंपरा को संदर्भित करते हुए बताया कि राम, कृष्ण, चंद्रगुप्त, शिवाजी और विवेकानंद जैसे महान व्यक्तित्वों के पीछे उनके गुरुओं की प्रेरणा रही है।
संरक्षक पवन कुमार शर्मा ने अध्यक्षीय उद्बोधन में गुरु के प्रति सम्मान और श्रद्धा को शिक्षा की आत्मा बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में विद्यार्थियों को केवल जानकारी नहीं, बल्कि नैतिकता और सेवा भाव भी गुरुओं से सीखना चाहिए।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की वंदना और गुरु वंदन से हुई।
उल्लेखनीय प्रतिभागी:
- डॉ. सी.पी. महर्षि
- मुनेश कुमार शर्मा
- जयप्रकाश
- नरेश कुमार
- ब्रह्मानंद
- अनिल भारद्वाज
- मनोज कुमार
सहित अनेक विद्यार्थी और शिक्षाविद् उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन मुनेश कुमार शर्मा ने किया।