सीकर में महात्मा ज्योतिबा फुले शिक्षण संस्थान ने 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस का आयोजन किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. जितेंद्र देव ढाका, संस्थान सचिव डॉ. ओ पी सैनी, महिला अधिकारिता विभाग की नीलम कुमारी और एडवोकेट कृष्णा सोनी ने मां शारदे की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया।
छात्राओं द्वारा नाटक प्रस्तुत
सावित्रीबाई फुले पीजी महिला महाविद्यालय और सावित्रीबाई फुले शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की छात्राओं ने मानवाधिकारों पर आधारित दो नाटक प्रस्तुत किए।
इन नाटकों के माध्यम से मानवाधिकारों, समानता और सम्मान के महत्व को उजागर किया गया।
मुख्य अतिथि के विचार
डॉ. ढाका ने मानवाधिकारों का महत्व और इतिहास स्पष्ट करते हुए कहा:
- मानवाधिकार दिवस हर साल 10 दिसंबर को मनाया जाता है।
- यह विचार फ्रीडम और इक्वलिटी की फ्रांसीसी क्रांति से प्रेरित है।
- 20वीं सदी में विश्व युद्धों और हिरोशिमा-नागासाकी जैसी घटनाओं के बाद यूएनओ की स्थापना 1945 में हुई।
- यूएन ने 1948 में मानवाधिकारों की घोषणा की और इसे अक्षुण्ण बनाए रखने की आवश्यकता बताई।
उन्होंने यह भी बताया कि हंसा मेहता और लक्ष्मी मेनन जैसी भारतीय महिलाओं ने मानवाधिकारों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
साथ ही भाषा से होने वाले भेदभाव के खतरों पर भी उन्होंने प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का समापन और सहभागिता
कार्यक्रम में दोनों महाविद्यालयों के प्राचार्य, व्याख्यातागण और सभी छात्राएं उपस्थित रहीं।
समारोह का संचालन सरिता सैनी और निकिता जांगिड़ ने किया।
छात्राओं के नाटकों और मुख्य अतिथि के विचारों ने मानवाधिकार जागरूकता को नई दिशा दी।