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शेखावाटी विवि कुलगुरु ने ज्ञान सभा में बताए नवाचार, मोहन भागवत रहे मौजूद

Shekhawati University VC Anil Rai shares innovations at Kerala Gyan Sabha

शेखावाटी विवि कुलगुरु ने केरल ज्ञान सभा में साझा किए नवाचार

डॉ. मोहन भागवत बोले— शिक्षा का उद्देश्य आत्मनिर्भरता और आत्मज्ञान हो

सीकर, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा केरल में आयोजित राष्ट्रीय चिंतन बैठक और ज्ञान सभा में
शेखावाटी विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अनिल कुमार राय ने विश्वविद्यालय में किए जा रहे
नवाचारों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के सफल क्रियान्वयन की जानकारी दी।

आदि शंकरा निलयन और अमृता विश्वविद्यालय में हुआ आयोजन

यह दो दिवसीय कार्यक्रम आदि शंकराचार्य की जन्मभूमि कोच्चि स्थित आदि शंकरा निलयन में शुरू हुआ।
28 जुलाई को “विकसित भारत के लिए शिक्षा” विषय पर अमृता विश्व विद्यापीठम में भव्य ज्ञान सभा आयोजित की गई।

मंच पर प्रमुख हस्तियाँ

ज्ञान सभा के विशेष सत्र में मंच पर मौजूद रहे—

  • डॉ. मोहन भागवत (सरसंघचालक, आरएसएस)
  • डॉ. अतुल कोठारी (राष्ट्रीय संयोजक, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास)
  • डॉ. पंकज मित्तल (महासचिव, एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज)
  • कुलगुरु प्रो. अनिल कुमार राय (शेखावाटी विश्वविद्यालय)

कुलगुरु ने गिनाए शेखावाटी विवि के सकारात्मक प्रयोग

प्रो. राय ने अपने संबोधन में कहा कि—

शेखावाटी विश्वविद्यालय में एक साथ UG और PG स्तर पर NEP लागू करने के लिए
टास्क फोर्स गठित की गई, जिससे चरित्र निर्माण, व्यक्तित्व विकास और कौशल आधारित पाठ्यक्रमों पर बल दिया गया है।”

उन्होंने बताया कि विवि द्वारा शुरू की जा रही “वृद्ध वरदान योजना” के तहत
विद्यार्थी वरिष्ठ नागरिकों से संवाद और सेवा के आधार पर
2 अकादमिक क्रेडिट अर्जित कर सकेंगे।


मोहन भागवत का वक्तव्य – शिक्षा जीवन जीने की प्रेरणा हो

ज्ञान सभा में डॉ. मोहन भागवत ने कहा—

भारतीय शिक्षा प्रणाली केवल ज्ञान अर्जन तक सीमित नहीं है,
यह त्याग, सेवा और आत्मनिर्भर जीवन जीने की प्रेरणा देती है।”

उन्होंने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो
व्यक्ति को आत्मज्ञान और कौशल के साथ अपने दम पर जीवन जीने लायक बनाए।


शिक्षा नीति 2020 पर हुआ केंद्रित मंथन

कार्यक्रम में देशभर के शिक्षाविद्, विश्वविद्यालयों के कुलपति,
संस्थानों के निदेशक और नीति-निर्माण से जुड़े लोग शामिल हुए।

मंथन का उद्देश्य था—

  • शिक्षा में भारतीय दृष्टिकोण को पुनर्स्थापित करना
  • जमीनी बदलाव के लिए शिक्षकों और सरकार दोनों की साझा जिम्मेदारी तय करना
  • संस्कृति, मूल्य और कौशल आधारित पाठ्यक्रमों को बढ़ावा देना