Posted inSikar News (सीकर समाचार)

सिंहासन गांव में चारागाह बना हरियाली की मिसाल, मिला चारे का समाधान

Green fodder plants flourishing on pastureland in Sinhasan village, Sikar district, Rajasthan, developed under MGNREGA scheme.

मनरेगा योजना और ग्रामीण सहभागिता से बदली जोहड़ी की तस्वीर, गौशाला व आवारा पशुओं के लिए स्थायी चारे का इंतज़ाम

हरियाली की जीत: सिंहासन गांव में बंजर ज़मीन बनी चारागाह, पशुओं को मिला चारे का नया ठिकाना

सीकर, सीकर जिले के पिपराली ग्राम पंचायत स्थित सिंहासन गांव ने वो कर दिखाया है जो आज की ग्रामीण व्यवस्थाओं के लिए मिसाल बन सकता है। यहां की पिरोवाली जोहड़ी, जो कभी चारे की कमी और सूखेपन की मार झेलती थी, अब हरे-भरे चारागाह में तब्दील हो चुकी है।


मनरेगा से मिला नया जीवन

वर्ष 2024-25 में महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत सिंहासन में 10,000 पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इस काम की शुरुआत गड्ढों की खुदाई से हुई और धीरे-धीरे जनभागीदारी ने इसे आंदोलन में बदल दिया।


गौशाला और बैंक बने भागीदार

  • श्री रामदास गौशाला समिति और
  • पंजाब नेशनल बैंक ने भामाशाह की भूमिका निभाई।
    बैंक ने आर्थिक और भौतिक सहयोग देकर कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया।

अब तक लगाए गए 6500 पौधों में से 5500 पौधे पूरी तरह जीवित हैं और हरे-भरे रूप में विकसित हो चुके हैं।


सिंचाई और सुरक्षा का समुचित प्रबंध

  • नलकूप और ड्रिप सिंचाई प्रणाली से पौधों की नियमित देखभाल की जा रही है।
  • तारबंदी से सुरक्षा सुनिश्चित हुई है, जिससे अब कोई पशु इन पौधों को नुकसान नहीं पहुंचा सकता।

लाभ किसे मिला?

  • गांव के आवारा पशु
  • श्री रामदास गौशाला
  • और स्थानीय किसान
    इन सभी को इस हरे चारागाह से चारे का स्थायी स्रोत मिला है। इसके साथ ही यह पहल पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रही है।

क्या बोले ग्रामीण?

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यदि इसी तरह हर गांव में बंजर भूमि का हरित उपयोग किया जाए, तो

  • जल संरक्षण,
  • चारा संकट से मुक्ति
  • और पर्यावरण संतुलन जैसे कई उद्देश्यों की पूर्ति हो सकती है।