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राजस्थान में विलायती बबूल के उन्मूलन की राज्यव्यापी योजना शुरू

Rajasthan government launches plan to eradicate invasive Vilayati Babool

सीकर राज्यभर से विलायती बबूल (Prosopis Juliflora) के संपूर्ण उन्मूलन के लिए राजस्थान सरकार ने राज्यव्यापी कार्ययोजना की तैयारी प्रारंभ कर दी है। यह पौधा प्रदेश के पर्यावरण, चारागाहों और ग्रामीण भूमि के लिए गंभीर खतरा बन चुका है।

हर गांव में चलेगा उन्मूलन अभियान

वन एवं राजस्व विभाग के समन्वय से प्रदेश के प्रत्येक गांव में विलायती बबूल को हटाने का अभियान अभियान मोड में चलाया जाएगा। इसके लिए एक स्पष्ट और पारदर्शी दिशा-निर्देश जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि सभी संबंधित विभागों को मिलकर इस पौधे के प्रभावी और स्थायी उन्मूलन की दिशा में काम करना होगा।

कटाई की प्रक्रिया होगी सरल

दिलावर ने निर्देश दिए कि विभाग ऐसा आदेश जारी करें जिससे विलायती बबूल की कटाई के लिए बार-बार अनुमति लेने की आवश्यकता समाप्त हो जाए। इससे किसी प्रकार की वैधानिक बाधा या प्रक्रिया में विलंब न हो।

उन्होंने यह भी कहा कि परिवहन की अनुमति प्रणाली को सरल बनाया जाए ताकि इसके कोयले या लकड़ी के परिवहन में कोई दिक्कत न आए।

पर्यावरण और भूजल के लिए खतरा

दिलावर ने बताया कि विलायती बबूल एक आक्रामक विदेशी प्रजाति है, जिसकी जड़ें 30 फीट तक गहराई में जाती हैं और यह 15 मीटर तक पानी सोख लेती है। इससे भूजल स्तर में गिरावट, मृदा की उर्वरता में कमी, और देशी वनस्पतियों का क्षरण हो रहा है।

उन्होंने कहा, “यह पौधा राजस्थान के पारिस्थितिक संतुलन और जैव विविधता के लिए दीर्घकालिक खतरा बन चुका है।”

तीन वर्ष की दीर्घकालिक योजना पर जोर

मंत्री ने सुझाव दिया कि विलायती बबूल के पुनः उगने की प्रवृत्ति को देखते हुए राज्य सरकार को तीन से चार वर्ष की दीर्घकालिक कार्ययोजना बनानी चाहिए। इस योजना में वैज्ञानिक निगरानी, पुनरोपण और निगरानी प्रणाली को शामिल किया जाएगा।

विभागीय समन्वय पर बल

दिलावर ने स्पष्ट किया कि अभियान के दौरान यह सुनिश्चित किया जाए कि अन्य उपयोगी वृक्षों को कोई क्षति न पहुंचे। सभी विभागों के बीच आपसी समन्वय इस मिशन की सफलता की कुंजी होगा।


मंत्री का बयान

मदन दिलावर, मंत्री (राजस्थान) ने कहा —

“विलायती बबूल प्रदेश के पर्यावरण और चारागाहों के लिए गंभीर खतरा है। सभी विभाग मिलकर इसे उन्मूलित करेंगे ताकि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ और समृद्ध पर्यावरण मिल सके।”