सीकर में ग्रीष्म ऋतु को लेकर पशु उपयोग पर सख्ती
राजस्थान में गर्मी का प्रकोप बढ़ने के चलते अब दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक भारवाहक पशुओं जैसे घोड़ा, गधा, खच्चर, बैल, भैंसा आदि का उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है।
संयुक्त निदेशक पशुपालन डॉ. दीपक अग्रवाल ने दी जानकारी
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि तेज धूप में इन पशुओं को काम पर लगाने से हीट स्ट्रोक, निर्जलीकरण, थकावट और यहां तक कि मृत्यु की संभावना भी बढ़ जाती है। इसलिए पशु कल्याण को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
कानूनी प्रावधान भी लागू
- पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 3 के तहत पशु मालिक का कर्तव्य है कि वह अपने पशु को अनावश्यक पीड़ा से बचाए।
- 1965 के नियमों के अनुसार यदि तापमान 37°C से अधिक हो, तो दोपहर 12 से 3 बजे तक इन पशुओं का उपयोग वर्जित है।
- 2001 के नियमों के अनुसार 30°C से ऊपर तापमान पर पैदल परिवहन भी प्रतिबंधित किया गया है।
पशु मालिकों के लिए जरूरी सावधानियां
पशुपालकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पशुओं को:
- पर्याप्त छाया मिले
- ठंडा व स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो
- पौष्टिक चारा दिया जाए
जागरूकता फैलाने के निर्देश
पशुपालन विभाग द्वारा विभिन्न माध्यमों से पशु मालिकों को इन दिशा-निर्देशों के प्रति जागरूक करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
पशु कल्याण है प्राथमिकता
यह पहल पशु अधिकारों की रक्षा और जिम्मेदार पशुपालन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे न केवल पशुओं को राहत मिलेगी, बल्कि समाज में संवेदनशीलता भी बढ़ेगी।