पति की बीमारी और चार बच्चों की जिम्मेदारी ने तोड़ी मां की हिम्मत
चूरू, जिले के सबसे बड़े डीबी अस्पताल में नवजात की हत्या के मामले ने सनसनी फैला दी है।
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि मां गुड्डी देवी (40) ने ही अपने दो घंटे के बेटे का गला घोंटकर हत्या कर दी।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हत्या की पुष्टि
थानाधिकारी सुखराम चोटिया ने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गला दबाने से मृत्यु की पुष्टि हुई है।
इसके बाद पुलिस ने आरोपी मां के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
गुड्डी की बड़ी बहन मैना देवी ने कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई। रिपोर्ट के अनुसार, गुड्डी देवी ने
2 से 4 बजे के बीच बच्चे की हत्या की थी।
आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव बना कारण
रिपोर्ट में बताया गया कि गुड्डी देवी के पति ताराचंद को 10 साल पहले पैरालिसिस हो गया था।
घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी, जिससे गुड्डी देवी मानसिक तनाव में रहती थी।
पहले से चार बच्चों की मां होने के कारण वह परेशान थी और बार-बार कह रही थी —
“पति बीमार है, अब इस बच्चे को कैसे पालूंगी।”
वारदात की रात की पूरी कहानी
6 नवंबर की रात करीब 11 बजे गुड्डी को प्रसव पीड़ा हुई थी।
उसे डीबी अस्पताल लाया गया, जहां नॉर्मल डिलीवरी से बेटा हुआ।
डिलीवरी के कुछ घंटों बाद जब परिजन लौटे, तो बच्चा मृत मिला।
नवजात के गले पर दबाव के निशान देख परिजनों ने डॉक्टरों को दिखाया,
जिसके बाद डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित किया।
पुलिस और हॉस्पिटल की जांच
थानाधिकारी सुखराम चोटिया ने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद पुलिस टीम
अस्पताल पहुंची और वारदात स्थल का निरीक्षण किया।
उन्होंने कहा कि महिला का इलाज चल रहा है, डिस्चार्ज होने पर उसे गिरफ्तार किया जाएगा।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार,
“लेबर रूम में प्रसव के बाद परिजनों ने लंबे समय तक बच्चे को नहीं लिया, जिससे मामला संदिग्ध लगा।”
इसके अलावा, प्रसव के दौरान परिवार के पास कोई जांच रिपोर्ट या प्रेग्नेंसी रिकॉर्ड नहीं था।
निष्कर्ष
“चूरू का ये मामला एक बार फिर सोचने पर मजबूर करता है
कि मानसिक तनाव और सामाजिक दबाव किस हद तक किसी इंसान को तोड़ सकते हैं।
पुलिस जांच जारी है, और उम्मीद है कि
गुड्डी देवी को न्यायिक प्रक्रिया के तहत सजा मिलेगी,
साथ ही समाज में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए
मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीरता से काम किया जाएगा।
शेखावाटी लाइव के लिए चूरू से सुभाष प्रजापत की रिपोर्ट