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Shekhawati News: सीकर आगे, झुंझुनूं पीछे: प्रभारी मंत्रियों की रिपोर्ट

Sikar leads in governance under incharge minister, Jhunjhunu lags behind

प्रभारी मंत्री ही तय करते हैं योजनाओं और राजनीति की दिशा

प्रभारी मंत्री के प्रभावी नियंत्रण से मिलते है सरकारी योजनाओ के उत्कृष्ट परिणाम

शेखावाटी के तीन जिलों सीकर, चुरु ,झुंझुनू के प्रभारी मंत्रियों पर एक रिपोर्ट

शेखावाटी लाइव, रिपोर्ट डेस्क | सीकर/चूरू/झुंझुनूं सरकारी योजनाओं की सफलता और प्रशासन की जवाबदेही को तय करने में प्रभारी मंत्रियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
शेखावाटी के तीनों जिलों — सीकर, चूरू और झुंझुनूं — में हाल के महीनों में जो हालात बने हैं, वो इसका प्रमाण हैं।

सीकर: सक्रियता और प्रशासनिक पकड़ का उदाहरण

प्रदेश में शासन को संचालित करने के लिए जनता से निर्वाचित प्रतिनिधियों से बनी हुई सरकार होती है और इसके साथ प्रशासनिक अधिकारियों का एक तंत्र होता है जिसके सहारे ही पूरा शासन और प्रशासन संचालित होता है। सरकार संचालन के लिए मंत्रिमंडल होता है इसमें मंत्रियों के विभागों का बंटवारा होता है। सरकार की योजनाओ और प्रयासों का आम जनता को इनका कितना लाभ मिल रहा है इनका क्रियान्वयन सही तरिके से हो रहा है या नहीं हो रहा है इसके लिए प्रभारी मंत्री और प्रभारी सचिव जैसी व्यवस्थाएं जिला स्तर पर लागू की गई हैं। इसमें प्रभारी मंत्री की बात करें तो जिला स्तर पर अपने आप में यह पूरी सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रभारी मंत्री जब प्रभावी रूप से अपना काम करते हैं तो उसके परिणाम भी उच्च कोटि के ही देखने को मिलते हैं। शेखावाटी के तीन जिले सीकर चुरु झुंझुनू की बात करें तो इसमें सीकर के प्रभारी मंत्री संजय शर्मा है, वही चूरू और झुंझुनू दोनों ही जिलों के प्रभारी मंत्री की कमान अविनाश गहलोत के हाथ में है। अभी तक सरकार की जो योजनाएं सामने आई है उनके क्रियान्वयन का मामला हो या फिर कानून व्यवस्था का इसका फौरी तौर पर आकलन करें तो एक प्रभारी मंत्री के रूप में संजय शर्मा ने आम जनता के बीच भी गहरी पेठ बनाई है जिसका सीधा सा कारण है कि उनका दौरा महज कागजी नहीं होता वह धरातल पर जाकर जनता की समस्याओं से रूबरू होते हैं। जैसे पिछले दिनों बारिश के चलते फसलों को काफी नुकसान हुआ था और प्रभारी मंत्री संजय शर्मा ने सीकर जिले में लोगों के खेतों में जाकर फसल के नुकसान का जायजा खुद लिया था और मौके पर अधिकारियों को निर्देश भी जारी किए थे जबकि झुंझुनू से ऐसी कोई भी तस्वीर अभी तक सामने नहीं आई है। वह भी जब प्रभारी मंत्री स्वयं किसान जाति से आते है। बता दें कि सीकर के प्रभारी मंत्री हाल ही में चल रहे शिवरों का औचक निरीक्षण करने के लिए जब एक बार सीकर जिले में पहुंचे तो पूरे प्रशासनिक तंत्र में हड़कंप मच गया था और यह वाक्य था नीमकाथाना नगर परिषद में चल रहे शिविर का इसमें बिना किसी सूचना के अचानक प्रभारी मंत्री संजय शर्मा आ धमके तो शिविर के इंतजामों की पोल खुल कर सामने आ गई। इस औचक निरीक्षण मंत्री ने बाकयदा निजी वाहन का प्रयोग किया ताकि किसी को उनके दौरे की भनक भी नहीं लगे।

सेल्फी लेता मिला कर्मचारी प्रभारी मंत्री ने लगाईं लताड़

मंत्री संजय शर्मा ने अव्यवस्थाओं पर अधिकारियों को जमकर फटकारा

बता दे मंत्री संजय शर्मा जब नीमकाथाना में आयोजित शहरी सेवा शिविर का औचक निरीक्षण करने पहुंचे। शिविर में कई अव्यवस्थाओं का पता चला।
मंत्री के अनुसार, नगरपालिका हॉल में कोई फरियादी नहीं था, एईएन मोबाइल पर व्यस्त थे और एक बैंक कर्मचारी सेल्फी ले रहा था। एसडीएम-तहसीलदार भी शिविर में मौजूद नहीं थे। मंत्री ने अधिकारियों-कर्मचारियों को जमकर फटकार लगाई और सुधार के निर्देश दिए। बाद में मंत्री ने जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा को अव्यवस्थाओं सुधारने एवं नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। मंत्री ने मीडिया से कहा कि कुछ अधिकारी अपनी जगह छोटे कर्मचारियों को बैठा रखे थे, जिससे शिविर का उद्देश्य प्रभावित हो रहा है। संजय शर्मा ने बताया, शिविर का आयोजन जनता की समस्याओं के समाधान के लिए किया गया है, लेकिन कुछ कमियों के कारण यह उद्देश्य प्रभावित हो रहा है। मुख्यमंत्री कार्यालय को भी रिपोर्ट भेजी जाएगी। शिविर में मौजूद स्थानीय लोगों ने मंत्री की त्वरित कार्रवाई की सराहना की ।वही सोशल मीडिया पर मंत्री के औचक निरीक्षण की लोग जमकर तारीफ भी कर रहे हैं। जिसका वीडियो भी सोशल मिडिया पर जमकर वायरल भी हुआ तो लोगो ने कहा मंत्री संजय शर्मा ने दिखाया कि कैसे किया जाता है औचक निरिक्षण।

बानगी – प्रदेश में सीकर का बोलबाला झुंझुनू फिसड्डी

जिला रसद अधिकारी सीकर विजेंद्र पाल ने बताया कि 1 नवम्बर 2024 से प्रारम्भ गिव अप अभियान में अभी तक राजस्थान में 29 लाख 90 हजार 719 व्यक्तियों ने स्वेच्छा से खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ छोड़ा तथा सीकर जिले में 158140 व्यक्तियों ने स्वेच्छा से से खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ छोड़ा है।गिव अप अभियान में सीकर जिले में 686 अपात्र लोगों को नोटिस जारी किये गये, जिनसे वसूली की कार्यवाही जायेगी। गिव अप अभियान में अब प्रत्येक उचित मूल्य दुकान पर खाद्य विभाग के प्रवर्तन अधिकारी एवं प्रवर्तन निरीक्षक औचक निरीक्षण करने के साथ ही खाद्य सुरक्षा में चयनित अपात्र लोगों को नोटिस जारी करेंगे। प्रत्येक प्रवर्तन अधिकारी, निरीक्षक अब रोजना उचित मूल्य दुकानों पर पहुंचकर अपात्र व्यक्तियों की उचित मूल्य दुकानदारो के सहयोग से सूची तैयार करेंगे तथा वसूली एवं नोटिस संबंधी कार्यवाही भी करेंगे। खाद्य विभाग शीघ्र ही परिवहन विभाग से चार पहिया वाहन स्वामी का डाटा संकलित कर खाद्य सुरक्षा में चयनित अपात्र लोगों को नोटिस जारी करेंगे और वसूली की कार्यवाही की जायेगी।

हाल ही में झुंझुनू के दौरे पर आए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने खुद माना था कि खाद्य सुरक्षा के गिव अप अभियान में झुंझुनू जिला फिसड्डी ही साबित हो रहा है। राजस्थान के 41 जिलों में झुंझुनू 36 नंबर पर है और गोदारा ने अधिकारियों की बैठक में इस मामले को लेकर अधिकारियों को लताड़ भी लगाई थी। इसके साथ ही सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी को भी निर्देशित किया था कि पत्रकारों को हर तीन दिन से इसके डाटा सांझा किया जाए लेकिन इसके बावजूद अभी तक उनके निर्देश की पालना भी नहीं हुई है। इस स्थिति से साफ होता है कि प्रशासनिक तंत्र पर सरकार के जो राजनीतिक नुमाइंदे होते हैं उनका प्रभावी नियंत्रण नहीं है जिसके चलते राजस्थान सरकार और उसमें भी मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना गिव अभियान में भी अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं।

सीकर बनाम झुंझुनूं: गिव अप अभियान का अंतर

  • राजस्थान में 29.9 लाख लोगों ने खाद्य सुरक्षा योजना छोड़ी
  • सीकर अकेले 1.58 लाख लाभार्थियों ने स्वेच्छा से छोड़ा
  • झुंझुनूं: फिसड्डी प्रदर्शन, प्रशासनिक सुस्ती और रिपोर्टिंग में लापरवाही

राजनीति की ज़मीन भी प्रभारी मंत्री से तय होती है

प्रभारी मंत्री की नियुक्ति केवल प्रशासनिक नियंत्रण के लिए नहीं होती, बल्कि राजनीतिक और जातीय समीकरणों को भी साधने के लिए होती है।

प्रभारी मंत्री के बहाने जनता को साधने का भी होता है प्रयास

जिले के पर प्रभारी मंत्री प्रभावी नियंत्रण के लिए नहीं लगाए जाते बल्कि जिले की सामाजिक, राजनीतिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते भी लगाए जाते हैं। इसमें सीकर जिले में जो जिला मुख्यालय की विधानसभा सीट है उसे पर लंबे समय से ही राजेंद्र पारीक का दबदबा रहा है ऐसी स्थिति में भाजपा को वहां पर उन्ही की जाति के प्रभारी मंत्री को नियुक्त करके एक संदेश भी देना था इस प्रकार से सीकर जिले में दोनों स्तर पर पार्टी सफल हुई है लेकिन झुंझुनू और चुरू जिले की बात करें तो यहां की स्थिति कुछ अलग देखने को मिल रही है। बता दें कि चूरू में जहां कांग्रेस ने नगर परिषद में पायल सैनी को सभापति बनाया था जिसके बाद एक मैसेज सैनी समाज में गया था। इस को भी ध्यान में रहते रखते हुए अविनाश गहलोत को चूरू का भी प्रभारी मंत्री नियुक्त किया गया था। इसके अलावा झुंझुनू जिले की बात करें तो झुंझुनू जिले में सैनी जाति भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है विधानसभा चुनाव में इस जाति से कोई प्रतिनिधि चुनाव के मैदान में नहीं उतारा गया लेकिन तत्कालीन समय में जिला भाजपा की कमान बनवारी लाल सैनी के पास थी और प्रभारी मंत्री की नियुक्ति से डैमेज कंट्रोल को पाट दिया गया। अब भाजपा की कमान भी दूसरी जगह शिफ्ट हो गई है और अविनाश गहलोत जो प्रशासनिक रूप से प्रभावी नियंत्रण करने में असफल ही अभी तक साबित हुए हैं इनके सहारे झुंझुनू में आगे आने वाले निकाय चुनाव में भाजपा की वैतरणी को पार लगाना आसान नहीं होगा। वही सूत्रों की माने तो प्रभारी मंत्री चंद लोगों के प्रभाव में आकर ही झुंझुनू में काम कर रहे हैं जिसके चलते अभी तक वे निचले स्तर पर ना अपनी स्वजाति में और ना ही राजनीतिक नेतृत्वकर्ता के रूप में आम जनता में कोई प्रभाव छोड़ने में कामयाब हुए हैं लिहाजा दोनों ही तरह से यहां की स्थिति भाजपा के लिए अनुकूल नहीं है। जिसका खामियाजा भाजपा को आगे उठाना पड़ सकता है।

सीकर: सोची-समझी रणनीति

  • राजेंद्र पारीक की जाति से ही प्रभारी मंत्री संजय शर्मा की नियुक्ति
  • पार्टी को प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर मिला लाभ

झुंझुनूं: रणनीति फेल

  • सैनी वोट बैंक को साधने के लिए नियुक्त हुए अविनाश गहलोत
  • लेकिन ना प्रशासनिक पकड़ बनी, ना ही राजनीतिक प्रभाव
  • भाजपा की जिला कमान भी अब बदल चुकी है, जिससे डैमेज कंट्रोल असफल हो रहा है

“गहलोत साहब कुछ खास लोगों के इशारे पर ही सीमित रहते हैं, जिससे ज़मीनी पकड़ नहीं बन पा रही।” – स्थानीय सूत्र

निष्कर्ष: सक्रियता, नेतृत्व और ज़िम्मेदारी से तय होता है असर

जहां प्रभारी मंत्री सक्रिय, वहां योजनाएं सफल — यह सीकर ने साबित किया है।
वहीं झुंझुनूं और चूरू में राजनीतिक और प्रशासनिक पकड़ की कमी साफ दिखती है, जिसका खामियाजा भाजपा को आने वाले निकाय और विधानसभा चुनावों में भुगतना पड़ सकता है।