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लोहार्गल में मालकेतू बाबा की 24 कोसीय परिक्रमा 27 से शुरू

अमावस्या को शाही स्नान के साथ सम्पन्न होगी परिक्रमा

ठाकूरजी की पालकी करेंगी 24 कोसीय परिक्रमा की अगुवाई

उदयपुरवाटी, [कैलाश बबेरवाल ] लोहार्गल में स्थित अरावली की पहाड़ियों के मध्य मालकेतु बाबा की 24 कोसीय परिक्रमा 27 अगस्त मंगलवार की शाम चार बजे से शुरू होगी। लोहार्गल के खाकी अखाड़ा मंदिर के ठाकुरजी की सुर्य कूंड पर पूजा अर्चना के बाद परिक्रमा की विधिवत् शुरूआत होगी। परिक्रमा का समापन अमावस्या के मुख्य स्नान और लख्खी मेले से आगामी 4 सितंबर को होगा। परिक्रमा को लेकर परिक्रमा मार्ग पर ग्राम पंचायतों और स्वयसेवी संस्थाओं की ओर से तैयारियों को लेकर व्यवस्थाओं को आमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। परिक्रमा मार्ग पर रोशनी की व्यव्स्थाओं में प्रशासन से अधिक स्वयंसेवी संस्थाए लगी हुई है। 24 कोसी परिक्रमा में सीमावर्ती हरियाणा, पंजाब से भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु लोहार्गल आते है। धनश्यामदास महाराज खण्डेला की अगुवाई में परिक्रमा खाकी अखाड़ा मंदिर से रवाना होकर सर्व प्रथम लोहार्गल सुर्य कुंड पहुंचेगी। यहां गौ मुख से निकलने वाली जलधारा लेकर पूजन के बाद प्रसाद वितरण किया जाएगा। सूर्य मंदिर में भगवान सूर्यनारायण मंदिर के दर्शनों के बाद मालकेतु बाबा के जयकारों के साथ चिराणा, किरोडी, किरोडी घाटी कोटगांव, शाकभरी, सकराय नागकुंड, भगोआ, टपकेश्वर, शोभावती, खाकी अखाडा, नीमड़ी की घाटी, खोरी कुंड होते हुये वापस लोहार्गल पहुंचेगी। अमावस्या के मुख्य स्नान के बाद परिक्रमा का समापन होगा। ठाकुर जी की पालकी के साथ चलने वाले संत-महात्माओं ने बताया कि यूं तो श्रद्धालु अपनी सुविधा के अनुसार रात्री में लोहार्गल में विश्राम के लिए रूकेंगे, लेकिन संतों की अगुवाई में लोहार्गल से रवाना होने के बाद परिक्रमा का पहला पड़ाव चिराना की घाटी पार करने के बाद किरोड़ी में होगा। दूसरा पड़ाव शाकभरी के लिए बुधवार को सुबह आरती के बाद संतों की टोली किरोड़ी से रवाना होकर शाम करीब पांच बजे पहुंचेगी। रात्री में यहां संतो की ओर में भजनों के कार्यक्रम होगें। गुरूवार की सुबह माता की आरती और दर्शनों के बाद यहां से संत समुदाय रवाना होकर तीसरा पड़ाव शोभावती करेंगें। शुक्रवार को खोरी कूंड रघुनाथगढ़ में चौथा व अंतिम पड़ाव होगा।

ऐसे होंगे सात धाराओं के दर्शन

परिक्रमा को लेकर श्रद्धालुओं को यूं तो सात धारा अर्थात प्रकृति से स्वतः निकलने वाली जल की धाराओं के दर्शन व उनमें नहाने का लुत्फ मिलता आया है। हालांकि इस बार बरसात ठीक-ठाक होने से सात धाराओं के दर्शन भी सभी भक्तों को हो सकेंगें। शाकम्भरी माता की जलधारा तो पहले ही बंद हो चूंकी है। लोहार्गल के अलावा किरोड़ी, नागकुंड, टपकेश्वर महादेव, शोभावती व रघुनाथगढ़ के खोरी कुंड में श्रद्धालु प्रकृति का लुत्फ उठायेगें।

सात धाराओं में एक प्रमुख धारा है लोहार्गल

पंडित रामनरेश द्वारा लिखित लोहार्गल महात्मय के चौथे अध्याय की बात करें तो हजारों वर्ष पूर्व काशी नरेश ने प्राचीन सूर्यकुंड व सूर्य मंदिर को भव्य रूप दिया था। सूर्य मंदिर के अवधेशाचार्य व महामण्डलेश्वर अश्वनीदास महाराज ने बताया कि भीमकूंड के पास सूर्य मंदिर के पूर्व संतों व महंतो की चरण पादुकाएं है। पाडवों ने कुरुक्षेत्र में परिक्रमा के रूप में तीर्थो का भ्रमण शुरु किया। पांडवों को गौ हत्या के पाप से मुक्ति दिलाने वाला चमत्कार इस सूर्य क्षेत्र से हुआ व भीमसेन की गदा लोहार्गल के सूर्य कुंड में गल गई थी। गदा गलने से इस स्थान का नाम लोहार्गल धाम हो गया।

शिव की तपस्या से पाया किरोड़ी में स्थान

सप्तधाराओं में से दूसरी धारा कर्केटिका अर्थात किरोड़ी में है। यहां ठंडा व गर्म पानी के दो अलग-अलग कुंड है। इस तीर्थ को कोड तीर्थ बताया गया है। यहां कालांतर में कर्कोटक नाग ने भगवान शिव की तपस्या करके यह स्थान पाया था। यहां पर कौडेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन कर पाप राशि से मुक्ति मिलने की कीवदंती है।

साक से की मानव प्राणी की रक्षा

शाकंभरी माता में प्रकृति से निकलने वाली जलधारा बंद है, लेकिन मंदिर के महंत दयानाथ महाराज ने श्रद्धालुओं के लिए नहाने की व्यवस्था कर रखी है। महंत दयानाथ महराज के अनुसार कालांतर में अकाल पड़ गया था। मां जगदंबा ने अपनी स्नेहीमही दृष्टी से वनस्पती, फल, साक आदि पैदा करके प्रजा के प्राणों की रक्षा की। जिसके चलते सकराय में स्थित इस स्थान का नाम शाकंभरी देवी हुआ। यहां ब्रहमाणी व रुद्राणी की दो प्रतिमाएं विराजमान है।

नागकुंड चौथी व टपकेश्वर पांचवी धारा

परिक्रमा के मार्ग में सात धाराओं में से चौथी नागकुंड में है। शाकंभरी माता के मदिर के आगे दो किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ों के मध्य यह स्थान है।कालातंर में इस कुंड में हर समय नागदेवता विराजते थे।भगवान शंकर व नागदेवता के कारण इस स्थान का नाम नागकुंड पड़ा। कीवदंती के अनुसार इस स्थान से कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है व मोक्ष का द्वार पस्त होता है। पास में ही पांचवी धारा टपकेश्वर महादेव है। भगवान शंकर ने भगवान सुर्यनारायण का यह स्थान देकर स्वयं भी तप कर रहे हैं जिसके चलते यह स्थान तपकेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।

शोभावती छठी व खोरी कुंड सातवीं धारा

लोहार्गल में मालकेतु बाबा की चौबीस कोसीय परिक्रमा के मार्ग पर खाकी अखाड़ा के पास शोभावती छठी व रघुनाथगढ़ के खोरीकुंड सातवी धारा है। लोहार्गल के प्रमुख सूर्य मंदिर के अवधेशदास महाराज ने बताया कि शोभावती संज्ञापूरी है। यहा पर शोभाग्यवती संज्ञादेवी बड़वा (घोडी) बनकर अनवरत रूप से तपस्या की। संज्ञा देवी द्वारा शोभा बढ़ाने के कारण इसका नाम शोभावती है जो मुक्ति का मार्ग बताया गया है। वहीं भगवान विष्णु के द्वारा शुकर रूप धारण करके पृथ्वी तल पर घूमते हुए खुरों से उत्पन्न खुर अर्थात खोरीकुंड है। रघुनाथगढ़ में स्थित यह परिक्रमा मार्ग की सातंवी व अंतिम धारा है।

लोहार्गल पंचायत व्यवस्थाओं को दे रही है अंतिम रूप

बाबा मालकेतू की 24 कोसीय परिक्रमा को लेकर ग्राम पंचायत लोहार्गल विशेष भूमिका निभा रही है। लोहार्गल के सरपंच जगमोहन सिंह शेखावत व ग्राम विकास अधिकारी अनिल कुमार व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने में लगे हुये है। खाक चौक से सुर्य कूंड तक के सभी दुकानदारों से अस्थाई अतिक्रमण हटाने व साफ-सफाई व रोशनी की विशेष रूप से व्यवस्था करवा रहे है।

अलग-अलग शिफ्टों में 500 से अधिक पुलिस के जवान संभालेगें मोर्चा

24 कोसीय परिक्रमा को लेकर पुलिस व प्रशासन ने अपनी स्टडी पूरी कर ली है। गोल्याणा से लेकर लोहार्गल के सुर्य कूंड तक चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान सादा व वर्दी में निगरानी रखेगें। गोठड़ा थानाधिकारी कमलेश चौधरी ने बताया कि 27 अगस्त से 4 सिंतबर तक पुलिस के पांच सौ से अधिक जवान कानुन व्यवस्था संभालेगें। असामाजिक तत्वों पर पैनी नजर रखते हुये चोर गिरोह की भी धर पकड़ करने के प्रयास करेगें। साथ ही सीकर और झुंझुनू डीपो की ओर से अतिरिक्त बसों की व्यवस्थाए मेले के लिये की जायेगी। पंचायत व भामाशाहों के सहयोग से सीसीटीवी कैमेरे भी लगाये जायेगें।

कलेक्टर चिन्मयी गोपाल ने मेला मजिस्ट्रेट नियुक्त किये

24 कोसीय परिक्रमा को लेकर झुंझुनूं जिला कलेक्टर चिन्मयी गोपाल ने 27 अगस्त से 4 सितंबर तक लोहार्गल के सुर्यकुण्ड धाम में लक्खी मेले का आयोजन होने को मध्येनजर रखते हुए कानून एवं शांति व्यवस्था के संबंध में अधिकारियों को मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया है। सुर्य मंदिर के लिए नवलगढ उपखण्ड मजिस्ट्रेट को, कुण्ड के आस-पास मण्डावा तहसीलदार को, जाट धर्मशाला से लेकर सूर्य कुण्ड धाम तक नवलगढ तहसीलदार व नवलगढ विकास अधिकारी को, गौल्याणा के सम्पूर्ण क्षेत्र के लिए सूरजगढ तहसीलदार व नवलगढ के अधिशाषी अधिकारी को मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया है। वही अति. जिला मजिस्ट्रेट, (प्रशासन) झुन्झुनू को सम्पूर्ण समय के लिए मेला के नोडल मजिस्ट्रेट रहेंगे।

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