
झुंझुनूं जिले के गांव केहरपुरा खुर्द में पिचेतर वर्षीय बूढी लाचार माँ नानू देवी का बेटा सीताराम जांगीड़ पिछले बीस वर्षो से बेड़ियो में जकड़ा हुआ है। माँ नानूदेवी ने अपना दुखड़ा सामने रखते हुए बताया कि बेटा सीताराम बीस साल पहले कमाने के लिए मलेशिया गया था। वहाँ पर दिनरात एक करके उसने लगभग एक लाख रुपया उस समय पर कमाकर इकठ्ठा किया। वो पैसा एक धोखेबाज उसके साथी ने हड़प कर लिया। जिसके सदमे से सीताराम आज तक उबर नहीं पाया है। उस सदमे के कारण सीताराम ने अपना दिमागी संतुलन खो दिया। और आज तक उसको बेड़ियो में जकड़कर जीवन यापन करना पड़ रहा है। नानू देवी के चार पुत्रो में सीताराम तीसरे नंबर पर है। युवावस्था की देहलीज में कदम रखते ही सीताराम ने अपना मानसिक संतुलन जिसके चलते उनकी शादी नहीं हो पाई। वर्तमान समय में उसकी देखरेख की जिम्मेदारी बूढी माँ पर है। नानूदेवी की लाचार आँखों में आज भी आश दिखाई पड़ती है कि कभी न कभी तो उनके कलेजे का टुकड़ा बेड़ियो से आजाद हो पायेगा। नानू देवी ने बताया कि शुरुवात में तो उन्होंने कई डॉक्टरों को बेटे को दिखाया इसके अलावा झाड़ फूक करने वालो के पीछे भी खूब चक्कर लगाए। लेकिन किसी भी तरह का सुधार न होने पर वे थक हार कर बैठ गयी।वर्तमान समय में सिर्फ पांचसो रूपये की पेन्शन उनके मानसिक रूप से विक्षिप्त बेटे को सरकार की तरफ से मिल रही है। इसके अलावा उन्हें कोई सरकारी सहायता बेटे के इलाज के लिए नहीं मिल रही है। वो इस आश में आज भी बैठी है किसी दिन तो उनका बेटा बेड़ियो से आजाद होकर इस पाश्विक जीवन से मुक्त हो सके।