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जिला कलक्टर ने दिए पीसीपीएनडीटी अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के निर्देश

चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को

चूरू, जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा ने चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को पीसीपीएनडीटी अधिनियम की पूर्ण पालना करवाए जाने व उल्लंघनकर्ताओं के विरूद्ध कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। सीएमएचओ डॉ मनोज शर्मा ने बताया कि गर्भधारण पूर्व एव प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन अधिनियम, 1994 सशोधित अधिनियम जनवरी 2003 से प्रभावी है। अधिनियम का उद्देश्य प्रसव पूर्व लिग चयन के साथ गर्भधारण पूर्व लिग चयन को रोकना है।

पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत यह है अपराध

उन्होंने बताया कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत प्रसव पूर्व निदान तकनीक का अपंजीकृत संस्थान में सचालन, प्रसव पूर्व निदान तकनीक का लिंग जांच हेतु उपयोग,लिंग जांच को प्रोत्साहित करने वाले कोई भी विज्ञापन, अपंजीकृत संस्थानों को प्रसव पूर्व निदान तकनीक या लिग जांच करने में सक्षम उपकरणों का विक्रय तथा लिंग को निर्देशित करने वाले निर्देशक शब्द चित्र इत्यादि का प्रकाशन अपराध है।

यह है प्रावधान
सीएमएचओ डॉ शर्मा ने बताया कि पीसीपीएनडीटी अधिनियम, गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व भ्रूण की लिग जांच/निर्धारण को प्रतिषेधित करता है एवं लिंग जांच एवं कन्या भ्रूण हत्या से संबधित किसी भी प्रकार के विज्ञापन के लिए भी दण्डित करता है। अधिनियम के तहत पंजीकरण प्राप्त किए बिना कोई भी संस्थान प्रसव पूर्व निदान तकनीक का संचालन, सहयोग इत्यादि नहीं कर सकता। अधिनियम के तहत योग्यताएं न रखने वाले व्यक्ति की सेवाएं नहीं ली जा सकतीं। कोई भी व्यक्ति जिसमें प्रसव पूर्व निदान तकनीक का संचालक भी है, किसी भी प्रकार से भ्रूण की लिंग से संबंधित इशारे शब्द, इत्यादि के जरिये गर्भवती महिला, उसके पति या रिश्तेदार को भ्रूण की लिंग के संबंध में सूचित नहीं कर सकता। नियम 18 के तहत पंजीकृत संस्थाओं में काम करने वाले लोग आचरण संहिता की पालना करेंगे। लिंग जांच में सक्षम तकनीक रखने वाला कोई भी व्यक्ति या संस्थान किसी भी माध्यम से जिसमें इलेक्ट्रॉनिक व प्रिन्ट दोनों माध्यम आते हैं, गर्भस्थ शिशु की लिंग जांच से संबंधित विज्ञापन को किसी भी स्थान पर न जारी करेगा, न वितरित करेगा, न प्रचारित करेगा।
इसी के साथ मशीन पंजीकृत संस्थान के अलावा अन्य किसी को न बेचेगा, न वितरित करेगा, न किराये पर देगा, न आपूर्ति करेगा और ना ही किसी अन्य व्यक्ति को ऐसा करने हेतु अधिकृत करेगा।

पीसीपीएनडीटी अधिनियम के तहत यह रहेंगे दण्ड प्रावधान

उन्होंने बताया कि अपराध होने की स्थिति में पुलिस बिना वारण्ट गिरफ्तार कर सकती है। अधिनियम के अधीन अपराध की स्थिति में पुलिस जमानत पर अभियुक्त को नहीं छोड़ सकती। अधिनियम के तहत मुकदमे के दोनों पक्षकार मुकदमे को आपसी सुलह कर अभियोजन के लिए मना नहीं कर सकते है। व्यक्ति द्वारा अपराध करने पर अधिनियम की धारा 22 (1) व 22 (2) जो कि विज्ञापन से संबंधित है, का अपराध साबित होने पर 03 साल तक कारावास अथवा 10 हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति लिंग जांच के उद्देश्य से किसी गर्भवती महिला को भेजता है या लिंग जांच करने हेतु किसी सस्थान /व्यक्ति पर दबाव डालता है तो पहली बार में अपराधी साबित होने पर 03 साल तक का कारावास अथवा 50 हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों, दूसरी बार में अपराधी साबित होने पर 05 साल तक का कारावास अथवा 01 लाख रुपए जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि इस तकनीक का दुरूपयोग कर लिंग जांच करने वाले चिकित्सक का अपराधी साबित होने पर पहली बार में अपराधी साबित होने पर 03 साल तक का कारावास अथवा 10 हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों तथादूसरी बार में अपराधी साबित होने पर 05 साल तक का कारावास अथवा 50 हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकेगा।
शर्मा ने बताया कि भारत के राजपत्र 24 फरवरी, 2014 के अनुसार सभी पंजीकृत सोनोग्राफी केन्द्रों का प्रत्येक 90 दिन में 01 बार नियमित निरीक्षण संबंधित उपखण्ड समुचित प्राधिकारी द्वारा किया जाना आवश्यक है। जीपीएस सोनोग्राफी मशीन में लगा एक डिवाईस होता है, जिसके माध्यम से किसी भी सोनोग्राफी मशीन की लोकेशन का सत्यापन किया जा सकता है।

मुखबिर बनकर दे सकते है भ्रूण लिंग परीक्षण की सूचना

उन्होंने बताया कि भ्रूण लिंग जांच करने वाले केन्द्रों अथवा व्यक्त्तियों की सूचना सही पाये जाने पर राज्य सरकार की मुखबिर योजना में 03 लाख रूपये का इनाम देने का प्रावधान किया गया है। कोई भी व्यक्ति व्हाट्सएप नम्बर 9799997795 अथवा टोल फ्री नम्बर 104 व 108 पर भ्रूण लिंग जाच केन्द्र व व्यक्ति के बारे में सूचना दे सकता है। सूचना का विभाग की ओर से सत्यापन करवाया जाएगा। विभाग की ओर से डिकाय आपरेशन किया जाएगा। डिकाय आपरेशन के बाद मुखबिर योजना में एक लाख रूपये की राशि मुखबिर को, डेढ़ लाख रूपये की राशि गर्भवती महिला व 50 हजार रूपये की राशि गर्भवती महिला की सहयोगी को दी जाएगी। प्रथम किश्त डिकाय कार्यवाही पूर्ण होने पर तथा प्रकरण पंजीबद्ध होने पर मुखबिर को 50 हजार रुपए, गर्भवती महिला को 50 हजार व गर्भवती महिला की सहयोगिनी को 25 हजार रुपए दिए जाएंगे। दूसरी किश्त न्यायालय में अभियोजन पक्ष के बयान होने के बाद 50 हजार रुपए मुखबिर तथा 1 लाख गर्भवती महिला व 25 हजार रूपये गर्भवती महिला की सहयोगिनी को मिलेंगे।

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