शून्यकाल के तहत
चूरू, सांसद राहुल कस्वां ने संसद में शून्यकाल के तहत ग्वार, मोठ एवं ग्वारपाठा (Aloe Vera) की फसल को MSP में शामिल करने का मुद्दा उठाया। सांसद राहुल कस्वां ने सदन को बताया की भारत में मेरे लोकसभा क्षेत्र चुरू के साथ साथ नागौर, बीकानेर और हनुमानगढ़ जिले में ग्वार की सबसे ज्यादा पैदावार होती हैं | ग्वार से बनने वाले ग्वार गम की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत ही ज्यादा मांग रहती हैं | इसे दवाई बनाने के साथ साथ अमेरिका में जमीन से तेल निकलने के कार्य के लिए बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाता हैं | और इस फसल को लेने वाले अधिकतर किसान मेरे क्षेत्र से ही आते है | ऑफ सीजन में जब इसकी फसल पैदा नहीं होती उस समय इस फसल के भाव आसमान छूने लगते हैं, अभी हाल ही में ग्वार का भाव 15 हजार प्रति क्विंटल तक चला गया था | लेकिन फसल निकलने के साथ ही इसकी कीमत अत्यंत ही कम हो जाती हैं जो की लगभग 5000 या उससे भी कम हो जाता है, जिसकी वजह से हमारे क्षेत्र के किसानों को अत्यंत नुकसान उठाना पड़ रहा हैं | इसे साथ साथ मोठ भी एक मुख्य फसल हमारे क्षेत्र की हैं जिसके भाव में भी अत्यंत उतार चढाव का फायदा हमारे किसानों को नहीं मिल रहा हैं | हमारे क्षेत्र के किसानों द्वारा उन्नत किस्म का ग्वारपाठा भी पैदा किया जाता है और लगातार इसकी मांग बढ़ रही हैं। आज सबसे बड़ी समस्या यह आ रही हैं की इन तीनों फसलों हेतु सरकार द्वारा MSP की घोषणा नहीं की जा रही हैं जिसकी वजह से क्षेत्र के किसानों को अत्यंत नुकसान उठाना पड़ रहा हैं | अगर इन फसलों की MSP में शामिल किया जा कर न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की जावे व इनकी खरीद की जावे तो क्षेत्र के किसानों को अत्यंत ही लाभ मिलेगा। सांसद राहुल कस्वां ने सदन का ध्यान आकर्षित करते हुए मंत्री से निवेदन किया कि ग्वार, मोठ एवं ग्वारपाठा की फसल हेतु भी सरकार द्वारा MSP की घोषणा की जावे, ताकि क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ मिल सकें।