कॉलेज प्राचार्य डॉ केके वर्मा की अध्यक्षता में
सीकर, एसके राजकीय मेडिकल कॉलेज सीकर में राष्ट्रीय क्षय उन्नमूलन कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु गठित कोर कमेटी की प्रथम बैठक शनिवार को कॉलेज प्राचार्य डॉ केके वर्मा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में डब्ल्यूएचओ कंसल्टेंट डॉ रक्षा गुप्ता और डॉ खुशी ने कमेटी गठन के उद्देश्य से अवगत कराया। टीबी चेस्ट विभागाध्यक्ष के डॉ गणेशीलाल शर्मा ने मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत बनने वाले नये चिकित्सालय में सामान्य टीबी और गंभीर एमडीआर रोगियों हेतु पृथक से वार्ड बनाने की आवश्यकता व्यक्त की।
माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ भगवती चूड़ावत ने बनने वाले नये चिकित्सालय में टीबी जाँच इग्रा, एलपीए, लिक्विड कल्चर और डीएसटी की लैब स्थापित करने की आवश्यकता से अवगत कराया। सामुदायिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष डॉ आशीष बनर्जी ने टीबी में अर्ली डायग्नोसिस ,प्रॉम्प्ट ट्रीटमेंट और निरन्तर शोध कार्यों के महत्व से अवगत कराया । उन्होंने कहा कि सभी विभागों की फैकल्टी, रेजिडेंट्स, फील्ड मेडिकल ऑफिसर्स और अन्य स्टाफ की नियमित ट्रेनिंग का आयोजन उनके विभाग द्वारा करवाया जायेगा।
हड्डी एवं जोड़ रोग के विभागाध्यक्ष डॉ यूसुफ अली देवड़ा ने हड्डी जोड़ सर्जरी के दौरान संभावित टीबी का आभास होने पर टिश्यू की सीबीनाट जाँच करवाने पर बल दिया। डॉ अशोक कुमार विभागाध्यक्ष शिशु रोग ने बच्चों में कुपोषण और अन्य संभावितों में टीबी डायग्नोसिस हेतु गैस्ट्रिक लवाज और ब्रोंको अल्वेयलर लवाज करवाने पर जोर दिया। चर्म रोग विभागाध्यक्ष डॉ मदन बाटड़ ने त्वचा की टीबी को डियग्नोस करने के बारे में चर्चा की। मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ देवेंद्र दाधीच ने कॉमर्बीडीटी एचआईवी, डायबिटीज़, स्मोकिंग, कैंसर, इम्युनोसपप्रेसेंट ड्रग, डायलिसिस, सिलिकोसिस, एल्कोहोलिक, सीओपीडी और पोस्ट कोविड रोगियों की लक्षणानुसार सीबीनाट जाँच करवाने को कहा। पैथोलोजी विभागाध्यक्ष डॉ ममता मेहरा ने जनरल सर्जरी, नाक कान गला सर्जरी, हड्डी-जोड़ सर्जरी और मुख्यतः गायनी सर्जरी के दौरान संभावित टीबी का आभास होने पर एफएनएसी और बॉयोप्सी सैंपल को पैथोलोजी विभाग में भेजने का आग्रह किया।
विभागाध्यक्ष मनोरोग डॉ महेश चौधरी ने ड्रग एडिक्ट्स की टीबी जाँच और उपचाररत टीबी रोगियों की काउसलिंग और सायकोलॉजिकल सपोर्ट देने पर बल दिया।जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ विशाल सिंह ने टीबी मुक्त सीकर के लिये किये जा रहे प्रयासों, टीबी मुक्त ग्राम पंचायत/वार्ड अभियान, एक्टिव केस फाइंडिंग में अब तक कि प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने लक्ष्यों के मद्देनजर सभी विभागाध्यक्षों से अधिकाधिक संभावित टीबी रोगियों की जाँच करवाने, वर्तमान में देय उपचार पद्दतियों, यूडीएसटी और क्लोज कॉन्टेक्ट्स को टीपीटी देने को आवश्यक बताया। कॉलेज प्राचार्य डॉ के के वर्मा ने सभी विभागाध्यक्षों से अधिकाधिक संभावित टीबी रोगियों की सीबीनाट जाँच और पेशेंट सेंट्रिक केयर हेतु आपस मे सामंजस्य के कार्य करते हेतु निर्देशित किया।