राजस्थान की राजनीती के पुरोधा भैरों सिंह शेखावत बाबोसा की जन्म शताब्दी पर विशेष प्रस्तुति
जन्म शताब्दी विशेष पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत जन्म 23 अक्टूबर 1923
दांतारामगढ़, शेर ए राजस्थान पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत बाबोसा की जन्म शताब्दी वर्ष पर एक दिन, एक पुष्प, एक नमन, एक श्रद्धांजलि उन बाबोसा के नाम, जिन्होंने अपना सारा जीवन राजस्थान के लिए जिया। दिन तो और भी खूब आयेंगे, पर जन्म शताब्दी और कभी नहीं आएगी। भैरोंसिंह शेखावत के जन्म स्थान खाचरियावास में शेखावत का मंदिर व स्मारक बना हुआ है। भैरोसिंह शेखावत एक सम्मानित भारतीय राजनेता और देश के पूर्व उपराष्ट्रपति थे। भारतीय राजनीति में वह दक्ष और परिपक्व नेता के रूप में जाने जाते थे। विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट मैकनामरा ने शेखावत को ‘‘ भारत का रॉकफेलर‘‘ कहा था। उन्हें पुलिस और अफसरशाही व्यवस्था पर कुशल प्रशासन के लिए जाना जाता है। इसके अलावा भैरों सिंह शेखावत को राजस्थान में औद्योगिक और आर्थिक विकास के पिता के तौर पर भी जाना जाता है। राज्यसभा में उन्हें अतुलनीय प्रशासन और काम-काज के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नेताओं से सराहना मिली। भैरों सिंह शेखावत को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत के सबसे ऊँचे नेता के तौर पर संबोधित किया था।
बाबोसा का थानेदार से उपराष्ट्रपति पद तक का सफर आप का जन्म राजस्थान के सीकर जिले के दांतारामगढ़ तहसील के खाचरियावास में ठा. देवीसिंह के यहां माता बनेकंवर की कोख से धनतेरस के दिन 23 अक्टूबर 1923 को जन्म हुआ था । हाई स्कुल पास करने के बाद महाराजा काॅलेज में प्रवेश लिया किन्तु सन् 1942 में पिता की मृत्यु के बाद परिवार का बार आपके ऊपर आ गया और आप काॅलेज नही पढ़ पाये और आप ने पुलिस में थानेदार की नौकरी करली आप का विवाह सुरजकंवर के साथ हुआ,आपके एक पुत्री रतन कंवर है । देश आजाद होने के बाद आप नौकरी छोड़ राजनीति में प्रवेश किया और सन् 1952 प्रथम विधानसभा चुनाव उस समय अपनी पत्नी से दस रुपए उधार लेकर प्रथम विधानसभा चुनाव का परचा भरा और कांग्रेस के विद्याधर को 2833 मतों से हराकर दांतारामगढ के प्रथम विधायक बनें । किसे पता था यह नोजवान आगे चलकर राज्य का मुख्यमंत्री व देश का उपराष्ट्रपति बनेगा । भैरोंसिंह विधानसभा के ऐसे सौभागयशाली विधायक थे, जो पहली विधानसभा से लेकर ग्यारहवीं विधानसभा के सदस्य बनें रहने का गौरव हासिल किया है। अलबत्ता आपको सन् 1972 में पाँचवी विधानसभा का चुनाव जीतने का अवसर नहीं मिल पाया था। देश में इमरजेंसी लगाए जाने पर आपको 19 माह जेल में रहना पड़ा । आप 22 जुन 1977 में आप पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बनें सन् 1990 में दुसरी बार और सन् 1993 में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनें इसके बाद आप अगस्त 2002 में उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ा और आप 149 मतों से विजयी रहे । आपने 22 अगस्त 2002 में उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली और पुरे देश मैं राजस्थान का मस्तक गर्व से ऊँचा किया। आप ने सन् 2007 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा परन्तु विजय नही हो पाये और अस्वस्थ रहने लगे एवं 15 मई 2010 को इस दुनिया को अलविदा कह गए । ऐसे महापुरुष कभी मरते नही अमर हो जाते है ।
शेखावाटी लाइव के लिए लिखासिंह सैनी की दांतारामगढ़ से रिपोर्ट