रतनगढ़[नवरतन प्रजापत ] रामराज्य सरकार के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को मंत्री राजकुमार रिणवां को उनके निवास स्थान पर जाकर एक ज्ञापन सौपा। दिए ज्ञापन में भाईजी हनुमानप्रसाद पौद्दार अध्यात्म केन्द्र को खुर्द बुर्द होने से बचाने के बाबत निवेदन करते लिखा की रतनगढ़ शहर में धानुका कुए के सामने कल्याण पत्रिका के संपादक भाईजी हनुमान प्रसाद पौद्दार के नाम पर आध्यात्मिक केंद्र बना हुआ है। जो शहर के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है और यहां धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। लेकिन कुछ जमीनों का व्यापार करने वाले लोग इसे खुर्द बुर्द करने पर तुले हुए हैं। कृपया तुरंत प्रभाव से इसे रूकवाया जाए क्योंकि इस केंद्र की आस्था धर्म क्षेत्र के शिखर पुरूष भाईजी हनुमानप्र्रसाद पौद्दार के नाम से जुड़ी है कल्याण जैसी पत्रिका के संपादक श्री पौद्दार गीता प्रेस गोरखपुर के संस्थापक पौद्दार कवि, लेखक, भगत, चिंतक, राष्ट्रभक्त, समाजसेवी, स्वतंत्रता सेनानी, गौ भगत व उच्च कोटि के गृहस्थ संत थे। उन्होंने समाज में समानता व प्रेम का प्रचार प्रसार करने के लिए आजीवन परिश्रम किया। सुख दुख, लाभ हानि, यश अपयश, मान अपमान, आदि को भगवान की लीला मान कर जीवन जीने वाले भाईजी प्रात: स्मरणीय संत के रूप में याद किए जाते हैं। उनकी पहली रतनगढ में आध्यात्मिकता के प्रचार प्रसार हेतु अनेक प्रकार केंद्र कार्यरत है। उन्हीं में से एक अध्यात्मक केन्द्र है। लेकिन वर्तमान में ट्रस्टियों ने इस संपति को खुर्द बुरद करने के लिए लाडनू के प्रॉपर्टी कारोबारियों को पॉवर ऑफ पटोर्नी देकर शहर के लोगों की आस्था को बेचने का कुप्रयास किया जा रहा है। जो रतनगढ़ की जनता की भावना के साथ कुठाराघात है। साथ तही यह भी प्रश्र सामने आता है कि उक्त जमीन का पट्टा किसके नाम है। शुरू में किन लोगों ने ट्रस्ट का निर्माण करवाया। ट्रस्ट को चलाने के लिए इस जमीन पर पूर्व में करवाई गई दुकानों के निर्माण का रूपया वर्तमान में कहां है। वर्तमान में जो ट्रस्टी है उनको किन लोगों ने बिक्री करने का अधिकार दिया और उनके पास वर्तमान में क्या क्या अधिकार है। इसकी उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच करवाई जाए तथा जमीन की बिक्री पर रोक लगाई जाए। इस मामले को लेकर रतनगढ़ की जनता में भारी आक्रोश है। शीघ्र ही हमारी इस मांग पर ध्यान नहीं दिया गया तो शहर में बहुत बड़ा जन आंदोलन किया जाएगा। जिसकी समस्त जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होगी। उपरोक्त समस्या का बने रहना जनहितों के प्रतिकूल है। आशा और विश्वास है कि इस संदर्भ में समुचित कार्यवाई करते हुए रतनगढ़ की जनता के हित में निर्णय लेकर तुरंत प्रभाव से बिक्री पर रोक लगवायेंगे। हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वासहै। ज्ञापन पत्र हस्ताक्षर करने वालों में रामराज्य सरकार अध्यक्ष महेंद्रसिंह गोलसर, महेश शर्मा सारस्वत, राजेंद्रप्रसाद सैनी, रमाकांत लाटा, प्रवतसिंह ठठावता, विक्रमसिंह लोहा, सुरेन्द्रसिंह ठठावता, गिरवरसिंह हिरणा, रिछपाल प्रजापत, अरविंद, विनोद प्रजापत के हस्ताक्षर हैं।