झुंझुनूताजा खबरशिक्षा

चेंज मेकर लैब : सरकारी विद्यालय के बच्चे सीख रहे 3C मॉडल का उपयोग कर समस्याओं को हल करना

झुंझुनू, पिरामल फाउंडेशन व सहयोगी संस्था कनेक्टिंग ड्रीम फाउंडेशन द्वारा पिछले वर्ष झुंझुनू जिले के चयनित राजकीय आदर्श विद्यालयों में चेंज मेकर लैब परियोजना का शुभारंभ किया गया था जिसमे 50 विद्यालयों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया था । इस परियोजना में कक्षा 6 से कक्षा 8 तक विद्यार्थी एवं गणित, विज्ञान, एवं भाषा के शिक्षक शिक्षिकाओं ने अपने अपने विद्यालयों में चेंज मेकर बूटकैम्प का आयोजन कराया था। इस परियोजना के तहत बच्चों 3C मॉडल यानी कलेक्ट प्रोब्लेम्स, क्रिएट सलूशन, एंड क्रिएट इम्पैक्ट का उपयोग करना सीख कर विद्यालय व समुदाय में बहुत सारी समस्याओं को खोजकर उनको हल करने का प्रयास किया। इस प्रक्रम में बच्चों ने परियोजना आधारित शिक्षण को अपने स्थानीय संदर्भ में उपयोग करते हुए समस्याओं को खोजना, परस्पर सहयोग से हलो को ढूंढना, उन्हें लागू कर समस्याओं का समाधान करना सीखा था।

इस वर्ष चेंज मेकर बूटकैम्प के द्वतीय चरण में राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय मंडासी में पीईईओ बबिता राहड़, शिक्षिका अंजू व ज्योति कुमारी व गांधी फेलो प्रतिज्ञा कुमारी लाल व ऐश्वर्या के सहयोग से चेंज मेकर लैब का द्वतीय चरण का बूटकैम्प आयोजित किया गया जिसमे कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों ने सर्प्रथम स्वंय से समूह के रूप में विद्यालय की लगभग 250 से अधिक समस्याओं को भ्रमण कर खोजा, उसके बाद इन बच्चों ने स्वंय ही उन समस्याओं पर विचार विमर्श कर मुख्य समस्या को चुना और उसके हलों को लेकर बातचीत कर टीम के साथ साझा किया। बूटकैम्प के दूसरे दिन इन विद्यार्थियों ने खोजे गए हल को लागू करने की योजना बनाई और फिर उन्हें लागू किया। बच्चों ने गीले कचरे, पत्तिया, पेपर, फ़ूड वेस्ट आदि का निवारण करने हेतु कम्पोस्टिंग पिट्स (नेचुरल खाद) बनाये और सूखे कचरे के लिए कचरा पात्र को उपयोग करने हेतु सभी साथियों को जागरूक किया।

इसी तरह एक समूह ने जूते चप्पल रखने हेतु एक स्टैंड बनाने के बारे में कार्य करना शुरू किया है जिसे व्यय चीजों के माध्यम से बनाया जाएगा जिससे सभी बच्चे कंप्यूटर लैब में जाने से पहले अपने जूते चप्पल जुसमे रख सकें। वही दूसरी ओर एक समूह ने प्लास्टिक मुक्त विद्यालय एवं प्लास्टिक के पुनरुपयोग को लेकर विद्यालय में व्यय प्लास्टिक की थैलियां, बोतल आदि को इकठ्ठा कर उनकी ईको ब्रिक्स बनाई और उन्हें पौधों के चारो तरफ लगाया जिससे पौधों में नमी बनी रहे।

पिरामल फाउंडेशन के मोहम्मद अशगाल खान ने बताया कि ये बूटकैम्प बच्चों को एक लीडर के रूप में उनके स्थानीय संदर्भ में समस्याओं को देखने, उन्हें समझने, और उनको स्वंय से हल करने की प्रेरणा देता है। इस तरह की गतिविधियां करने से बच्चों में संचार, आत्मचिंतन, आत्मचेतना, टीम वर्क, वैज्ञानिक दृष्टिकोण जैसे कौशल विकसित होते हैं साथ ही बच्चों को प्रॉब्लम सॉल्वर बनने के अवसर प्रदान करते हैं। ये बच्चे विद्यालय की समस्याओं पर कार्य करने के उपरांत अपने समुदाय की समस्याओं को इसी 3C मॉडल के माध्यम से ढूढ कर उनके हलों पर कार्य कर रहे होंगे जिसमे शिक्षक शिक्षिकाओं की भूमिका एक मार्गदर्शक के रूप में होगी।

Related Articles

Back to top button