रतनगढ़, [सुभाष प्रजापत ] श्रीपंचमुखी बालाजी मंदिर परिसर में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन रविवार को कथा वाचक शंभुशरण लाटा ने माता सती के प्रसंगों पर विस्तार से प्रकाश डाला। महाराज ने कहा कि भगवान राम के आचरण को यदि हम जीवन में धारण कर ले, तो हमारा जीवन सुखमय बन जाता है। जीवन में व्यक्ति को कभी भी अभिमान एवं क्रोध नहीं करना चाहिए, ये दोनों ही व्यक्ति के पतन के कारण होते हैं। यदि हम नियमित भगवान की स्तूति करते हैं, तो ईश्या, क्रोध, अभिमान जैसे र्दुगुण स्वत: ही हमारे भीतर से निकल जाते हैं और मन भगवान की भक्ति की ओर अग्रसर होता है। राम नाम का स्मरण महामंत्र है, इसके जपने मात्र से ही हमारा कल्याण हो जाता है। महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन पुण्य कर्मों से मिलता है, इसलिए इसे व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए। उन्होंने रविवार को माता सती द्वारा अग्नि से अपने आपको जलाना, माता पार्वती के रूप में पुन: जन्म लेना, शिव-पार्वती विवाह जैसे प्रसंगों पर विस्तार से प्रकाश डाला। कथा के प्रारंभ में मुख्य यजमान राजेंद्र बणसिया दंपति ने व्यासपीठ की पूजा अर्चना की। इस अवसर पर अजय बणसिया, विवेक धनानिया, गिरधारी रिणवां, हरिशंकर, पंडित रामावतार पुजारी, कमल बणसिया, कुमार कौशल, तरुण बणसिया, सुभाष शर्मा, बिशनलाल गोरीसरिया, रामपाल फोगला, दिनेश जांगिड़, कुलदीप व्यास, जगदीश प्रजापत, सुरेशकुमार मुरारका, वासुदेव शर्मा, देवकीनंदन चोटिया, जुगलकिशोर प्रजापत, ओमप्रकाश जांगिड़, एडवोकेट रजनीकांत सोनी, पूर्णमल कम्मा, एडवोकेट विनोद नोहाल सहित काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।