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आफ्ताबे शेखावाटी का 154 वां सालाना उर्स कुल की रस्म के साथ सम्पन्न

सादगी से मनाया गया 6 दिवसीय उर्स

फतेहपुर शेखावाटी,[बाबूलाल सैनी] कस्बे में आस्था के मुख्य केंद्र आफ्ताबे शेखावाटी हजरत ख्वाजा हाजी मुहम्मद नजमुद्दीन साहिब सुलैमानी चिश्ती अल्फारूक़ी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह में 154वें सालाना उर्स का कुल की रस्म के साथ विधिवत समापन हुआ। दरगाह के सज्जादा नशीन व मुतवल्ली नसीरे मिल्लत हज़रत पीर गुलाम नसीर साहिब नजमी सुलैमानी चिश्ती अल फारूकी की सदारत में सादगी से होने वाले उर्स के पहले दिन 6 जून को शाम 6 बजे दरगाह के बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ा कर उर्स का विधिवत आगाज़ किया गया। उसी दिन देर रात दरगाह में मुख्य मज़ार सहित अन्य मज़ारों को गुलाबजल व केवड़े से ग़ुस्ल दे कर सन्दल पेश किया गया। 7 जून से रोजाना सुबह की नमाज़ के बाद क़ुरआन ख्वानी और खत्मे ख़्वाजगान का पाठ हुआ। 7 जून को ही शाम 6 बजे दरगाह के पूर्व सज्जादानशीन व मुतवल्ली हज़रत ख्वाजा पीर नूरुलहसन साहब के मज़ार पर पीर ग़ुलाम नसीर साहब व उनके पुत्र पीर ग़ुलामे नजम नजमी साहिब के हाथों से चादर पेश कर दुआए खैर की गई। दरगाह के सज्जादानशीन व मुतवल्ली द्वारा सोशल डिस्टेनसिंग व सरकारी गाइड लाइन के पालन हेतु लाइव स्ट्रीमिंग द्वारा दरगाह के फेसबुक पेज से क़व्वाली का सीधे प्रसारण की व्यवस्था की गई जिसके अंतर्गत पहले दिन 7 जून को दरगाह की शाही चौकी के क़व्वाल ग़ुलामे हुसैन जयपुरी ने जयपुर से अपने कलाम पेश किए। 8 जून को जोधपुर से क़व्वाल इरफान तुफ़ैल, और शौकत अंदाज़ ने भी ऑनलाइन इंटरनेट के जरिए अपनी हाज़िरी दी। 9 जून को शाम को जुबैर नईम अजमेरी ने जयपुर से अपनी क़व्वालियों से इंटरनेट पर लाइव स्ट्रीम के ज़रिए समाँ बाँधा और रात जलालाबाद यूपी से क़व्वाल सरफ़राज़ अनवर साबरी ने अपने दिलकश कलाम पेश किए। देर रात तक दरगाह के फेसबुक पेज पर लाइव स्ट्रीम के जरिए चली इस महफिले क़व्वाली में ख्वाजा हाजी मुहम्मद नजमुद्दीन साहिब सुलैमानी चिश्ती अल्फारूक़ी के गुरु हज़रत ख्वाजा शाह सुलैमान तौन्सवी र.अ के पोते ख्वाजा ग़ुलाम अल्लाह बख़्श साहिब पाकिस्तान से लाइव स्ट्रीम के जरिए मुख्य अतिथि रहे। इसी तरह 10 जून की शाम दिल्ली से क़व्वाल सुल्तान उस्मान नियाज़ी ने लाइव स्ट्रीम के ज़रिए अपने कलाम पेश लिए,और रात 10 बजे जोधपुर से देश के प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान मौलाना सय्यद नूर मियाँ लाइव स्ट्रीम के जरिए ख्वाजा हाजी मुहम्मद नजमुद्दीन साहिब सुलैमानी की जीवनी पर प्रकाश डाला, और साहिबज़ादा ग़ुलामे नज़म नजमी साहिब ने अपने दादा ख्वाजा हाजी नजमुद्दीन साहिब की शान में कलाम पढ़े, उनके साथ कराची पाकिस्तान से नातख्वां हस्सान बिन खुर्शीद, नागौर बासनी से मुहम्मद शरीफ बासनवी और हिम्मतनगर गुजरात से मुईनुद्दीन बुलबुले मुस्तजाब अपनी सुरीली आवाज़ में नातों और मनक़बतों के रंग बिखेरे। 11 जून को बडे उर्स मुबारक के मौके पर मुख्य मज़ार पर हज़रत पीर ग़ुलाम नसीर साहब व उनके पुत्र हज़रत पीर ग़ुलामे नजम नजमी साहिब ने सादगी के साथ क़दीमी शाही चादर पेश की और मुल्क के लिए दुआए खैर फरमाई। शाम 5:30 बजे क़व्वाल नदीम जाफ़र वारसी ने लाइव स्ट्रीम के जरिए क़व्वाली पेश की, और रात 10 बजे दरगाह की शाही चौकी ग़ुलाम हुसैन जयपुरी ने जयपुर से लाइव स्ट्रीम के जरिए रंग और कुल की महफ़िल पढ़ी जिसमें पाकिस्तान पंजाब स्तिथ ख्वाजा हाजी नजमुद्दीन साहिब सुलैमानी के गुरु ख्वाजा सुलैमान तौंसवी की दरगाह के सज्जादानशीन ख्वाजा अताउल्लाह साहब ने लाइव स्ट्रीम के ज़रिए पूरी दुनिया ए इंसानियत के लिए दुआ की। प्रोग्राम के अंत में साहिबज़ादा पीर ग़ुलामे नजम नजमी साहिब द्वारा शजरा ख्वानी की गई तथा सज्जादा नशीन मुतवल्ली पीर ग़ुलाम नसीर साहिब द्वारा फ़ातिहा ख़्वानी कर मुल्क में अमन चैन तरक़्क़ी व कोरोना वायरस से छुटकारे के लिए दुआ माँगी। 12 जून को कुल और फ़ातिहा ख्वानी की रस्म के साथ उर्स का विधिवत समापन हुआ। ज्ञात रहे कि उर्स की सभी रसूमात सज्जादानशीन व मुतवल्ली पीर ग़ुलाम नसीर साहिब की सदारत में ही सादगी से अदा की गई जिसमें किसी खासो आम जन को शिरकत की इजाजत नहीं थी।

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