अब के बरस तुझे धरती की रानी कर देंगे
मानसून में लहराएंगे 1 लाख 35 हजार पोधे
पर्यावरण संरक्षण को लेकर आगामी वर्ष की तैयारी में पहले से ही जुट गई है खेतड़ी वन विभाग की टीम
इस वर्ष 1 लाख 35 हजार पोधो का किया वृक्षारोपण
खेतड़ी(नरेंद्र स्वामी) अब के बरस तुझे धरती की रानी कर देंगे यह देश भक्ति गीत 80 के दशक की फिल्म क्रांति का है जिसमें मनोज कुमार और दिलीप कुमार ने अभिनय किया था यह गाना आज भी देशवासियों में देशभक्ति का जज्बा पैदा करता है। लेकिन इन दिनों जिले के खेतड़ी की चिरानी नर्सरी में इस गाने की धुन नरेगा कर्मियों के मुंह से सुनाई पड़ती है। चिरानी नर्सरी में वन विभाग के द्वारा नरेगा कर्मियों का एक विशेष दल पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधे तैयार कर रहा है पर्यावरण का संरक्षण करना भी अपने आप में एक देशभक्ति का ही कार्य है। वन विभाग के रेंजर विजय कुमार फगेडि़या के नेतृत्व में इन दिनों पर्यावरण संरक्षण को लेकर आगामी वर्ष की तैयारियां जोरों पर है नर्सरी में फलदार, फूलदार तथा छायादार पौधों की पौध तैयार की जा रही है। इस वर्ष मानसून राजस्थान में दस्तक देने जा रहा है उससे पूर्व ही खेतड़ी वन विभाग की टीम ने राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार वृक्षारोपण का अपना टारगेट पूरा कर आगामी वर्ष के लिए चिरानी नर्सरी में लाखों की तादाद में फलदार, फुलदार और छायादार पौधों की पौध तैयार करना आरंभ कर दिया है। रेंजर विजय कुमार फगेडि़या ने बताया कि राज्य सरकार व झुंझुनूं डीएफओ आरके हुड्डा के निर्देशानुसार 1लाख 35 हजार पौधों का वृक्षारोपण का टारगेट मिला था जिसे मानसून के आने से पूर्व ही पूरा कर लिया गया है 40 हजार से भी अधिक पौधे वन विभाग ने लगा दिए हैं इसके अलावा शेष पौधे अन्य विभागों एनजीओ, स्वयंसेवी संस्थाओं को वितरित कर दिए हैं। रेंजर विजय कुमार ने बताया कि आगामी वर्ष के लिए नरेगा कर्मियों व वन विभाग की टीम को लगाकर पॉलिथीन की थैली पौध तैयार किए जा रही है मानसून आने पर पौधे अंकुरित हो जाएंगे और वर्ष भर में पूरे पौधे वितरण के लिए तैयार हो जाएंगे जिन्हें वन्य अभ्यारण में कई स्थानों पर लगाया जाएगा।
देशी खाद का उपयोग कर तैयार की जा रही है पौध
पर्यावरण को हरा-भरा रखने के लिए फलदार ,फूलदार तथा छायादार पौधों की पौध तैयार करने के लिए वन विभाग की टीम के द्वारा देशी खाद का उपयोग किया जा रहा है। रेंजर विजय कुमार ने बताया कि आसपास के इलाकों से बकरियों की मिंगणी की खाद मंगवाई जाती है तथा जसरापुर के वन क्षेत्र से चिकनी मिट्टी व लाल मिट्टी मंगाई जाती है जिसका एक निश्चित अनुपात में मिश्रण कर घोल तैयार किया जाता है उसके बाद उस घोल को सुखाकर पॉलिथीन की थैलियों में भरा जाता है तथा उसमें पौधे लगाए जाते हैं।
ताइवान के बीज मंगवा कर तैयार किए गए हैं पपीता के पौधे
चिरानी नर्सरी में खेतड़ी वन विभाग की पौधशाला भी है जिसमें निरंतर वन विभाग की टीम द्वारा पौधे तैयार किए जाते हैं इस बार इस पौधशाला की खास बात यह रही कि 35 सो रुपए तोला का ताइवान के पपीता का बीज मंगाकर विशेष पौधे तैयार किए गए हैं जो खेतड़ी क्षेत्र के लोगों को काफी रास आ रहे हैं। ताइवान के पपीते का आकार काफी बड़ा और खाने में मीठा होता है, इसी के साथ हर्बल पौध भी तैयार की गई है जिसमें सालर, गूलर तथा अर्जुन जैसे पौधे सम्मिलित है।