जिला परिषद के सीईओ रामनिवास जाट के अनुसार
झुंझुनूं, भारत सरकार ने महात्मा गांधी नरेगा योजना की मार्ग-निर्देशिका में संसोधन करते हुए गांवों में व्यक्तिगत व सामुदायिक शौचालयों, सामुदायिक स्वच्छता परिसरों तथा ठोस व तरल कचरा निस्तारण के कार्यो को नरेगा में अनुमत कर दिया है।भारत सरकार के ग्रामीण ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 2 जुलाई को जारी राजपत्र अधिसूचना के अनुसार अब ग्राम पंचायतें अपनी अन्य योजनाओं में सामग्री का कंवर्जेंस करते हुए गांवों में कीचड़ निस्तारण हेतु सामुदायिक सोख्ता गड्ढे व कुओं के अलावा सीवरेज, सामुदायिक व विद्यालय शौचालयों का निर्माण नरेगा के बजट से करवा सकती हैं। जिला परिषद के सीईओ रामनिवास जाट के अनुसार योजना में इन कार्यों की छूट मिलने के बाद मनरेगा के श्रमिकों को गांवों के आबादी क्षेत्रों में शौचालय निर्माण, सोख्ता गड्ढों तथा नाला निर्माण के लिये भी नियोजित किया जा सकेगा। अब गांव की सफाई के इच्छुक लोगों को गांव में ही रोजगार मिलेगा तथा गांवों की सफाई की सरकार से शिकायत नही रहेगी। सीईओ जाट के अनुसार अब ग्राम पंचायतें स्वच्छता के नाम पर केवल इंटरलॉकिंग टाइल नही लगा सकेगी तथा ग्राम पंचायतों को प्राप्त अनुदानों की राशि को नरेगा के साथ कन्वर्जेंस करना अनिवार्य होगा। उल्लेखनीय है कि गत पांच साल के दौरान ग्राम पंचायतों को मिले कुल अनुदानों में से 50 प्रतिशत से अधिक राशि सी सी व इंटरलॉकिंग टाइल लगाने में खर्च कर दी गई, फिर भी गांवों में कीचड़ की समस्या जस की तस है। अब स्वच्छता के काम मे गांव के जॉबकार्ड धारक परिवारों को लगाना अनिवार्य कर देने पर कामों में पारदर्शिता आयेगी।