पीआरबी एक्ट 1867 की जगह लेगा आरपीपी एक्ट 2019
झुंझुनू, स्वतंत्रता के 7 दशक बाद तक भी हम अंग्रेजों के जमाने के बनाए हुए कानूनों से संचालित हो रहे हैं ऐसा ही एक कानून है जो कि समाचार पत्रों को संचालित एवं शासित करने के संबंध में बनाया गया था पीआरबी एक्ट 1867 अब केंद्र सरकार ने पीआरबी एक्ट 1867 की जगह नया बिल लाने जा रही है जिसका नाम है रजिस्ट्रेशन ऑफ प्रेस एंड पिरिडियोकल्स [आरपीपी बिल 2019 ] पत्रकारिता की जो स्थिति आज हमारे सामने हैं वह बहुत सारे परिवर्तन के दौर से गुजर कर आई है। वर्तमान संदर्भ में प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अलावा एक नया जो नाम जुड़ा वह है सोशल मीडिया । सोशल मीडिया का फैलाव जितना अधिक विश्वव्यापी है उतना किसी भी तंत्र का नहीं है लेकिन इसकी प्रमाणिकता को लेकर संशय रहता है। वहीं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिजिटल इंडिया की सोच लेकर आये तो यह भी अनुमानित था कि इस क्षेत्र में दूरगामी परिवर्तन देखने को मिलेंगे। संपूर्ण देश में अनेकों न्यूज़ वेबसाइट का दौर चल पड़ा। नया आरपीपी एक्ट 2019 में न्यूज़ पोर्टल के पंजीकरण का मसौदा तैयार किया जा रहा है। अखबारों की तर्ज पर ही न्यूज़ पोर्टल का भी पंजीकरण किया जाएगा इससे सबसे बड़ा फायदा तो पत्रकारिता के लिए समर्पित न्यूज़ पोर्टल संचालित करने वाले लोगों को मिलेगा। वैधानिक रूप से उनको रेजिस्टर्ड करने की एक प्रक्रिया हमारे सामने आने वाली है। सूचना प्रसारण मंत्रालय ने आरपीपी बिल 2019 के संदर्भ में हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए हैं जिनके लिए 30 दिन का समय दिया गया है, आपको बता दें कि 25 नवंबर 2019 को यह मसौदा सूचना प्रसारण मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला गया था। डिजिटल प्लेटफॉर्म के अंदर दिए जाने वाले समाचार इंटरनेट, मोबाइल या कंप्यूटर पर डिजिटलाइज्ड फॉर्मेट में ट्रांसमिट होने में सक्षम हर समाचार को इसके अंतर्गत रखा जाएगा। पंजीकरण प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक प्रेस रजिस्ट्रार जनरल का नया पद सृजित करने का भी इसमें प्रावधान किया गया है। वहीं यदि सूत्रों पर विश्वास करें तो अंग्रेजों के बनाए गए 152 पुराने वर्ष के इस कानून में बदलाव करने के लिए बहुत अच्छी तरीके से विचार करके मसौदा तैयार किया गया है। इससे पत्रकारिता के क्षेत्र में और अधिक निखार आयेगा। साथ ही इस फील्ड के अंदर काम करने वाले लोगों की प्रमाणिकता भी बढ़ेगी। अभी तक प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दो ही मुख्य धाराएं प्रचलित थी इनके अंदर अब एक तीसरा नाम और जुड़ चुका है जिसका नाम है वेब मीडिया या डिजिटल मीडिया। जिस तेजी से इंटरनेट का प्रसार लोगों में हुआ है उतनी तेजी से ही डिजिटल मीडिया के फैलने की असीम संभावनाएं हमारे सामने हैं। वर्तमान पीढ़ी की बात करें तो उसके पढ़ने की आदत धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। पढ़ने की आदत अब स्मार्टफोन चलाने में तब्दील होती जा रही है। ऐसी स्थिति में डिजिटल पाठकों की संख्या में बढ़ोतरी होना स्वभाविक है। इसी दूरदर्शिता का परिचय देते हुए भारत सरकार ने एक नया कानून लाने की जो तैयारी की है वह पत्रकारिता के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा। डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को केंद्र सरकार द्वारा सभी सुविधाए भी अन्य पत्रकारों की तरह ही उपलब्ध करवाई जायेगी।