“हम सदियों से रातों में लड़ते रहे उजाले के लिए
ये वो सुबह नहीं जिसकी आरजू लेकर चले थे।”
झुंझुनू, राष्ट्रीय साहित्यिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया ने भारत विभाजन की त्रासदी में मारे गये लाखों लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए विभाजन विभीषीका स्मृति दिवस पर कैलाश व्यास लीखवा की अध्यक्षता में संस्थान के कार्यालय सूरजगढ़ में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में भारत विभाजन की त्रासदी में मारे गए लाखों लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मास्टर रामस्वरूप सिंह, डॉ. प्रीतम सिंह खुगांई, कैलाश व्यास व धर्मपाल गांधी ने सभा को संबोधित किया। सभा को संबोधित करते हुए डॉ. प्रीतम सिंह व मास्टर रामस्वरूप सिंह ने कहा- 15 अगस्त को हम आजादी का जश्न मनाते हैं, मगर सच्चाई ये है कि आजादी हमें विभाजन की त्रासदी के रूप में मिली। 1947 में भारत माता के सीने पर जो विभाजन की लकीर खींची, वह जख्म कभी भर नहीं सकता। भारत का विभाजन इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी थी, जिसका दंश आज भी करोड़ों लोग झेल रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कैलाश व्यास लीखवा ने कहा- भारत का विभाजन मानव इतिहास की बहुत बड़ी त्रासदी थी। ये रक्त और आंसुओं से लिखी गई कहानी थी। 14 अगस्त को भारतीय इतिहास का सबसे मुश्किल दिन कहा जा सकता है। 1947 में इसी दिन भारत का भूगोल, समाज और संस्कृति सबका बंटवारा हो गया। हुकूमत के एक फैसले से लाखों लोगों की जान चली गई। करोड़ों लोग बेघर हो गये, अपने ही देश में बेगाने और शरणार्थी हो गये। विभाजन की त्रासदी को कभी भुलाया नहीं जा सकता। विभाजन के दौरान लाखों महिलाओं का अपहरण और बलात्कार हुआ। हजारों लड़कियों की रेप के बाद हत्या कर दी गई। धर्म के नाम पर निर्दोष लोगों के साथ खून की होली खेली गई। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने कहा- देश का विभाजन एक अमानवीय त्रासदी थी जो अपने साथ भारतवर्ष का दुर्भाग्य भी लेकर आई थी। विश्व इतिहास के किसी दौर में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं है कि आप आजादी के लिए संघर्ष करें आंदोलन चलाएं और जब आजाद हो तो खंडित हो जायें। विभाजन की त्रासदी में कुल कितने लोग मारे गए यह भारत-पाकिस्तान की सरकारों ने जानने की कोशिश नहीं की। हम हिंदू मुस्लिम की बात कर सकते हैं, मगर विभाजन की त्रासदी में मारे गए 15 लाख से ज्यादा लोग आजाद भारत का सपना देखने वाले अखंड भारत के निवासी थे। उन्हें नहीं मालूम था कि आजादी हमें तबाही के रूप में मिलेगी। कहा जा सकता है कि विभाजन की त्रासदी का दंश जो जनता ने झेला उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। रक्त की होली खेली गई, अत्याचार, बलात्कार, शोषण, शरणार्थी समस्या, रोजगार की समस्या आदि बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा, यहां तक कि नारी को बेचा गया, सांप्रदायिक दंगे, अलगाववाद, धर्म परिवर्तन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा।
“कितना खौफ़ होता है शाम के अंधेरों में,
पूछो उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते।”
कार्यक्रम में योगाचार्य डॉ. प्रीतम सिंह खुगांई, युवा जाट महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय मील, कैलाश व्यास लीखवा, मास्टर रामस्वरूप सिंह, पीएल कटारिया, इंद्र सिंह शिल्ला, राजेंद्र कुमार, सुदेश खरड़िया, भंवर सिंह शेखावत, धर्मपाल गांधी, रणवीर सिंह ठेकेदार, महिपाल तंवर, करण सिंह सैन, रवि कुमार, अंजू गांधी, रवि आसलवासिया, कपिल कुमार आदि अन्य लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम में विजय मील, धर्मपाल गाँधी और कैलाश व्यास लीखवा का सम्मान किया। विजय मील ने सभी का आभार व्यक्त किया।