खेत-खलियानताजा खबरसीकर

डीएपी के स्थान पर एसएसपी के उपयोग की सलाह

पर्याप्त सल्फर के कारण बेहद उपयोगी

सीकर, जिला कलेक्टर डॉ. अमित यादव की अध्यक्षता में कृषि विभाग में जिला स्तरीय रबी सीजन कार्यशाला आयोजित हुई। कार्यशाला में जिला कलेक्टर ने संबोधित करते हुए कहा कि जिले में रबी फसलों की बुवाई प्रारम्भ होने वाली है। उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को बुआई के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद,बीज की क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के माध्यम से उपलब्धता सुनिश्चित की जावें ताकि किसान अपना बुआई का कार्य कर सकें। उन्होंने कृषि में नवीनतम तकनीकों का प्रयोग कर अधिकाधिक फसल लेने का सुझाव दिया।

उप निदेशक कृषि विस्तार हरदेवसिंह बाजिया ने बताया कि जिले में अधिकांश कृषकों द्वारा डीएपी एवं यूरिया उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। सिंगल सुपर फॉस्फेट एक फॅास्फोरस युक्त उर्वरक है जिसमें 16 प्रतिशत फॅास्फोरस एवं 11 प्रतिशत सल्फर की मात्रा पाई जाती है। सल्फर के कारण यह उर्वरक तिलहनी फसलों एवं जीरे में अन्य उर्वरकों की अपेक्षा अधिक लाभदायक है। एसएसपी डीएपी के अपेक्षा सस्ता एवं बाजार मे आसानी से उपलब्ध है, प्रति बैग डीएपी मे 23 किग्रा फॉस्फोरस एवं 9 किग्रा नत्रजम पाई जाती है। फॉस्फोरस, नत्रजम एवं सल्फर उपलब्ध कराने के लिये डीएपी व सल्फर के विकल्प के रूप मे यदि एसएसपी यूरिया का उपयोग किया जाता है तो कम मूल्य पर अधिक पोषक तत्व उपलब्ध कराया जा सकता है। इसके लिये एक बैग डीएपी व 16 किग्रा सल्फर के विकल्प के रूप मे 3 बैग एसएसपी व 1 बैग यूरिया का प्रयोग किया जाता है तो कम मूल्य पर अधिक नाइट्रोजन फॉस्फोरस एवं सल्फर प्राप्त किया जा सकता है।

 उन्होंने बताया कि सरसो के दाने सूडोल बनाने व तेल की मात्रा एवं उत्पादन बढ़ाने तथा जीरे मे दाना मोटा, चमकिला एवं अधिक सुगंधित बनाने के लिए डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फॉस्फेट एवं यूरिया का उपयोग सस्ता एवं अधिक कारगर होता है। कार्यशाला में उप जिला प्रमुख ताराचन्द धायल, बीसूका जिला उपाध्यक्ष सुनिता गिठाला, संयुक्त निदेशक कृषि प्रमोद कुमार, उपनिदेशक हरदेवसिंह बिजारणियां, अग्रणी जिला प्रबंधक ताराचन्द परिहार, डीडीएम नाबार्ड एम.एल. मीणा, सहायक निदेशक उद्यान बनवारीलाल ढ़ाका सहित प्रगतिशील कृषकों ने भाग लिया।

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