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एक दशक बाद लक्षमनगढ विधानसभा क्षेत्र में फिर होगे महरिया व डोटासरा आमने-सामने

लक्ष्मणगढ़, [ बाबूलाल सैनी] विधानसभा चुनाव में एक दशक बाद दो दिग्गज नेता एक फिर आमने-सामने होंगे। 2013 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों के बीच मुकाबला हो चुका है तो अब 2023 में फिर चुनावी मैदान पर दोनों एक बार फिर अपने दांव पेच लगाएंगे। इस बार सियासत का सिकंदर कौन होगा यह 3 दिसंबर को पता चल पाएगा।

जाट बाहुल्य लक्षमनगढ विधानसभा क्षेत्र में मूल ओबीसी व अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है। जबकि मुस्लिम व स्वर्ण मतदाता भी निर्णायक है । ऐसे में जहां मुस्लिम मतदाता परम्परागत रूप से कांग्रेस के साथ माने जाते हैं। वहीं स्वर्ण मतदाताओं का ज्यादा झुकाव भाजपा की तरफ माना जाता है। ऐसे में मूल ओबीसी व अनुसूचित जाति चुनाव में अहम् भूमिका में मानें जा रहें। कौन किसके साथ जुड़ेगा राजनीति में कुछ भी कहा नहीं जा सकता है। भीतरघात, बगावत व असंतोष भी चुनाव में उभर कर सामने आने के कयास लगाए जा रहे हैं।

लक्ष्मणगढ़ विधानसभा चुनाव में एक दशक पूर्व 2013 में जहां भाजपा से पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया प्रत्याशी थें वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में गोविंद सिंह डोटासरा ने चुनाव लडा। उक्त चुनाव में डोटासरा ने अच्छे खासे मत हासिल कर शानदार जीत हासिल की । बाद में महरिया ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को अलविदा कह दिया तथा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लोकसभा का चुनाव लड़ा। तथा लोकसभा का चुनाव हारने के बाद महरिया ने कांग्रेस का दामन थाम लिया तथा 2018 के विधानसभा चुनाव में महरिया ने डोटासरा के सारथी बनकर चुनाव प्रचार किया ।जिसमें डोटासरा ने शानदार जीत दर्ज कर जीत की हैट्रिक बनाई तथा सरकार में शिक्षा, पर्यटन व देवस्थान विभाग के राज्य मंत्री बने तथा बाद में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में महरिया ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सीकर लोकसभा का चुनाव लड़ा तथा चुनाव हार गए बाद में महरिया पुनः भाजपा में शामिल हो गए तथा 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की पहली सूची में लक्षमनगढ विधानसभा क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी बनकर एक फिर एक दशक बाद डोटासरा के सामने मुकाबला करने के लिए आमने-सामने होंगे। हालांकि कांग्रेस की सूची अभी जारी नहीं हुई है। लेकिन लक्ष्मणगढ़ में कांग्रेस प्रत्याशी डोटासरा तय है । ऐसे में दोनों के बीच मुकाबला रोचक होने के कयास लगाए जा रहे हैं। इस बार चुनाव में महरिया जहां अपनी पुरानी हार का बदला लेकर सियासी हिसाब किताब बराबर करना चाहेंगे । वहीं डोटासरा एक बार फिर सियासी मात महरिया को देकर प्रदेश की सियासत में अपना वजूद और अधिक मजबूत करना चाहेंगे। यह तय करेंगे लक्षमनगढ विधानसभा क्षेत्र के मतदाता 23 नवंबर को जिसका परिणाम 3 दिसंबर को सामने आयेगा।

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