पूर्व जिला प्रमुख दामोदर प्रसाद शर्मा के 86 वें जन्मदिन पर विशेष
दांतारामगढ़ [प्रदीप सैनी ] एक ऐसा फकीर जिसे हर पल अपने गांव की चिंता सताती है जो जीवन के अंतिम पड़ाव पर भी हमेशा गांव की सेवा के लिए चितिंत रहता है। इस बुढ़ापे में ठीक से चलना फिरना भी नहीं होता इसके बावजूद मोबाईल से ही अधिकारियों व दानदाताओं से वार्ता कर गांव में कुछ न कुछ करवानें की ललक इस बुढ़ापे में लगी रहती है। हम बात कर रहे है पूर्व जिला प्रमुख दामोदर प्रसाद शर्मा की साधारण से व्यक्तित्व दामोदर प्रसाद शर्मा की होने को बेटी,बेटा बहु, पोता पोती, नाती सब कुछ है लेकिन धन दौलत से वे फकीर रह गए। दामोदर प्रसाद शर्मा का नाम आज कौन नहीं जानता प्रदेश के बढ़े राजनेता, उघोगपति, अधिकारी,डॉक्टर आज भी उनके पांव छूकर आशीर्वाद लेते है फकीरी उनके इस बात की कि वे सरपंच से लेकर जिला प्रमुख तक रह चुके लेकिन आज उनके पास बंगला गाड़ी तो दूर की बात रहनेे को स्वंय का साधारण मकान भी नहीं है। दांतारामगढ़ में जन्मे दामोदर प्रसाद शर्मा पचास सालों से सावंली में रह रहे है।
जीवन का सफर :
पूर्व जिला प्रमुख दामोदर प्रसा शर्मा का जन्म 1933 साधारण परिवार में हुआ। दांतारामगढ़ में उच्च शिक्षा ग्रहण कर सबसे पहले 1957 में कालाडेरा के सरकारी सीनियर स्कूल में प्राध्यापक रहे। पूर्व मंत्री डॉ.चन्द्रभान, महादेवसिंह खंडेला, विधायक रामलाल सहित अनेक राजनेता, डॉक्टर आदि बड़े लोग उनके शिष्य है। 1968 से 1978 तक दांतारामगढ़ न्याय पंचायत के अध्यक्ष रहे। यहां लम्बे समय से विधायक रहे नारायणसिंह का उन पर हाथ रहा तो वे 1981 से 1992 तक दांतारामगढ़ पंचायत समिति के प्रधान रहे। इसके बाद दामोदर प्रसाद शर्मा 1995 से 2000 तक सीकर के जिला प्रमुख रहे। तथा 2000 से 2005 तक जिला परिषद के सदस्य रहे। जबकि वे 1967 से अब तक वे श्री कल्याण आरोग्य सदन सांवली में समिति की ओर से दिए गए क्वार्टर में ही रह रहे है।
गांव के लिए हरदम चिंतित :
राजनीतिक पदों पर रहते हुए भी उन्होनें दांतारामगढ़ के विकास के लिए भरसक प्रयास किए बहुत कुछ दिलाया। और आज उम्र के इस आखिरी पड़ाव पर भी वे गांव व गांव वालों के लिए चिंतित रहते है। चाहे अस्पताल की समस्या हो स्कूल की हो पानी की हो सभी के लिए वे कस्बेवासियों से चर्चा करते रहते है और अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से बराबर सम्पर्क में रहते हुए उनका समाधान करवानें का प्रयास भी करते है। दांतारामगढ़ के अस्पताल में लेबौरेट्री, ईसीजी, लैबर रूम, एक्सरे मशीन उन्होनें भामाशाहों के सहयोग से दिलवाई है तथा अब तीन कमरों के निर्माण का बीड़ा उठा रखा है।
रह गए फकीर :
दामोदर प्रसाद शर्मा की सबसे बड़ी बात यह रही कि आज तक उन्होनें अपने लिए कुछ नहीं किया। उसका नतीजा है कि आज भी उनको फकीर इसलिए कहा जाता है इतने महत्तपूर्ण पदों पर रहते हुए न उनके पास गाड़ी है बंगला तो दूर की बात स्वंय का साधारण मकान तक नहीं है। और विगत पचास सालों से श्री कल्याण आरोग्य सदन सावंली की ओर से दिए गए क्वार्टर में ही अपना जीवन यापन कर रहे है यहां तक की अपने पुत्र के लिए भी उन्होनें को लाभ नहीं उठाया और पुत्र भी उनके साथ ही रहकर साधारण व्यवसाय कर रहा हैं।
राजीव गांधी से मिले :
पूर्व जिला प्रमुख दामोदर प्रसाद शर्मा को राजनीति में लाने का श्रेय कांग्रेस के दिगगज नारायणसिंह का रहा। दामोदर प्रसाद शर्मा बड़े राजनीति लोगों के सम्पर्क में रहे। जब निवर्तमान प्रधानमंत्री राजीव गांधी दांतारामगढ़ आए तो उस समय प्रधान रहते हुए उन्होनें पंचायत समिति में पौधारोपण करवाया तथा अकाल राहत के तहत अनेक कार्य मंजूर करवाए। बद्रीनारायण सोढ़ानी के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिय़ा, भैंरोसिंह शेखावत आदि से भी अच्छे सम्बन्ध रहे।
गांव ने बहुत कुछ दिया:
दामोदर प्रसाद शर्मा कहते है कि आज में जो कुछ भी हूं गांव वालो की वजह से हूं। गांव के लोगों के सहयोग से ही इस मुकाम तक पहुंच पाया। इसलिए मेरा भी फर्ज बनता है कि मैं अंतिम समय तक गांव के लिए कुछ करता रहूं।