चौबीस साल से बिस्तर पर पड़ी लाचार बेटी को मिल रही थी पांचसो रूपये की पेंशन
आठ महीने से वह भी है बंद
पटवारी ने लड़की के भाई व पिता को थप्पड़ मारने की बात कहकर निकाला पंचायत कार्यालय से बाहर
लड़की का पिता ऊंट गाड़ा चलाकर करता है मजदूरी
प्रार्थना पत्र भी फाड़ डाला पटवारी ने
छोटे छोटे कामो के लिए भी पटवारी विनोद मीणा को चढ़ानी पड़ती है भेट
ग्राम पंचायत सरपंच बना धृतराष्ट्र
वर्तमान समय में आए दिन हमें सुनने को मिलता है कि बेटियां माता पिता पर बोझ नहीं है वर्तमान की बेटियों ने यह चीज साबित करके भी दिखा दी है कि बेटियां पिता पर बोझ नहीं है। लेकिन शारीरिक या मानसिक अक्षमता के कारण कोई बेटी यदि माता-पिता पर बोझ बन जाती है बावजूद इसके पिता उसको बोझ नहीं मानता। लेकिन आज हम आपको बतायेगे की बोझ क्या होता है कभी कभी हमारे जनप्रतिनिधि व सरकारी कर्मचारी भी बोझ बन जाते है। ये लोग जनता पर तो बोझ होते है ही साथ ही सिस्टम पर भी बोझ बन जाते हैं और सरकार कितनी ही संवेदनशील क्यों न हो इन लोगो को उसे भी अपनी पीठ पर लादकर घसीटना ही पड़ता है। ऐसे ही एक वाक्ये से हम आपको रूबरू करवाना चाहते हैं जिसमे ग्राम इस्लामपुर का पटवारी तो एकदम नाकारा साबित हो ही चूका है। साथ ही गांव की नुमाइंदगी करने वाला सरपंच भी पंचायत में धृतराष्ट्र बना बैठा है। यदि सरपंच अपने गांव के लोगों की जायज रहनुमाई नहीं कर पाए तो उसका जनप्रतिनिधि कहलाना बेकार है। वैसे हम बात कर रहे हैं इस्लामपुर ग्राम पंचायत के पटवारी विनोद मीणा की जिनकी आत्मा तो मर चुकी है ही साथ में वह सिस्टम पर बोझ भी बन चुके हैं। जी हां पूरा माजरा क्या है यह हम आपको बताते हैं इस्लामपुर निवासी शंकरलाल सैनी की शारीरिक और मानसिक विकलांग 24 साल की बेटी है जो जन्म से आज तक खाट पर ही पड़ी रहती है, ना मानसिक रूप से और ना ही शरीरिक रूप से वह सक्षम है। वही पिता शंकर लाल ऊंट गाडा चलाकर मेहनत मजदूरी कर गुजर बसर कर रहा है साथ ही जितना संभव हो वह खाट पर लाचार पड़ी अपनी लाडो की देखभाल भी करता है। सरकार की तरफ से सहायता के नाम पर मजबूर पिता की मजबूर बेटी को 500 रु महीने की पेंशन मिल रही थी जो भी अब बंद हो चुकी है। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यह पेंशन पोस्ट ऑफिस के खाते में आती थी जहां से उसको बंद कर दिया गया और बताया गया कि अब आप को बैंक से मिलेगी। बैंक में जब इसकी माँ के खाते से अटैच किया गया तो उसके कुछ समय बाद ही इनको यह जानकारी दी गई कि पेंशन खुद पेंशन धारी के बैंक अकाउंट में ही मिलेगी। ऐसी स्थिति में मंदबुद्धि शारीरिक रूप से अक्षम बेटी का खाता खुलवाने के लिए पिता शंकर लाल ने कइयों के आगे हाथ पैर जोड़े तब जाकर बैंक में खाता तो खुल गया लेकिन इसके बावजूद भी आज 8 महीने से इस बच्ची को पेंशन प्राप्त नहीं हो रही है। जब बंद पेंशन को शुरू करवाने के लिए लड़की का भाई पटवारी से साइन करवाने गया तो पहले तो उसे कई दिनों तक चक्कर कटवाए उसके बाद शुक्रवार पांच जुलाई को जब ग्राम पंचायत में पटवारी के सामने दरख्वास्त रखी तो उसने साइन करने से मना कर दिया और कारण पूछने पर थपड़ मार देने की बात कही। थपड मारने की बात का कारण पूछने पर लड़के व उसके पिता को ग्राम पंचायत से बाहर निकलवा दिया। मजे की बात तो यह देखिए इस दरमियान पटवारी ने जब बच्चे को थप्पड़ मारने की बात कही उस समय इस्लामपुर ग्राम पंचायत का सरपंच आसाराम भी उसी टेबल पर मौजूद था बावजूद इसके वह चुप हो गया और जब पीड़ित ने मोबाइल से वीडियो बनाना शुरू किया तो उलटे लड़के को धमकाने लगा। वहा पर उपस्थित पटवारी के दलालो ने एक बार उस लड़के के हाथों से मोबाइल भी छीन लिया। इस मामले में जिला कलेक्टर रवि जैन का कहना है कि यदि ऐसा पाया जाता है तो सम्बंधित लोगो के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। विकलांग बच्ची की तुरंत प्रभाव से पेंशन शुरू करवा दी जाएगी। साथ ही जो भी नियमानुसार अन्य मदद सरकार की तरफ से होगी वह भी उपलब्ध करवा दी जाएगी।