बड़ी खबर : ईओ को डीएलबी डिप्टी डायरेक्टर ने दिया नोटिस, ईओ ने 16 कार्मिकों को दिया कारण बताओ नोटिस
खबर शेखावाटी लाईव में चलने के बाद
प्रशासन शहरों के संग अभियान से जुड़ा मामला…
मंगलवार को करीब 3:30 बजे ईओ समेत सभी कार्मिक शिविर से थे नदारद
उदयपुरवाटी, [कैलाश बबेरवाल ] प्रशासन शहरों के संग अभियान पालिका शहर में सिर्फ दिखावा बनता नजर आ रहा है। शिविर में मंगलवार को करीब 3:30 बजे इओ हेमन्त सैनी समेत अभियान में लगाये गए सभी कार्मिक नदारद थे। जिसकी खबर शेखावाटी लाईव में चलने के बाद सोशियल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गयी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिविर से नदारद होने की खबर शेखावाटी लाईव न्यूज में प्रकाशित होने पर इओ हेमंत सैनी को डीएलबी डिप्टी डायरेक्टर ने नोटिस देकर जबाब मांगा। वहीं इओ हेमंत सैनी ने शिविर में लगे 16 कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस देकर 3 दिवस में जबाब मांगा है। आमजन का कहना है कि शिविर में अधिकारी उपस्तिथ होता, तो कर्मचारी बीच मे शिविर को छोड़कर नही जाते। लेकिन अधिकारी ही शिविर में नही रहते है तो कार्मिक भी मनमर्जी करते है। कस्बे की राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बावड़ी स्कूल में वार्ड 1 व 2 के लिये 4 दिन शिविर लगाया गया है। दोनों ही वार्डो में ले आऊट व मास्टर प्लान के चलते उम्मीद के अनुसार पट्टे नही मिल सके, अभियान शुरू के चरणों में ही फ्लॉप होता नजर आ रहा है।
इन कार्मिकों को इओ ने दिया कारण बताओ नोटिस
शिविर से नदारद होने वाले कार्मिक भूमि शाखा प्रभारी किशोरी लाल सैनी, नंदलाल सैनी, अमन तुनगरिया, गिरधारीलाल यादव, आवक- जावक शाखा प्रभारी चुका देवी, जन्म मृत्यु प्रभारी ममता कुमारी, योजना शाखा प्रभारी अमित चावरिया, लेखा शाखा महेश कुमार, घासीराम बोराण, लाइट शाखा व स्टोर शाखा प्रभारी महेंद्र राव, देवीलाल, चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संजय सैनी, कंप्यूटर ऑपरेटर सुरेश सैनी, एनएलयूंएम के सीईओ जितेंद्र सिंह, योजना प्रभारी के सहयोग में विजय मीणा, ड्राफ्टमैन पंकज कुमावत को राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को देखते हुये अनुपस्थिति रहने पर कारण बताओ नोटिस जारी करके 3 दिन में जबाब मांगा है। सबसे बड़ी बात तो यह है की जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पालिका में कई दिनों तक जन्म-मृत्यु प्रभारी ममता कुमारी, योजना शाखा प्रभारी अमित चांवरिया, पालिका एसआई पुष्कर लोगों को चक्कर कटवाए बगैर बनाकर नहीं देते हैं। एक व्यक्ति वार्ड 7 निवासी अपने किसी सदस्य का मृत्यु-प्रमाण पत्र बनवाने के लिए गए तो दो सप्ताह तक एक-दुसरे का बहाना बनाकर चक्कर कटवाते रहे, जबकि महज आधे घंटे का काम है। यहां तक की खुद चैयरमैन एडवोकेट रामनिवास सैनी के कहने के बावजूद भी नहीं बनाकर दिया गया था। ये तीनों कर्मचारी अपने आप को पालिका के शहनशाह समझते हैं शायद मनमर्जी उच्चाधिकारियों की मिलीभगत होने के कारण समय पर लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं करते है। जिसके चलते एक घंटे में होने वाले काम के लिए कस्बे वासियों को महिने भर तक चक्कर कटवाते हैं। आमजन को ऐसे कर्मचारियों का सामना करना पड़ रहा है। यही हाल शिविर में है। जब पालिका में ही काम नहीं करते तो शिविर में बिना अधिकारी के कर्मचारी कैसे काम करेंगे।
प्रशासन शहरों के संग अभियान में शिविर का प्रभारी इओ हेमन्त सैनी को नियुक्त कर रखा है। शिविर प्रभारी ही शिविर में उपस्थित नही हो तो आमजन के कार्य कैसे होंगे। प्रदेश की सरकार की मंशा है कि अभियान के दौरान अधिक से अधिक लोगों को पट्टे वितरित किये जावे। लेकिन शिविर प्रभारी प्रदेश सरकार के अभियान को फ्लॉप करने की कोशिश कर रहे है। शिविर का मतलब है पहले दिन वार्ड में जाकर सर्व करें, आमजन को पट्टे बनवाने के लिए जागरूक करें, फिर शिविर में बैठकर पट्टा पत्रावलियों की कार्यवाही जल्द से जल्द पूर्ण की जाये। लेकिन शिविर में प्रभारी अधिकारी नही होने के चलते कार्मिक पट्टा धारकों की फाइल को आगे नही बढ़ा सकते है, क्योंकि हर रिपोर्ट होने के बाद में इओ के हस्ताक्षर की जरूरत होती है। वो शिविर में कम बैठते है, जिसके चलते आमजन को काफी परेशानी होती है।
राज्य सरकार का अभियान-जल्द जारी करो पट्टे- इओ लगा रहा है रोड़ा। प्रदेश सरकार अभियान के तहत अधिक पट्टे जारी करने के लिये वार्ड वार शिविर लगा रही है। लेकिन इओ हेमन्त सैनी शिविर को फ्लॉप करने में किसी प्रकार की कोई कसर नही छोड़ रहे है। शिविर में पट्टों के लिये किए गए पत्रावली को जमा करवाने के बाद में नगरपालिका कार्यवाही शुरू करती है। पालिका के बाबू की रिपोर्ट होने के बाद में अखबार में 7 दिवस की आपत्ति विज्ञप्ति प्रकाशित करके आपत्ति व एतराज जताने का समय सार्वजनिक रूप से देते है। इस दौरान फाइल पर आपत्ति दर्ज हो तो पट्टा पत्रावली को रोक दिया जाए। लेकिन पालिका इओ फाइल पूर्ण होकर पट्टा भरने की स्तिथि में आने के बाद रोड़ा अटकाने का काम कर रहे है। इओ ने सरकार के अभियान को फ्लॉप करने की नियति से उक्त भूमि की जमाबंदी में जिन खातेदारों के नाम है उन सबकी सहमति मंगवाने के चलते फाइल को ठंडे बस्ते में डाल देते है। यह मुद्दा एसडीएम रामसिंह राजावत द्वारा अभियान शुरुआत से पूर्व ली गयी मिटिंग में भी पुरजोर तरीके से मामला उठा था, तो इओ ने इसकी सहमति को जरूरत नही बताया था। ठीक उसके बाद से ही इओ कई फाइलों को सहमति के चक्कर मे रोकें हुए है।
शिविर का उच्च अधिकारी समय-समय पर करे निरीक्षण तो जनता को मिले फायदा
प्रशासन शहरों के संग अभियान का पालिका के अलावा जिला कलेक्टर, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार व अन्य संबंधित अधिकारी समय समय पर निरीक्षण करें तो आमजन की समस्याओं को सुनकर उनका समाधान करवा सकते है। शिविर में आलाधिकारियों की कम आवाजाही के चलते आमजन को शिविर में बैठे अधिकारी चक्कर कटवा रहे है।