स्वामी विवेकानन्द को पुण्यतिथि पर किया नमन, स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैय्या व अल्लूरी सीताराम राजू को भी किया याद
झुंझुनू, आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत राष्ट्रीय साहित्यिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में संस्थान के कार्यालय सूरजगढ़ में मनोहर लाल मोरदिया की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। भारतीय संविधान निर्माण में योगदान देने वाली संविधान सभा की सदस्य और स्वतंत्रता सेनानी दक्षयानी वेलायुद्धन व देश की प्रथम महिला वाइस चांसलर शिक्षाविद् व लेखक, महान सामाजिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी हंसा मेहता की जयंती और स्वतंत्रता सेनानी व संविधान सभा की सदस्य और प्रथम लोकसभा सदस्य अम्मू स्वामीनाथन की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया। इसी क्रम में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के अभिकल्पक स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैय्या व स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू की जयंती मनाई। युवाओं के प्रेरणास्रोत आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर उन्हें भी नमन किया। महान विभूतियों की प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित कर देश की आजादी और राष्ट्र के निर्माण में उनके योगदान को याद किया। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने कहा- दक्षयानी वेलायुद्धन व हंसा मेहता और अम्मू स्वामीनाथन तीनों ही क्रांतिकारी महिलाओं ने आजादी की लड़ाई में भाग लिया। तीनों महान विभूतियों ने समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया और तीनों ही संविधान सभा की सदस्य चुनी गई। भारत के संविधान निर्माण में तीनों का ही विशेष योगदान रहा है। दक्षयानी वेलायुद्धन साल 1946 में संविधान सभा के लिए चुनी गई सबसे युवा और एकमात्र दलित महिला थीं। इससे पहले दक्षयानी वेलायुद्धन को कोचीन विधान परिषद् के लिए भी चुना गया था। दक्षयानी वेलायुद्धन भारतीय राजनीतिज्ञ और उत्पीड़ित वर्गों के नेता थी। वह देश की प्रथम दलित महिला स्नातक थी। दक्षयानी वेलायुद्धन ने महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर आजादी के आंदोलन में भाग लिया। वह बहुत खुशकिस्मत थी, जिन्हें महात्मा गांधी का आशीर्वाद प्राप्त था। दक्षयानी वेलायुद्धन की शादी में महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी दोनों मौजूद रहे थे। पहली और एकमात्र दलित महिला विधायक दक्षयानी वेलायुद्धन को सम्मानित करते हुए केरल सरकार ने ‘दक्षयानी वेलायुद्धन पुरस्कार’ का गठन किया है, जो राज्य में अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने में योगदान देने वाली महिलाओं को दिया जायेगा। पुरस्कार के लिए बजट में 2 करोड़ रुपये रखे गए हैं। इसकी घोषणा केरल के वित्त मंत्री डॉ. थॉमस इसाक ने 31 जनवरी 2019 को विधानसभा में केरल बजट 2019 की प्रस्तुति के दौरान की थी। हंसा मेहता देश की प्रथम महिला वाइस चांसलर, शिक्षाविद्, समाजसेवी, स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा की सदस्य थी। वे समान नागरिक संहिता की समर्थक थी। जब वो 1918 में पत्रकारिता की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड गई, तब उनकी मुलाकात सरोजिनी नायडू से हुई और कुछ समय बाद उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई। महात्मा गांधी से मिलने के बाद उन्होंने अपना जीवन स्वाधीनता आंदोलन और समाजसेवा में समर्पित कर दिया। भारत सरकार द्वारा 1959 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 1950 में हंसा मेहता संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग की उपाध्यक्ष बनी। वे यूनेस्को की कार्यकारी बोर्ड की सदस्य भी थीं। महिलाओं के स्तर में सुधार के लिए उनके प्रयासों को संयुक्त राष्ट्र संघ ने सराहा और एक कालजयी विदुषी महिला के रूप में उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है। 1964 में वे भारत की हाई कमिश्नर बनकर लंदन गई। हंसा मेहता एक अच्छी लेखक थी। उन्होंने अपने जीवनकाल में तकरीबन 15 किताबें लिखी। अम्मू स्वामीनाथन के संबंध में जानकारी देते हुए शिक्षाविद् राजपाल फौगाट ने बताया कि अम्मू स्वामीनाथन भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता, संविधान सभा की सदस्य और देश की प्रथम लोकसभा की सदस्य थी। उनकी बेटी लक्ष्मी सहगल स्वतंत्रता सेनानी व आजाद हिंद फौज में रानी लक्ष्मीबाई रेजीमेंट की कैप्टन थी। सन 1917 में एनी बेसेंट के साथ मिलकर अम्मू स्वामीनाथन ने ‘महिला भारत संघ’ का गठन किया। अम्मू स्वामीनाथन ने अपना जीवन देश की आजादी और समाज सेवा में समर्पित किया। ऐसी महान विभूतियों को हम नमन करते हैं। जगदेव सिंह खरड़िया व वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र सैन आदि अन्य वक्ताओं ने स्वामी विवेकानंद, अल्लूरी सीताराम राजू और स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैय्या के जीवन दर्शन पर विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में युवा जाट महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय मील, एडवोकेट दीपक कुमार सैनी, अभय राज पुरोहित, योगाचार्य डॉ. प्रीतम सिंह खुगांई, वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र सैन, इन्द्र सिंह शिल्ला भोबियां, रणवीर सिंह ठेकेदार, प्रताप सिंह तंवर, मनोहरलाल मोरदिया, जगदेव सिंह खरड़िया, शिक्षाविद् राजपाल फौगाट, धर्मपाल गांधी, सुनील गांधी, महेश शिल्ला, दिनेश, अंजू गांधी, पिंकी आदि अन्य लोग मौजूद रहे।