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महान क्रांतिकारी शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की जयंती मनाई

स्वतंत्रता सेनानी घनश्याम दास बिड़ला और लीला राॅय को पुण्यतिथि पर किया नमन

‘सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है..
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है”

झुंझुनू, आदर्श समाज समिति इंडिया के कार्यालय सूरजगढ़ में धर्मपाल गांधी के नेतृत्व में देश की आजादी के लिए फांसी पर चढ़ने वाले महान क्रांतिकारी अमर शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की जयंती मनाई। स्वाधीनता आंदोलन में महात्मा गांधी के सहयोगी रहे स्वतंत्रता सेनानी और हिन्दुस्तान में औद्योगिक क्रांति के जनक घनश्याम दास बिड़ला और क्रांतिकारी महिला, शिक्षाविद्, महान समाज सुधारक, संविधान सभा की सदस्य स्वतंत्रता सेनानी लीला राॅय नाग की पुण्यतिथि मनाई। स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल के अविस्मरणीय योगदान को याद करते हुए आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने कहा- ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ और ‘सरफरोशी की तमन्ना’ जैसे गीत लिखकर आज भी आने वाली पीढ़ी के अंदर देशभक्ति का जोश भरने वाले पंडित रामप्रसाद बिस्मिल को आज हम उनकी जयंती पर नमन करते हैं। मात्र 30 साल की आयु में देश के लिए फांसी पर झूलने वाले राम प्रसाद बिस्मिल भारत की आजादी के लिए अंग्रेजों से लोहा लेने वाले महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। जब-जब भारत के स्वाधीनता इतिहास में महान क्रांतिकारियों की बात होगी तब-तब भारत मां के इस वीर सपूत का जिक्र होगा। राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ एक महान क्रांतिकारी ही नहीं, बल्कि उच्च कोटि के कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाविद् व साहित्यकार भी थे। पंडित रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ किसी परिचय के मोहताज नहीं। उनके लिखे ‘सरफ़रोशी की तमन्ना’ जैसे अमर गीत ने हर भारतीय के दिल में जगह बनाई और अंग्रेज़ों से भारत की आज़ादी के लिए वो चिंगारी छेड़ी, जिसने ज्वाला का रूप लेकर ब्रिटिश शासन के भवन को लाक्षागृह में परिवर्तित कर दिया। ब्रिटिश साम्राज्य को दहला देने वाले काकोरी काण्ड को रामप्रसाद बिस्मिल ने ही अंजाम दिया था। रामप्रसाद बिस्मिल को एक चीज बहुत खास बनाती है। दरअसल, उन्होंने अपने ज़रूरी हथियारों की खरीद अपने पुस्तकों की बिक्री से मिले पैसों से की थी। बिस्मिल के विषय में ये भी कहा जाता है कि उन्होंने अहमदाबाद के अधिवेशन में मौलाना हसरत मोहानी के साथ मिलकर कांग्रेस की साधारण सभा में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित करवाने में अहम योगदान दिया था।‌ शेखावाटी क्षेत्र में जन्म लेकर देश-विदेश में औद्योगिक क्रांति के जनक के रूप में पहचान बनाने वाले उद्योगपति और पद्म विभूषण से सम्मानित महान स्वतंत्रता सेनानी घनश्याम दास बिड़ला को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हुए गांधी ने कहा- घनश्याम दास बिड़ला एक सच्चे स्वदेशी और स्वतंत्रता आंदोलन के कट्टर समर्थक थे तथा महात्मा गांधी की गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने के लिये तत्पर रहते थे। उन्होंने पूंजीपतियों से राष्ट्रीय आन्दोलन का समर्थन करने एवं कांग्रेस के हाथ मज़बूत करने की अपील की। उन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन का समर्थन किया। वे राष्ट्रीय आन्दोलन के लिए लगातार आर्थिक मदद देते रहे। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों का भी विरोध किया तथा 1932 में हरिजन सेवक संघ के संस्थापक अध्यक्ष बने। स्वाधीनता आंदोलन में महात्मा गांधी के सहयोगी रहे घनश्याम दास बिड़ला का राष्ट्र के निर्माण में विशेष योगदान रहा है। हम उनकी पुण्यतिथि पर उनको नमन करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस मौके पर आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी, राधेश्याम इन्दलियां, रणवीर ठेकेदार, गौरीशंकर सैनी, रफीक खान, दिनेश, सुनील गांधी, अमित कुमार, अंजू गांधी आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

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