स्वतंत्रता सेनानी विट्ठल भाई पटेल को पुण्यतिथि पर किया नमन
सूरजगढ़, आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते फाँसी के फंदे को चूमने वाले काकोरी कांड के महान क्रांतिकारी अमर शहीद अशफ़ाक उल्ला खान की जयंती मनाई। महान क्रांतिकारी के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को याद किया। इस मौके पर स्वतंत्रता सेनानी बैरिस्टर विट्ठल भाई पटेल को भी उनकी पुण्यतिथि पर नमन किया। मनजीत सिंह तंवर ने बताया कि बैरिस्टर विट्ठल भाई पटेल भारत के प्रख्यात विधानवेत्ता, वक्तृत्वकला के आचार्य और भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के देश-विदेश में प्रचारक, प्रवर्तक थे। वे सरदार वल्लभ भाई पटेल के बड़े भाई थे। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने शहीद अशफ़ाक उल्ला खान के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि शहीद अशफ़ाक उल्ला खान का जन्म 22 अक्टूबर 1900 ई. में शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका नाम भारत के प्रसिद्ध अमर शहीद क्रांतिकारियों में गिना जाता है। वे अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल के ख़ास दोस्त थे। देश की आज़ादी के लिए हंसते-हंसते प्राण न्यौछावर करने वाले अशफ़ाक़ उल्ला ख़ान हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल पक्षधर थे। ‘काकोरी कांड’ के मुकदमे में 19 दिसम्बर, 1927 ई. को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर चढ़ा दिया गया। अशफ़ाक़ उल्ला ख़ान ऐसे पहले मुस्लिम थे, जिन्हें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान फाँसी की सज़ा हुई थी। उनका हृदय बड़ा विशाल और विचार बड़े उदार थे। हिन्दू-मुस्लिम एकता से सम्बन्धित संकीर्णता भरे भाव उनके हृदय में कभी नहीं आ पाये। सब के साथ सम व्यवहार करना उनका सहज स्वभाव था। कठोर परिश्रम, लगन, दृढ़ता, प्रसन्नता, ये उनके स्वभाव के विशेष गुण थे। मात्र 27 वर्ष की उम्र में अशफ़ाक उल्ला खान ने मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों का बलिदान देकर फाँसी के फंदे को चूम लिया। अशफ़ाक उल्ला खान एक बेहतरीन उर्दू शायर भी थे। अपने अन्य मित्रों के साथ अशफ़ाक उल्ला खान ने काकोरी कांड में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसे महान क्रांतिकारी को हम नमन करते हैं। इस मौके पर शिक्षाविद् एवं सामाजिक कार्यकर्ता मनजीत सिंह तंवर, धर्मपाल गाँधी, शिक्षाविद् रामेश्वरलाल लोवाड़िया, रणवीर सिंह ठेकेदार, गौरीशंकर सैनी, आदि अन्य लोग मौजूद रहे।