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लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती और लौह महिला इंदिरा गाँधी का बलिदान दिवस मनाया

स्वतंत्रता सेनानी नरेंद्र देव को जयंती पर व कवयित्री अमृता प्रीतम को पुण्यतिथि पर किया याद

झुंझुनू, राष्ट्रीय साहित्यिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में संस्थान के कार्यालय लोहारू रोड़ सूरजगढ़ में देश के प्रथम गृहमंत्री व उप प्रधानमंत्री, महान स्वतंत्रता सेनानी लौह पुरुष भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल व सुप्रसिद्ध समाजसेवी, उच्चकोटि के वक्ता, समर्थ लेखक एवं विचारक, शिक्षाशास्त्री, समाजवादी नेता, महान स्वतंत्रता सेनानी आचार्य नरेंद्र देव की जयंती और आयरन लेडी के नाम से विख्यात देश की प्रथम और एक मात्र महिला प्रधानमंत्री, स्वतंत्रता सेनानी भारत रत्न इंदिरा गाँधी का बलिदान दिवस मनाया। इस मौके पर साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध साहित्यकार व कवयित्री अमृता प्रीतम को भी उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किये। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने कहा- यह संयोग की बात है कि आज देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले लौह पुरुष भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है और देश की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाली लौह महिला भारत रत्न इंदिरा गाँधी का बलिदान दिवस है। भारत के राजनीतिक इतिहास में सरदार पटेल के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। सरदार पटेल नवीन भारत के निर्माता थे। देश की आजादी के संघर्ष में उन्होंने जितना योगदान दिया, उससे ज्यादा योगदान उन्होंने स्वतंत्र भारत को एक करने में दिया। वास्तव में वे आधुनिक भारत के शिल्पी थे। जिस अदम्य उत्साह असीम शक्ति से उन्होंने नवजात गणराज्य की प्रारंभिक कठिनाइयों का समाधान किया, उसके कारण विश्व के राजनीतिक मानचित्र में उन्होंने अमिट स्थान बना लिया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। नीतिगत दृढ़ता के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उन्हें सरदार और लौह पुरुष की उपाधि दी थी। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आजाद भारत को एक विशाल राष्ट्र बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया। महात्मा गाँधी के प्रति सरदार पटेल की अटूट श्रद्धा थी। गाँधीजी की हत्या से कुछ क्षण पहले निजी रूप से उनसे बात करने वाले सरदार पटेल अंतिम व्यक्ति थे। उन्होंने सुरक्षा में चूक को गृह मंत्री होने के नाते अपनी ग़लती माना। उनकी हत्या के सदमे से वे उबर नहीं पाये। गांधी जी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। गाँधीजी की मृत्यु के दो महीने के भीतर ही पटेल को दिल का दौरा पड़ा था। देश की एकता व अखंडता के लिए प्राणों की आहुति देने वाली आयरन लेडी इंदिरा गांधी के बारे में धर्मपाल गांधी ने बताया कि भारत की एकता और अखंडता के लिए बलिदान देने वाली देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री भारत रत्न इंदिरा गांधी को भी लौह महिला के नाम से जाना जाता है। इंदिरा गांधी भारतीय राजनीति पर ही नहीं बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी एक अमिट छाप छोड़ गई। इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में ऐतिहासिक विजय हासिल करते हुए इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश को अलग राष्ट्र बनाया। इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए राष्ट्रहित में कई ऐतिहासिक फैसले लिये। स्वतंत्रता सेनानी नरेंद्र देव के बारे में जानकारी देते हुए गांधी ने बताया कि आचार्य नरेंद्र देव प्रसिद्ध विद्वान, समाजवादी नेता, विचारक, शिक्षाशास्त्री और स्वतंत्रता सेनानी थे। आचार्य नरेंद्र देव बौद्ध धर्म दर्शन और भारतीय दर्शन के उच्च कोटि विद्वान थे। स्वाधीन भारत में आचार्य नरेंद्र देव लखनऊ विश्वविद्यालय और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे। उपकुलपति रहते हुए वे अपने वेतन का अधिकांश हिस्सा समाजसेवा में और अपने छात्रों को दान स्वरूप दे देते थे। विभाजन का दर्द देने वाले महान कवियत्री अमृता प्रीतम को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए धर्मपाल गांधी ने बताया कि अमृता प्रीतम उन प्रख्यात लेखिकाओं में शामिल रही हैं जिनकी कृतियों का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया। 31 अगस्त 1919 को पंजाब के गुजरांवाला (अब पाकिस्तान) में जन्मीं अमृता प्रीतम को पंजाबी भाषा की पहली कवियत्री माना जाता है। वह साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाली पहली महिला लेखिका रही हैं। उन्होंने लगभग 100 किताबें लिखीं, जिनमें उनकी आत्मकथा ‘रसीदी टिकट’ भी शामिल है। विभाजन का दर्द अमृता ने सिर्फ़ सुना ही नहीं देखा और भोगा भी था। इसी पृष्ठभूमि पर उन्होंने अपना उपन्यास ‘पिंजर’ लिखा। 1947 में 3 जुलाई को अमृता ने एक बच्चे को जन्म दिया और उसके तुरंत बाद 14 अगस्त 1947 को विभाजन का मंजर भी देखा, जिसके संदर्भ में उससे लिखा कि – ‘‘दुःखों की कहानियाँ कह-कहकर लोग थक गए थे, पर ये कहानियाँ उम्र से पहले खत्म होने वाली नहीं थीं। मैंने लाशें देखीं थीं, लाशों जैसे लोग देखे थे, और जब लाहौर से आकर देहरादून में पनाह ली, तब एक ही दिन में सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक रिश्ते काँच के बर्तनों की भाँति टूट गये थे और उनकी किरचें लोगों के पैरों में चुभी थीं और मेरे माथे में भी..।” अमृता प्रीतम की रचनाओं में विभाजन का दर्द और मानवीय संवेदनाओं का सटीक चित्रण हुआ है। इस मौके पर आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी, रणवीर सिंह ठेकेदार, सुरेंद्र सौंकरिया, राधेश्याम, सुनील गांधी, सतीश कुमार, अंजू गांधी आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

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