झुंझुनूताजा खबर

महान स्वतंत्रता सेनानी आयरन लेडी एनी बेसेंट की पुण्यतिथि मनाई

शहीद वीरांगना कनकलता बरुआ व महान समाज सुधारक नारायण गुरु को भी पुण्यतिथि पर किया याद

झुंझुनू, राष्ट्रीय साहित्यिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में संस्थान के कार्यालय लोहारू रोड सूरजगढ़ में सामाजिक कार्यकर्ता मनजीत सिंह तंवर के नेतृत्व में विश्व विख्यात महान सामाजिक कार्यकर्ता, कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष, लेखक व वक्ता, भारत की भूमि से अद्भुत प्रेम करने वाली भारत प्रेमी महिला, काशी में सेंट्रल हिंदू कॉलेज की स्थापना करने वाली प्रसिद्ध शिक्षाविद्, आयरन लेडी के नाम से मशहूर भारत की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाली महान स्वतंत्रता सेनानी डॉ. एनी बेसेंट की पुण्यतिथि मनाई। इस मौके पर भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान देश की आजादी के लिए अल्पायु में अपनी जान की कुर्बानी देने वाली वीरबाला के नाम से विख्यात शहीद वीरांगना कनकलता बरुआ व भारत के प्रसिद्ध समाज सुधारक नारायण गुरु की पुण्यतिथि भी मनाई। भारत की आजादी में एनी बेसेंट के योगदान को याद करते हुए मनजीत सिंह तंवर ने कहा- एनी बेसेंट कहने को भारतीय मूल की नहीं थी लेकिन भारत में रहकर उनके द्वारा किए गए काम और बड़े-बड़े योगदान को देखकर कभी ये लगा ही नहीं कि उनका संबंध किसी और देश से है। एनी बेसेंट की गिनती उन महिलाओं में की जाती हैं, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में एक सक्रिय भूमिका निभाई थी। उन्होंने भारत में रहकर बाल विवाह, विधवा विवाह और जाति व्यवस्था जैसी सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने की दिशा में काम किया था। एनी बेसेंट एक समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, सुप्रसिद्ध लेखिका, थियोसोफिस्ट और राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष और एक प्रभावी प्रवक्ता थी। एनी बेसेंट ने शोषित और गरीब लोगों की दशा सुधारने के लिए जीवनपर्यंत काम किया। उन्होंने महामना मदन मोहन मालवीय के साथ मिलकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और काशी में महिलाओं की शिक्षा के लिए अनेक स्कूल कॉलेज खड़े किये। देशवासियों ने उन्हें मां वसंत कह कर सम्मानित किया तो महात्मा गांधी ने उन्हें वसंत देवी की उपाधि से विभूषित किया। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने कहा- वीरबाला के नाम से विख्यात कनकलता बरुआ भारत की ऐसी शहीद पुत्री थीं, जो भारतीय वीरांगनाओं की लंबी कतार में जा मिलीं। मात्र 18 वर्षीय कनकलता अन्य बलिदानी वीरांगनाओं से उम्र में छोटी भले ही रही हों, लेकिन त्याग व बलिदान में उनका कद किसी से कम नहीं। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 20 सितंबर, 1942 को तेजपुर की कचहरी पर तिरंगा झंडा फहराने का निर्णय लिया गया था। तिरंगा फहराने आई हुई भीड़ पर गोलियाँ दागी गईं और यहीं पर कनकलता बरुआ ने शहादत पाई। कनकलता बरुआ का बलिदान और देश के लिए उनका संघर्ष इस रूप में याद किया जाना चाहिए कि देश के लिए देशभक्ति और अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए ना तो उम्र की कोई बाधा होती है और ना ही उस परिवेश में बंदिशें होती हैं, जिसमें आप पले-बढ़े है। देश के लिए समर्पित एक जज़्बा ही काफी है अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए। भारत के प्रसिद्ध समाज सुधारक नारायण गुरु के बारे में जानकारी देते हुए धर्मपाल गांधी ने कहा- नारायण गुरु भारत के महान संत एवं समाज सुधारक थे।कन्याकुमारी में मारुतवन पहाड़ों की एक गुफा में उन्होंने तपस्या की थी। गौतम बुद्ध को गया में पीपल के पेड़ के नीचे बोधि की प्राप्ति हुई थी। नारायण गुरु को उस परम की प्राप्ति गुफा में हुई। समाज सुधारक नारायण गुरु द्वारा स्थापित ‘शिवगिरि मठ’ पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और उनकी समाधि केरल में सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है। केरल के जाति-ग्रस्त समाज में उन्हें बहुत अन्याय का सामना करना पड़ा। उन्होंने केरल में सुधार आंदोलन का नेतृत्व किया, जातिवाद को खारिज कर दिया और आध्यात्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक समानता के नए मूल्यों को बढ़ावा दिया। नारायण गुरु ने मंदिरों और शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के माध्यम से अपने स्वयं के प्रयासों से दलितों के आध्यात्मिक और सामाजिक उत्थान की आवश्यकता पर जोर दिया। मार्च 1925 में महात्मा गांधी और नारायण गुरु की ऐतिहासिक मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के बाद महात्मा गांधी ने वायकोम सत्याग्रह के समर्थन में प्रचार किया। महान स्वतंत्रता सेनानी एनी बेसेंट, शहीद वीरांगना कनकलता बरुआ, महान समाज सुधारक नारायण गुरु की पुण्यतिथि के मौके पर आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी, सामाजिक कार्यकर्ता मनजीत सिंह तंवर, अशोक स्वामी, प्रताप सिंह तंवर, सुनील गांधी, अंजू गांधी, योगेश, दिनेश आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

Related Articles

Back to top button