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केंद्रीय अध्ययन दल ने लिया तारानगर सूखा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा


जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग, विधायक नरेंद्र बुडानिया, प्रधान संजय कस्वां सहित अधिकारी, जनप्रतिनिधियों ने दिया फीडबै

चूरू,  अंतर मंत्रालय केंद्रीय अध्ययन दल ने गुरुवार को जिले के तारानगर क्षेत्र में खरीफ फसल वर्ष 2021-22 के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जाकर वहां के किसानों से मुलाकात की और अनावृष्टि से फसल में नुकसान की वस्तुस्थिति के संबंध में जायजा लिया।

अध्ययन दल में शामिल भारत सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अतिरिक्त सलाहकार डी. राजशेखर, डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर में सलाहकार आर बी कौल एवं एमएनसीएफसी के असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ सुनील दुबे ने तारानगर पंचायत समिति सभागार में जिला कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग, तारानगर विधायक नरेंद्र बुडानिया, प्रधान संजय कस्वां सहित अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों से सूखा प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति के बारे में विचार-विमर्श किया। जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग ने पावर पॉइंट प्रजेंटेशन के जरिए खरीफ 2021-22 के दौरान हुए नुकसान तथा प्रभावित गांवों में चारे-पानी की उपलब्धता के बारे में अध्ययन दल को जानकारी दी। बैठक के बाद अध्ययन दल ने सूखा प्रभावित गांव पंडरेऊ ताल, झोथड़ा और झाड़सर कांधलान में किसानों के साथ बातचीत कर सूखे की स्थिति, फसल में हुए नुकसान तथा चारे व पेयजल की उपलब्धता के बारे में फीडबैक लिया।

किसानों ने बताया कि खरीफ 2021-22 के दौरान बुआई के समय और उसके बाद बरसात कम होने के कारण बार-बार फसल बुआई करनी पड़ी। इसके बावजूद फसल अच्छी नहीं हुई और जैसी भी फसल हुई, वह भी कटाई के समय बरसात होने के कारण खराब हो गई। खासतौर पर मूंग की फसल का दाना एकदम खराब हो गया, फसल सड़ांध मारने लगी और जो दाना किसानों ने निकाला, उसका कोई ग्राहक नहीं है। केंद्रीय अध्ययन दल ने सारे वह पानी की उपलब्धता के साथ-साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के संबंध में भी किसानों से चर्चा की और जानकारी ली। किसानों ने इस दौरान क्षेत्र में चारा डिपो स्थापित किए जाने की मांग उठाई और कहा कि हरियाणा पंजाब में जो पराली जला दी जाती है, वह भी यहां पशुओं के लिए महंगे भाव में उपलब्ध हो रही है जिसके कारण पशुपालन भी बहुत मुश्किल हो गया है और सूखे व चारे की महंगाई के कारण किसान कर्जवान होते जा रहे हैं।

इस दौरान तारानगर विधायक नरेंद्र बुडानिया ने क्षेत्र की विषम भौगोलिक परिस्थितियों की जानकारी केंद्रीय अध्ययन दल को दी और बताया कि क्षेत्र में आमतौर पर बाजरा, मूंग, ग्वार एवं मोठ की खेती होती है। सभी फसलों में अंतिम समय में बरसात होने के कारण काफी नुकसान किसानों को उठाना पड़ा है। उन्हें सरकार की ओर से मुआवजा मिलना चाहिए। उन्होंने अध्ययन दल से कहा कि वह क्षेत्र की वस्तुस्थिति के बारे में समुचित अध्ययन कर सहानुभूतिपूर्वक रिपोर्ट तैयार करें ताकि पीड़ित किसानों को सरकार की ओर से सहायता मिल सके। उन्होंने कहा कि यहां की  कृषि आमतौर पर बरसात आधारित होने के कारण किसानों को अक्सर अकाल का सामना करना पड़ता है।

इस दौरान अतिरिक्त जिला कलेक्टर लोकेश कुमार गौतम, उपखंड अधिकारी मोनिका जाखड़, तहसीलदार राजीव बड़गूजर, विकास अधिकारी संत कुमार मीणा, नायब तहसीलदार विनोद पूनिया व पवन स्वामी, पूर्व प्रधान कुंदन मल बाबल, पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक धनपत सिंह चौधरी, बीकानेर के कृषि उपनिदेशक कैलाश चौधरी, उद्यान उपनिदेशक राजेश नैनावत, सहायक निदेशक रामकिशोर मेहरा, सांख्यिकी विभाग के सहायक निदेशक अनिल शर्मा, पंचायत समिति सदस्य मोहर सिंह ज्याणी, भू-अभिलेख निरीक्षक देवकरण जोशी, लीलाधर जोशी, डॉ. निरंजन चिरानिया, कृषि अधिकारी कुलदीप शर्मा, कृषि पर्यवेक्षक सविता, जलदाय विभाग के अधीक्षण अभियंता जेआर नायक, पंडरेऊ ताल सरपंच दर्शना देवी, झोथड़ा सरपंच मोहरसिंह, झाड़सर कांधलान सरपंच परमेश्वरी देवी, कृष्ण कुमार सहारण, सहायक विकास अधिकारी रामस्वरूप धायल, ग्राम विकास अधिकारी कृष्ण कुमार कासनिया, रामजीलाल सहारण, ओंकार सिंह राजवी, भगत सिंह भाखर सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी, जनप्रतिनिधि, किसान आदि मौजूद थे।

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