सूचना केंद्र में हुई घूंघट उन्मूलन कार्यशाला
चूरू, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आह्वान पर जिला प्रशासन एवं महिला अधिकारिता विभाग की ओर से बुधवार को सूचना केंद्र में हुई घूंघट उन्मूलन कार्यशाला में सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि विज्ञान, तकनीक और आधुनिकता के दौर में घूंघट एक बुराई है और हम सब मिलकर ही इसके खिलाफ एक वातावरण का निर्माण कर सकते हैं। कार्यशाला के मुख्य अतिथि जिला कलक्टर संदेश नायक ने कहा कि आधुनिक समय में इस प्रकार की कुरीतियां और परम्पराएं कहीं न कहीं हमारे सामाजिक पिछड़ेपन की प्रतीक हैं और हमें इसे प्रत्येक जगह चर्चा व विमर्श का विषय बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सभी अपने-अपने परिवार से इस कुप्रथा को हटाने की शुरुआत कर सकते हैं। जिला कलक्टर ने सभी अधिकारियों से कहा कि जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत की बैठकों के साथ-साथ सभी बैठकों में घूंघट उन्मूलन को स्थाई एजेंडा बनाएं और लोगों को इसके लिए प्रेरित करें। घूंघट उन्मूलन गतिविधियों को एक आंदोलन का रूप दें। साथ ही इसके लिए संकल्प, शपथ एवं जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करें। उन्होंने कहा कि चूरू की महिलाएं सक्षम और जागरुक हैं, राजीविका के महिला स्वयं सहायता समूहों का उत्कृष्ट काम इसका उदाहरण है लेकिन घूंघट जैसी बुराई के खिलाफ भी उन्हें जागरुक बनना चाहिए। उन्होंने मीडियाकर्मियों से भी घूंघट उन्मूलन जागरुकता में अहम भूमिका निभाने का आग्रह किया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव राजेश दड़िया ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि आजादी के इतने समय बाद भी हमारा समाज ऎसी बुराइयों से जूझ रहा है। ऎसे में हम सबके संकल्प की जरूरत है कि हम अपने परिवेश में लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करेंगे। उन्हाेंंने कहा कि घूंघट महिलाओं के अधिकारों को बाधित करता है, हमें अपने हक की बात कहनी आनी ही चाहिए। हम ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को घूंघट हटाने के लिए प्रेरित कर सकें, यही इस कार्यशाला की सार्थकता होगी। सीईओ रामस्वरूप चौहान ने कहा कि आज लोगों में बदलाव आ रहा है और लोग जागरुक हो रहे हैं, लेकिन हमें इस जागरुकता की गति को और अधिक बढाने की जरूरत है। कार्यशाला की प्रमुख वक्ता डॉ मंजू शर्मा ने कहा कि विज्ञान और तकनीक के चरम विकास के समय में जब महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में अपना परचम फहरा रही हैं, ऎसे में घूंघट जैसे विषय पर हमें कार्यशाला करनी पड़ रही है, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। हम केवल परम्परा की दुहाई देकर घूंघट का औचित्य साबित नहीं कर सकते हैं। स्त्री, पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर सके, इसके लिए वैचारिक स्वतंत्रता बहुत जरूरी है। सहायक निदेशक (सूचना एवं जनसंपर्क) कुमार अजय ने कहा कि घूंघट हमारे सामाजिक ताने-बाने की विसंगति का सूचक है और शोषण से मुक्ति के लिए स्त्री को बाहर और भीतर दोनों तरफ से सशक्त होना होगा। उन्होंने कहा कि केवल आधुनिक पहनावा और भाषा ही नहीं, भीतर की मजबूती स्त्री को बोल्ड बनाएगी। उन्होंने हिंदी की ख्यातनाम लेखिका प्रभा खेतान को उद्धृत करते हुए कहा कि दुनिया का कोई कोना नहीं होगा, जो स्त्री के आंसुओं से भीगा नहीं हो। विधि कॉलेज के प्राचार्य श्रवण सैनी ने स्त्री सशक्तीकरण से जुड़े कानून तथा घूंघट से होने वाले अत्याचारों के निवारण से जुड़े विधिक प्रावधानों का जिक्र करते हुए महिला अधिकारों पर विस्तार से प्रकाश डाला। जिला पर्यावरण सुधार समिति के राजेश अग्रवाल ने बताया कि आंदोलन में गैर सरकारी संगठनों का पूरा सहयोग रहेगा। महिला एवं बाल विकास विभाग के उपनिदेशक संजय कुमार ने आयोजकीय जानकारी देते हुए कहा कि सभी के सहयोग से ही यह आंदोलन सफल एवं सार्थक होगा। उन्होंने सभी संभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भविष्य में भी इस विषय में होने वाले गतिविधियों में सहयोग की अपेक्षा रहेगी। संचालन सहायक लेखाधिकारी कन्हैयालाल शर्मा ने किया। इस दौरान कोषाधिकारी रामधन, डीएसओ सुरेंद्र महला, राजीविका के डीपीएम बजरंग लाल सैनी, समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक अशफाक अली, सहकारिता के अधिशाषी अधिकारी मदनलाल, सीबीईओ गुरुदयाल, सीडीपीओ सीमा सोनगरा, सीडीपीओ मुकेश तिवाड़ी, अल्पसंख्यक विभाग के कार्यक्रम अधिकारी अब्दुल गफ्फार सहित बड़ी संख्या में जिला स्तरीय अधिकारी, एनजीओ प्रतिनिधि, कर्मचारी, महिला पर्यवेक्षक, मीडियाकर्मी एवं आमजन उपस्थित थे।