07 दिसम्बर को
चूरू, प्रत्येक वर्ष की भांति 07 दिसम्बर को पूरे देश में सशस्त्र सेना झण्डा दिवस मनाया जायेगा। इस वर्ष जन मानस की सुविधा के लिए तथा डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए क्यूआर कोड के माध्यम से सहयोग राशि के भुगतान का प्रावधान किया गया है जिससे नागरिकों द्वारा घर बैठे ही सहयोग राशि का भुगतान किया जा सकता है। ड्राफ्ट, चेक के माध्यम से भी राशि भेजकर जिला सैनिक कल्याण कार्यालय से रसीद प्राप्त की जा सकती है। यूपीआई कोड के माध्यम से भी सहयोग किया जा सकता है। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कमांडर परवेज अहमद हुसैन ने बताया कि सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाए जाने का उद्देश्य बहादुर और शहीद सैनिको को सम्मान देना, बुजुर्ग सैनिकों तथा शूरवीरों को सैल्यूट करना तथा सेवारत सैनिकों के साथ समस्त राष्ट्र की एकजुटता को दर्शाना है। इस दिन विशेेष तरह के झण्डे व स्टीकर भेंट कर आम जनता का सहयोग तथा भागीदारी हासिल करके धन राशि एकत्रित की जाती है। यह राशि युद्ध विकलांग तथा शहीदों के परिवारों के पुर्नवास, सेवानिवृत्त तथा सेवारत सैनिकों एवं उनके परिवारों के कल्याणार्थ इस्तेमाल की जाती है। इस पुनीत पर्व पर जिला कलक्टर एवं सैनिक बोर्ड के अध्यक्ष सिद्धार्थ सिहाग एवं जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कमाण्डर (से.नि.) परवेज अहमद हुसैन ने जिले के सभी नागरिकों से अपील की है कि राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता को कायम रखने के लिये जिन सैनिकों ने अपने प्राणों को देशहित में न्यौछावर कर दिया एवं अपने स्वर्णिम दिन देश एवं सेना के लिये अर्पित कर रहे हैं, उन सैनिकों के परिवारों एवं उनके आश्रितों के लिये अपना पूर्ण सहयोग दें ताकि उनका मनोबल ऊंचा रह सके।
जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कमांडर परवेज अहमद हुसैन ने बताया कि सशस्त्र सेना झण्डा दिवस हमें मातृभूमि के लिए सशस्त्र बलों द्वारा किए गये योगदान एवं सर्वोच्च बलिदानों के प्रति हमारे उत्तरदायित्व का स्मरण करता है। हमारे सैनिक यु़द्ध काल में और शांति के समय भी अति उत्साह एवं गर्व के साथ राष्ट्र की सेवा करते हैं। सशस्त्र बलों ने यह सदैव सुनिश्चित किया है कि हमारे देश की भौगालिक अखण्डता अटूट रहे। उन्होंनें आतंकवाद के संकट का डटकर मुकाबला किया है और प्राकृतिक आपदाओं के समय भी देशवासियों को राहत प्रदान की है। दुर्गम परिस्थितियों में युद्ध एवं उग्रवाद से संघर्ष करते हुए सशस्त्र सेनाओं के जवान अपने प्राण न्यौछावर कर देते हैं और बहुत से सैनिक दिव्यांग हो जाते हैं। सशस्त्र सेना झण्डा दिवस देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों, युद्ध विकलांग सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों तथा उनके परिवारों के प्रति अपनी कृतज्ञता दर्शाने का दिन है। यह शुभ दिन देश के नागरिकों और हमारे देश के सैनिकों के मध्य पारंपरिक मधुर सम्बन्धों का प्रतीक है।
देश की सशस्त्र सेनाओं को जवान बनाए रखने के लिए हर वर्ष 35 से 40 वर्ष के करीब 60 हजार सैनिकों को अनिवार्य सेवामुक्त करना पड़ता है। ऎसे जवानों तथा उनके परिवारों की देखभाल करना भी हमारा नैतिक दायित्व है। इन सभी कारणों से प्रत्येक वर्ष सशस्त्र सेना झण्डा दिवस का आयोजन किया जाता है। झंडा दिवस पर एकत्र धनराशि को सशस्त्र सेना झण्डा दिवस फंड में समायोजित किया जाता है। इस राशि से भूतपूर्व सैनिकों, नॉन पेंशनरों तथा युद्ध विकलांग सैनिकों/शहीदों के परिवारों के कल्याणार्थ अनेक योजनाओं का वित्त पोषण किया जाता है। राज्य सैनिक बोर्ड तथा केन्द्रीय सैनिक बोर्ड द्वारा सशस्त्र सेना झण्डा दिवस फंड से सैनिकों के परिवार हेतु पुत्री के विवाह के लिए आर्थिक सहायता, बच्चों के लिए स्नातक डिग्री तक के लिए छात्रवृत्ति, आर्थिक संकट में तत्काल सहायता, प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने पर अनुदान, गंभीर रोगों के लिए चिकित्सा सहायता, पेनुरी ग्रांट, 100 प्रतिशत विकलांग बच्चे को अपंगता अनुदान, प्राकृतिक आपदा से क्षतिग्रस्त घर की मरम्मत का अनुदान, अनाथ बच्चों को अनुदान, विधवा को वोकेशनल ट्रेनिंग के लिए अनुदान, पेराप्लेजिक पुनर्वास केंद्र को अनुदान, चेशायर होम (कुष्ठ रोगियों के लिए) वित्तीय सहायता आदि कल्याणकारी योजनओं का संचालन किया जा रहा है।