रामपुरा निवासी रीना सैनी ने फाइनल मुकाबला जीतकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया
खण्डेला, [आशीष टेलर ] वेस्ट जोन गोवा में चल रही सब जूनियर सेकंड खेलो इंडिया वीमन्स लीग के जूडो टूर्नामेंट में सीकर ने अभी तक एक सिल्वर और एक गोल्ड मेडल प्राप्त किया है, खास बात यह है कि यह दोनों ही मेडल नजदीकी रामपुरा जूडो सेंटर की दो बालिकाओं ने अर्जित किए हैं। जूडो प्रतिस्पर्धा में 32 किलो भार वर्ग में रामपुरा निवासी रीना सैनी ने फाइनल मुकाबला जीतकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया है, वहीं 36 किलो भार वर्ग में ज्योति सैनी ने सिल्वर मेडल जीतकर परचम लहराया है। बता दें कि यह दोनों ही खिलाड़ी इससे पहले भी नेशनल खेल चुकी है और पदक भी अपने नाम कर चुकी हैं।
खास बात यह है कि रामपुरा जूडो सेंटर से अभी तक 25 से ज्यादा खिलाड़ी नेशनल खेल चुके हैं, जिनमें से कई खिलाड़ी गोल्ड मेडलिस्ट भी है, इन्हीं में ज्योति और रीना सैनी का भी अब नाम शामिल हो गया है। एन आई एस जूडो कोच सरिता सैनी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस लीग में देश भर से अलग-अलग खिलाड़ी शामिल हुए थे, जिनमें रीना ने स्वर्ण और ज्योति ने सिल्वर मेडल जीत कर सीकर और खंडेला का मान बढ़ाया है। कोच सरिता ने बताया कि इससे पहले भी रीना स्टेट में भी गोल्ड मेडल जीत चुकी है, साथिन ज्योति को भी पिछले वर्ष कांस्य पदक मिला था। इस बड़ी जीत से उत्साह रीना और ज्योति ने अपनी जूडो कोच सरिता सैनी को सम्मान देते हुए कहा है कि पूरे खेलो इंडिया महिला लीग में कई मैच हमारे लिए बहुत मुश्किल थे, लेकिन कुछ नहीं हमें हिम्मत नहीं हारने दी और हम पर बिल्कुल भी दबाव नहीं पड़ने दिया। जवाब में हमने भी हार जीत की परवाह किए बिना अपना स्वाभाविक खेल खेलते हुए यह टाइटल अपने नाम किया। जीत से हम दोनों बहुत खुश हैं, और अभी तो लिख बाकी है, सेंटर के और खिलाड़ी भी मेडल लाएंगे।
मजदूरी कर पेट पालते हैं पिता
32 किलो भार वर्ग में खेलो इंडिया महिला लीग में में गोल्ड मेडल हासिल करने वाली रामपुरा निवासी रीना के पिता मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करते हैं, लेकिन उनका भी सपना है कि रीना एक दिन अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बने, और अपने गांव और जिले का नाम रोशन करें।
कोच और माता-पिता को दिया श्रेय
रामपुरा जोड़ों सेंटर पर पिछले 4 वर्षों से अधिक समय से तैयारी कर रही दोनों ही बालिकाओं ने अपनी सफलता का श्रेय कोच सरिता सैनी और अपने अपने माता-पिता को दिया है।
आने-जाने के पैसे भी नहीं थे
खास बात यह है कि गोल्ड और सिल्वर जीतने वाली दोनों ही बलि कहीं बिल्कुल साधारण परिवार से संबंध रखती हैं। साथ ही सरकार की ओर से भी कोई विशेष लाभ ना मिल पाने के कारण इस लीग में भी दोनों बालिकाओं के पास आने जाने के पैसे तक नहीं थे।
जिसके बाद परिवारजनों और कोच सरिता सैनी ने सभी की मदद लेकर दोनों बालिकाओं को वेस्ट जोन गोवा भेजा, जिसके बाद का परिणाम आप सभी के सामने है।
लोहा मनवा रही है सरिता
जूडो कोच सरिता सैनी पिछले कई वर्षों से अपने जूडो सेंटर पर आसपास के बालक बालिकाओं को जोड़ों की ट्रेनिंग दे रही है, साथ ही इनके सेंटर पर ज्यादातर ऐसे बालक बालिका हैं जिनके पास जोड़ों की ड्रेस खरीदने तक के पैसे नहीं होते।
ऐसे खिलाड़ियों को तैयार करके सरिता ने अभी तक 25 से ज्यादा नेशनल खिलाड़ी देश के नाम कर दिए हैं।
बता दें कि पहले सरिता भी जोड़ो खेलती थी लेकिन आर्थिक तंगी के कारण सरिता ने जोड़ों खेलना छोड़ दिया और कोच बन गई। जिसके बाद छोटे-छोटे गांव के खिलाड़ियों को इस प्रकार तैयार कर रही है कि वह किसी भी बड़ी लीग में शानदार प्रदर्शन करने से बिल्कुल भी नहीं हिचकीचाते।