मजाकिया और हाजिर जबाबी लक्ष्मण जांगिड़ उर्फ़ खाती बाबा के है क्षेत्र में चर्चे
दांतारामगढ़ (लिखासिंह सैनी) घाटवा के चार लक्ष्मण मित्रता की अनूठी मिशाल है वैसे तो एक गांव में एक नाम के कई व्यक्ति मिल जाते है,पर जरूरी नही है कि उनमें आपसी मित्रता हो, वही घाटवा में लक्ष्मण नाम के चार बुजुर्ग मित्र है । इन चारों लक्ष्मण मित्रों के बारे में घाटवा के एडवोकेट रमेश पारीक ने बताया की इन की मित्रता दशकों पुरानी है आपस में कभी मनमुटाव नही हुवा,आपस में मजाक भी इतना करते है कि लोग सोचते कि आज लड़ेंगे पर आपस में एक दूसरे को छेड़ना तो इनकी दिनचर्या में शुमार है। खूब व्यंग्यबाण चलाते है आपस में….तो हम बात करे इन परम मित्रो की, इनमें सबसे बड़े है , 96 वर्षीय लक्ष्मण राम जांगिड़ जिनको पूरे गांव के लोग”खाती बाबा” के नाम से जानते है। घाटवा में सबसे वरिष्ठ नागरिक खाती बाबा ही है, इनसे वरिष्ठ नागरिक रामचंद्र दास स्वामी ओर रामू कुमावत थे जिनका विगत कुछ दिनों पहले निधन हो गया, अब शीर्ष स्थान पर खाती बाबा ही है। लक्ष्मण जांगिड़ जैसा मजाकी एवं हाजिर जबाबी पूरे गांव में नही है,इनकी धर्मपत्नी का देहांत भी लगभग पचास साल पहले हो गया,बढई का छोटा मोटा काम करके इन्होंने अपने परिवार की अच्छी परवरिश की आज इनका परिवार अच्छे मुकाम पर है। खाती बाबा की बोलने की अलग ही शैली है जो सब को खुश कर देती है, घाटवा में सबसे ज्यादा अंतिम संस्कार में शामिल होने का रिकार्ड भी इनके नाम है । हर गमी पर अपनी करौत-कुल्हाड़ी लेकर पहुँच जाते है गमगीन परिवार में…न जाने कितनी तीसरे दिन की तिपाइंया बना दी गिणती ही नही है । दूसरे परम मित्र है लक्ष्मण दास स्वामी ,शानदार व्यक्तित्व के धनी आप रघुनाथ जी के मन्दिर के श्रीमहंत है, इनकी पत्नी का देहांत भी पचास वर्ष पूर्व हो गया,आप भी खूब मजाक करते है, बोलने का अलग ही अंदाज है,आपके दो पुत्र है बड़े मोहन लाल स्वामी जो वर्षो दांता वन विभाग में फोरेस्टर के पद पर सेवारत रहे,अभी कुछ दिनों पहले सेवानिवृत्त हुए है, छोटे पुत्र नागालैंड में व्यवसायी है। तीसरे है लक्ष्मण सिंह राठौड़ जो घाटवा के ठिकानेदार सोना नरेश ठाकुर कल्याण सिंह मेड़तिया के पुत्र है, कम बोलते है,अपने मित्रो में बैठे बिना दाल नही गळती,इनके दो पुत्र है एक सरकारी सेवा में तो दूसरे गांव में ही काम करते है।चौथे है लक्ष्मण सिंह शेखावत, सीधे साधे इंसान,लम्बा कद,रौबदार मूंछे,अपने मित्रो की कटूक्तियो का आनन्द लेते है,इनका परिवार खेती करता है।
आज के इस भौतिकतावादी युग में आम आदमी अपने स्वार्थ के लिये काम करता है ।आपसी मेलजोल बहुत कम हो गया है, गट्टे व कबुतर खाने पर बैठ कर आपस में बातचीत करने,हंसी मजाक करने का चलन बन्द हो गया पर घाटवा के चारों लक्ष्मण जमाने से हटकर ही है।