सीकर, जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट कमर उल जमान चौधरी ने आदेश जारी कर बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम के लिये ग्राम एवं तहसील स्तर पर पदस्थापित विभिन्न विभागों के कर्मचारियों,अधिकारियों (वृत्ताधिकारी, थानाधिकारीगण, पटवारियों, भू-अभिलेख निरीक्षकों, ग्राम पंचायत सचियों, ग्राम सेवकों, कृषि पर्यवेक्षकों, महिला विकास अभिकरणों तथा महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारियों, पर्यवेक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षा विभाग के अध्यापकों, नगर परिषद एवं नगर पालिका के कर्मचारियों, जिला परिषद एवं पंचायत समिति सदस्यों, सरपंचों तथा वार्ड पंचों) के माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार करने एवं आम जन को जानकारी कराते हुये जन जागृति उत्पन्न करने एवं बाल विवाह रोके जाने के लिये कार्यवाही की जावे। बाल विवाह होने पर निकट के पुलिस स्टेशन में सूचना देने का दायित्व वहन करेंगे।
जिला कलेक्टर चौधरी ने निर्देश दिये है कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए अक्षय तृतीया से एक माह पूर्व कलेक्ट्रेट में उप निदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग, सीकर में एवं उपखण्ड के लिए उपखण्ड अधिकारी के कार्यालयों में कन्ट्रोल रूम स्थापित किया जाये जो 24 घण्टे कियाशील रहेंगे। महिला एवं बाल विकास विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, राजस्व आदि विभागों के अधिकारियों, कार्यकर्ताओं तथा महिला एवं किशोरी समूहों की टीमें गठित कर उन्हें बाल विवाहों के दुष्परिणामों एवं कानूनी प्रावधानों के बारे में जागरुकता फैलाने, रैलियां आयोजित करनें, संदेश प्रसारित करने तथा बाल विवाह न करने के संकल्प कराने के कार्यक्रम आयोजित किये जावें। शिक्षा विभाग को विद्यालयों के स्तर पर बाल विवाह के दुष्परिणामों व इससे संबंधित विधिक प्रावधानों की जानकारी दिये जाने के लिए सभी स्कूलों को निर्देशित किया जाये। सामूहिक चर्चा से मिली जानकारी के आधार पर गाँव, मौहल्लों के उन परिवारों में जहाँ बाल विवाह होने की आशंका हो, समन्वित रुप से समझाईस करें। जहाँ आवश्यक हो कानून द्वारा बाल विवाहों को रोका जादे।
उपखण्ड मजिस्ट्रेट अपने क्षेत्र में विधिक विभाग से सामंजस्य स्थापित कर विधिक साक्षरता शिविर आयोजित करावें तथा अपने—अपने क्षेत्रों में इस संबंध में बैठकें आयोजित कर नियमानुसार कार्यवाही करना भी सुनिश्चित करावें।
जिला कलेक्टर ने निर्देश दिये है कि किशोरी स्कूल जाने वाली, स्कूल बीच में छोड़ देने वाली बालिकाओं के मेलें आयोजित कराकर उनमें बाल विवाह न करने के निर्णय लेने की क्षमता विकसित करावें एवं उन्हें पढाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करावें। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 16 के तहत सभी उप खण्ड अधिकारी उनके क्षेत्र के लिये बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त हैं। बाल विवाहों को रोकने के वे शासन के प्रति जवाब देह भी है। उनके क्षेत्र में बाल विवाह सम्पन्न होने की घटना होने पर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है।
जिला कलेक्टर ने निर्देश दिये है कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, सीकर द्वारा जन प्रतिनिधियों को जनसमुदाय में बाल विवाह न करने के निर्णय, संकल्प करावें। ग्राम सभाओं में सामूहिक रुप से बाल विवाह के दुष्प्रभावों की चर्चा करना व रोकथाम की कार्यवाही करायें।
जिला सूचना एवं जन सम्पर्क अधिकारी, सीकर विवाह आयोजकों, मददगारों, कार्ड छापने वाले प्रिन्टर, पंडित, हलवाई, लाईट, बैंड बाजा, मेरिज गार्डन, वाहन मालिकों, बाराती, पण्डाल व टैन्ट लगाने वाले तथा ट्रान्सपोटर्स को प्रचार-प्रसार मीडिया के माध्यम से विवाह में अपने उत्तरदायित्व निभाने से पूर्व लड़के-लड़की की उम्र 21 एवं 18 वर्ष हो यह सुनिश्चित करने, बाल विवाह में सहयोग न करने एवं विवाह के लिए छपने वाले निमन्त्रण पत्र में वर-वधु की जन्म तारीख प्रिन्ट करने की अपील जारी करें। जिला ब्लाक व जिला स्तर पर गठित सहायता समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, साथिन, सहयोगिनी के कोर ग्रुप को सक्रिय करने के निर्देश दिये है।