झुंझुनू शहर के हाउसिंग बोर्ड में निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारत से गिरने पर कल हुई थी मजदूर प्रकाश सैनी की मौत
झुंझुनू, शहर के हाउसिंग बोर्ड में जेबी शाह गर्ल्स कॉलेज के सामने वाली गली में कल मंगलवार को काम करते समय एक मजदूर निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारत से गिर गया और लंबे समय से चल रहे लॉक डाउन के बाद मुफलिसी से अपने परिवार को बाहर निकालने के लिए 2 जून की रोटी के जुगाड़ में 2 जून को ही इस दुनिया को अलविदा कह कर चला गया। लेकिन पीछे छोड़ गया है वह कई सुलगते हुए सवाल। जैसे हाउसिंग बोर्ड की आवासीय कॉलोनी में कॉमर्शियल कार्य निर्माण की अनुमति आखिर किसने प्रदान की। साथ ही यदि किसी सरकारी निकाय ने इसके लिए अनुमति प्रदान की तो कितने माले तक की वह भी देखने वाली बात है। और जब आप आवासीय क्षेत्र में कमर्शियल एक्टिविटीज कर ही नहीं सकते तो उसके लिए अनुमति आपको कैसे मिल गई। या फिर निर्माणाधीन भवन मालिक ने बिना किसी अनुमति के ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया तो इस कार्य पर निगरानी आवासन मंडल करेगा या नगर परिषद। जिस व्यक्ति को ठेका दिया गया क्या उसने इस बात का पता किया कि इमारत के मालिक के पास निर्माण की अनुमति है या नहीं। वहीं इस मामले में जब हमने आवासन मंडल में बात करने का प्रयास किया तो वहां से हमें ऑन द रिकॉर्ड तो कुछ जानकारी नहीं मिली लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड यह बताया गया कि 1998 में आवासन मंडल ने नगर पालिकाओं को यह कॉलोनी निर्माण करके हैंड ओवर कर दी थी। इसके बाद में जो भी निर्माण इसमें होता है उसके लिए अनुमति नगर परिषद प्रदान करेगी। वहीं इस मामले में जब हमने नगर परिषद आयुक्त रोहित मील से बात की तो उन्होंने बताया कि इस कॉलोनी का हस्तांतरण हमें 2002 में किया गया था। यह बात तो वह भी मानते हैं आवासीय कॉलोनी में कॉमर्शियल भवन बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसके निर्माण संबंधित सभी कार्रवाई आवासन मंडल ही कर सकता है। नगर परिषद आयुक्त रोहित मील का कहना है कि मूल पत्रावली व हस्तांतरण रिपोर्ट का अध्ययन करने के उपरांत पता चला है कि नगर परिषद को आवंटन व नामांतरण का अधिकार नहीं होगा अतः यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इस निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारत में कल हुए हादसे के बाद से कई सुलगते हुए सवाल हमारे सामने खड़े हो गए है वही मानवीय संवेदनाओं की बात करें तो उस मृतक मजदूर प्रकाश सैनी की आर्थिक स्थिति एकदम कमजोर बताई जा रही है। उसके तीन बच्चे हैं और लॉक डाउन के लंबे समय बाद उसको मुश्किल से काम मिला था और शायद उसने सोचा भी नहीं होगा कि आज उसकी जिंदगी का यह आखरी काम होगा। हो सकता है शाम को घर पर बच्चे पापा के आने का इंतजार कर रहे होंगे लेकिन शायद अब यह इंतजार कभी खत्म नहीं होगा। इस हादसे के बाद मृतक प्रकाश सैनी के परिवार को इमारत के मालिक और ठेकेदार द्वारा क्या सहायता प्रदान की जाती है यह भी एक बात है। वही ऐसे आर्थिक रूप से कमजोर जरूरतमंद मजदूर की सरकार भी क्या मदद करती है यह भी देखने वाली बात होगी। लेकिन प्रकाश सैनी की मौत अपने पीछे कई सुलगते हुए सवाल छोड़ कर चली गई है जो झुंझुनू शहर के अंदर जिस प्रकार से अवैध निर्माण कार्य हो रहे हैं उनकी पोल खोलने के लिए काफी है। झुंझुनू शहर में कितने अवैध निर्माण के कार्य चल रहे हैं और कितने हो चुके हैं यह प्रशासन को तय करना है और कार्रवाई भी इन्ही को करनी है और जांच का भी यह इनका ही विषय है। पर यह बात अलग है झुंझुनू शहर की जनता जब यह सवाल उठाती है तो जबाब में उन्हें चिर शांति ही मिलती है जिसके चलते अवैध निर्माण के मामले में यह शहर एक हब बनता जा रहा है।