कोरोना काल में पहली बार मीठी ईद की नमाज ईदगाह की जगह घर – घर में अदा की गई
ईद की मुबारकबाद सोशल मिडिया ओर फोन पर ही दी गई
लोकडाउन के दौरान बंद है ईदगाह व मस्जिदे
कोरोन काल में मीठी ईद रही फिखी, इस बार हजारों मुस्लिम भाई नहीं पहुंच पाये ईद पर अपने घर
कोरोना संक्रमण नही फैले इसलिए ना हाथ मिलाया ना ही गले लगाया दोनों से परेहज रखकर दी एक दुसरे को मुबारकबाद
दांतारामगढ़ (लिखासिंह सैनी) ईद के अवसर पर सैकड़ों की तादाद में मुस्लिम भाई दांता की ईदगाह मस्जिद में इबादत और बरकतों का माहे रमजान जुमातुल विदा की नमाज़ अदा करते थे। परंतु लॉकडाउन के चलते व सरकार के दिशानिर्देश के कारणवंश इस बार ईदगाह की जगह मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पुराने कपड़ों में ही पहली बार पांच लोगो ने मस्जिद में व अन्य लोगो ने अपने – अपने घर पर ही जुममातुल की नमाज मास्क लगाकर व सोशियल डिस्टेंस का पालन कर अदा करते हुए , भारत को कोरोना महामारी से निजात मिले व प्रदेश में अच्छी बारिश व अमन-चैन आपसी भाईचारा व खुशहाली के लिए दुआएं मांगी । कस्बे के मोलाना अब्दुल रजाक साहब ने सभी लोगों को संदेश देते हुए कहा की सरकार के आदेशों का पालन करे घर रहकर ही नमाज अदा करे ,पुलिस व डांक्टरों का सम्मान करे ,अनावशक घर से बहार नहीं निकले । ईद पर एक दूसरे को मुबारकबाद देते समय हाथ मिलाने व गले लगाने का परेहज रखकर दुर से ही नियमों का पालन करते हुए ही मुबारकबाद दी । मुस्लिम समुदाय के लोगो को ईद – उल – फितर की मुबारकबाद कोरोना बंदी के कारण फोन व सोशल मिडिया पर ही दी । ईद-उल-फ़ितर की शुरुआत 624 ईस्वी में हुई थी, तब से अबतक सिलसिला जारी है । दांता में सन् 1830 में नानू मणियार ने मदीना मस्जिद का निर्माण करवाया था, इस के बाद सन् 1890 में जुम्मा मस्जिद का निर्माण मुसायब अफसर ने करवाया था । इस्लाम धर्म में सबसे पहले हज यात्रा पर वकील हाजी मोहम्मद इलाही चौबदार एक शताब्दी पूर्व गये थे । दांता बस उद्योग के जन्मदाता भी इस्लाम धर्म के जनाब मौलाबक्स चौबदार रहे है ।