चुरूताजा खबर

लू एवं तापघात से बचाव के लिये चिकित्सा संस्थानों पर रेपिड रिस्पॉन्स टीम का गठन

चूरू, जिले में गर्मी व बढ़ते तापमान के साथ लू लापघात से बचाव के लिये चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने आमजन से एहतियात बरतने की अपील की है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज शर्मा ने बताया कि मई व जून माह में बढ़ते तापमान व गर्मी होने से आमजन के लू व तापघात की चपेट में आने की संभावन रहती है। उन्होंने बताया कि बच्चों, बुजुर्ग व गर्भवती महिलाओं का विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। गर्मी के मौसम में स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेष सावधानी बरतने की विभाग ने निर्देश दिए हैं।

अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अहसान गौरी ने बताया कि आमजन जब भी बाहर निकलें, छाता व पानी आदि की व्यवस्था अनुरूप घर से निकलें। लू तापघात से बचाव व कार्ययोजना को लागू करने के लिये मंगलवार को अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में बैठक आयोजित कर दिशा-निर्देश दिये गए।

डॉ. गौरी ने बताया कि जिले में लू तापघात से बचाव के लिये सभी राजकीय चिकित्सा संस्थान पर रेपिड रिस्पॉन्स टीमों का गठन किया गया है। एम्बुलेंस सेवा में लू तापघात से बचाव की दवा रखने के निर्देश दिये गए हैं। चिकित्सा संस्थान पर लू तापघात की चपेट में आने वाले रोगियों के लिये अलग से बैड रखने तथा वार्ड में पंखा, कूलर की व्यवस्था के निर्देश दिये गए हैं। उन्होंने बताया कि चिकित्सा संस्थान में रोगियों के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, संस्थान में रोगी के उपचार के लिए आपातकालीन किट में ओआरएस, ड्रिपसेट सहित चिकित्सा संस्थानों पर ओआरएस, ड्रिप सैट, आईवी फ्लूड सहित मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिये सभी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गए हैं। साथ ही अन्य आवश्यक दवाइयां रखने के निर्देश दिए गए हैं। सभी ब्लॉक के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। उन्होंने बताया कि शरीर में लवण व पानी अपर्याप्त होने पर विषम गर्म वातावरण में तापघात से सिर का भारीपन व अत्यधिक सिरदर्द होने लगता है। इसके अलावा अधिक प्यास लगना, शरीर में भारीपन के साथ थकावट, जी मिचलाना, सिर चकराना व शरीर का तापमान बढना, पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल हो जाना, त्वचा का सूखा होना व बेहोशी जैसी स्थिति का होना आदि लक्षण आने लगते हैं। ऎसे में रोगी को तुरंत छायादार जगह पर कपड़े ढीले कर लेटा दिया जाना चाहिए। रोगी को होश मे आने की दशा में उसे ठण्डा पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल, कच्चा आम का पन्ना दें। बाद में उसे तत्काल निकट की चिकित्सा संस्थान ले जाया जाए।

डॉ. गौरी ने बताया कि जहां तक सम्भव हो धूप में न निकलें, धूप में शरीर पूर्ण तरह से ढका हो। धूप में बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हल्के रंग के ढीले व सूती कपड़ों का उपयोग करें। बहुत अधिक भीड़ व गर्म घुटन भरे कमरों से बचें। बिना भोजन किए बाहर न निकलें। गर्दन के पिछले भाग कान एवं सिर को गमछे या तौलिये से ढक कर ही जरूरी होने पर बाहर निकलें। रंगीन चश्मे एवं छतरी का प्रयोग करें। गर्मी में हमेशा पानी अधिक मात्रा में पीएं एवं पेय पदार्थो जैसे नींबू पानी, नारियल पानी, ज्यूस आदि का प्रयोग करें। अधिक गर्मी से प्राय हाईरिस्क श्रेणी वाले लोग जैसे कि कुपोषित बच्चे, वृद्धजन, गर्भवती महिलाएं व शुगर, बीपी आदि के मरीज शीघ्र प्रभावित होते हैं।

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