बड़ा सवाल – प्रजा डरपोक तो कौन रोकेगा भ्रष्टाचार ?
क्या लोकतंत्र में नहीं है जनता की कोई जिम्मेदारी ?
मरम्मत कार्य पूरा हुआ नहीं सामने आने लगी हादसों की तस्वीर
झुंझुनू, लोकतंत्र में जहां की जनता अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति सजग ने हो वहां पर विकास कार्यों में भ्रष्टाचार तो पनपेगा ही । प्रजा डरपोक हो तो राजा भी भ्रष्टाचार करेगा ही । जो व्यक्ति अपने सामने घटित हो रहे भ्रष्टाचार का विरोध न कर पाए वह मरे हुए के समान माना गया है । यह सभी बातें झुंझुनू जिले के इस्लामपुर ग्राम पंचायत पर बिल्कुल सटीक साबित होती हैं । आपको बता दें कि कस्बे की गंदे पानी की निकासी के लिए जो मुख्य नाला है उसकी मरम्मत के लिए कार्यकारी एजेंसी ग्राम पंचायत इस्लामपुर के द्वारा कार्य किया जा रहा है ।जिसकी स्वीकृत राशि 5 लाख है और ग्राम पंचायत द्वारा लगाई गई सूचना पर व्यय की गई राशि 499929 रु दिखाई गई है । यह नाला पुराने पोस्ट ऑफिस से लेकर गंदे पानी की निकासी के लिए काटली नदी की तरफ निकाला गया था । एक समय ऐसा था कि कस्बे के मुख्य मार्ग पर महीनों महीनों तक बिना बारिश के गंदा पानी लगभग 600 से 800 मीटर तक भरा हुआ रहता था जिसके अंदर से लोगों को गुजरना पड़ता था । ग्राम के एक प्रवासी भामाशाह के सहयोग से राजस्थान सरकार की गुरु गोवलकर योजना के अंतर्गत जब यह नाला बनाया गया तो कोढ के समान हो चली गंदे पानी की समस्या से गांव को निजात मिली । लेकिन उसके बाद स्थानीय ग्राम पंचायत ने इस नाले की साफ-सफाई व्यवस्था की किसी भी प्रकार से सुध नहीं ली । अब काफी बरसों बाद ग्राम पंचायत ने इस नाले की मरम्मत और ऊंचाई कर काम शुरू कर रखा है ।जिस की गुणवत्ता की बात करें तो बहुत ही निम्न स्तर का है । अभी काम चल ही रहा है लेकिन नाले के ऊपर बनाए गए ढक्कन या सीमेंट कंक्रीट के माल के टूटने से हादसे भी होने शुरू हो गए हैं । आगे-आगे ग्राम पंचायत द्वारा काम जारी है वही पीछे पीछे हादसों की तस्वीर सामने आ रही है । कस्बे के धोड़ी नगर स्थित तिराहे पर इस नाले को ढकने के लिए सरियो के साथ सीमेंट कंक्रीट का माल डाला गया था । आज सुबह मंगलवार को जब एक ट्रक इसके ऊपर से गुजरा तो उसका टायर इसके अंदर धंस गया और बड़ा हादसा होते-होते बच गया । यह मुख्य मार्ग है और आसपास के गांव से गुजरने वाले बड़े वाहन भी इसी रास्ते से होकर गुजरते हैं । बावजूद इसके नाले के ढक्कन भी कई स्थानों पर पुराने वाले ही जीर्ण शीर्ण अवस्था के ही लगा दिए गए हैं । नाले की मरम्मत में लीपापोती की जा रही है या यह भी कहा जा सकता है कि की जा चुकी है । गुणवत्ता की बात करें तो इससे घटिया गुणवत्ता की शायद ही कोई मिसाल दी जा सके। वर्तमान में चुनाव नहीं होने के कारण से ग्राम पंचायत प्रशासक ही चला रहे हैं ऐसी स्थिति में सारी कमान इन्हीं के हाथ में है और कार्यकारी एजेंसी ग्राम पंचायत होने के कारण से मनमर्जी से कार्य किया जा रहा है । यहां के ग्रामीण भी ऑफ द रिकॉर्ड दबी जुबान से नाले की मरम्मत में काम में ली जाने वाली घटिया सामग्री और गुणवत्ता पर तो सवाल खड़े कर रहे हैं लेकिन अपनी बात को मजबूती के साथ कहने से एक दूसरे के पीछे मुंह छुपा रहे हैं । लोकतंत्र के अंदर यदि ऐसी ही जनता रही तो लोकतंत्र का बंटाधार होना ही है । ऐसे में समस्या भ्रष्टाचार तो है ही साथ ही ऐसे लोग भी हैं जो सामाजिक या गांव के सरोकार से खुद को जोड़ नहीं रहे हैं । वही इस ग्राम पंचायत के सरपंच पद के लिए जब भी चुनाव का आगाज होता है तो अनेक प्रत्याशी कुक्कर मुत्ते की तरह सामने आते हैं । चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही उनका समापन हो जाता है । वर्तमान में कस्बे के अंदर सफाई व्यवस्था नालियों के पानी की निकासी और ग्राम पंचायत के द्वारा जो कार्य किए जा रहे हैं वह निम्न श्रेणी के हैं ।लेकिन इन सरपंच पद के प्रत्याशियों में सच्चाई को सामने लाने की हिम्मत किसी के पास नहीं है ।लिहाजा कहा जा सकता है अंधेर नगरी चौपट राज, ऐसा ही हो रहा है इस्लामपुर कस्बे का समाज ।