आग्नेयास्त्र संचालक अनिता पालीवाल
सीकर ,राजस्थान के सीकर जिले के अमेडंकर नगर में उस वक्त लोग चौक गए, जब उन्होंने एक लड़की को घोड़ी पर बैठे देखा। दरअसल लड़की शादी से पहले होने वाली एक रस्म बनदोरी के लिए घोड़ी पर बैठी थी। आमतौर पर लड़का इस रस्म के दौरान घोड़ी पर बैठता है। बता दें कि घोड़ी पर बैठने वाली दुल्हन अनिता पालीवाल है जो कि आग्नेयास्त्र संचालक है। शादी से पहले होने वाली बनदोरी रस्म के लिए अनिता के परिजनों ने उसे घोड़ी पर बैठाया। अनिता के परिजनों का कहना है कि उन्होंने ऐसा समाज में यह संदेश देने के लिए किया कि लड़का और लड़की समान हैं। अनिता के भाई सुमेर पालीवाल ने बताया कि हम समाज को बताना चाहते हैं कि लड़का और लड़की के बीच भेदभाव नहीं होना चाहिए। जैसे बनदोरी रस्म के लिए लड़का घोड़ा चढ़ता है, वैसे ही हमने दुल्हन को घोड़े पर बिठाया। वहीं दुल्हन अनिता का इस पर कहना है कि मेरा परिवार चाहता था कि हमें समाज को यह संदेश देना चाहिए कि लड़का और लड़की समान हैं और उन्हें आगे बढ़ने के भी समान मौके मिलने चाहिए। दुल्हन अनिता पालीवाल आग्नेयास्त्र संचालक पोस्ट पर झुंझुनू के मुकन्दगढ में कार्यरत है। और 12 फरवरी को अनिता की शादी है। पालीवाल के परिजनों ने भी समाज को लड़के और लड़की में भेदभाव ना करने का संदेश देते हुए अनिता को घोड़े पर बैठाने का फैसला किया था। अनिता के परिजनों की इस पहल को काफी लोगों ने सराहा भी था। दुन्हन अनिता का इस पर कहना था कि ग्रामीण व शहर इलाकों में लोग अखबारों में छपने वाले लेखों से नहीं बल्कि एक्शन से प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए उन्होंने ऐसा करने का फैसला किया। अनिता ने ये भी बताया था कि उनकी मां बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ मुहिम का समर्थन करती हैं और इस मुहिम में उनका साथ देने के लिए ही उन्होंने बनदोरी रस्म के दौरान घोड़े पर बैठने का फैसला किया। बनोरी में माता पिता भागुराम पालीवाल, शान्ती देवी भाई बहन-सुमेर और ललिता, मंन्जू, प्रेम, मनिषा, गजेन्द्र, मोहन, राजेन्द्र जी, कृष्णा चेजारा, सुनील पारमुवाल सहित काफी लोगो ने इसकी सहराना की।