अति जल दोहन के लिए जिम्मेदार पम्प चालकों तथा सचिवों पर कार्यवाही होगी
झुंझुनूं, ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की योजनाओं के संचालन एवं प्रबंधन की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को देने के उपरांत भी योजनाओं के संचालन के लिये सरपंचों, सचिवों तथा पम्प चालकों गैर जिम्मेदाराना प्रवृत्ति के कारण योजनायें बन्द होने के कगार पर है। जिले के 212 गांवों की 618 जनता जल योजनाओं को 443 नियमित पंप चालकों सहित 8 साल पूर्व जलदाय विभाग ने ग्राम पंचायतों को सुपुर्द किया गया था। भूजल के अतिदोहन तथा कुप्रबंधन के कारण अब तक 56 योजनाएं बन्द हो चुकी है। पम्प चालकों द्वारा बिजली बिल की परवाह किये बिना दिन रात मोटर चलाकर पंचायतों पर लाखों रुपये की देनदारियां पैदा कर दी है। राज्य सरकार द्वारा जल प्रबंधन के लिये उपलब्ध करवाई गई सालाना फण्ड से बिजली के नियमित बिल नही चुकाये तथा सरपंच व सचिवों ने इंटरलॉकिंग टाइल बिछाकर फण्ड पूरा कर दिया। अब बिल की बकाया राशि ज्यादा बढ़ जाने पर विद्युत निगम ने इन योजनाओं के बिजली कनेक्शन काटने शुरू कर दिये हैं।उधर पम्प चालक न्यायालय के आदेश की पालना में बर्ष 2012 से बकाया एरियर मांग रहे हैं। पूर्व सरपंचों ने इन योजनाओं के अतिरिक्त भी अपने लोगों के लिये पंचायत के खर्चे से हजारों की संख्या में नये कनेक्शन ले लिये जिनका विद्युत खर्च भी पंचायतें वहन कर रही है। ग्राम पंचायतों के प्रशासकों के लिये संकट पैदा हो गया है कि सीमित फण्ड से इन बकाया देनदारियों को कैसे चुकाये तथा आगामी गर्मी में जल संकट का सामना कैसे करें। जिले के बुहाना तथा सूरजगढ़ ब्लॉक के धुलवा, घरदाना खुर्द, काजला, उदामण्डी, पचेरी कलां, गाड़ाखेड़ा, खानपुर, श्यामपुरा मैनाना, खुडानिया,खेड़ला, हमीनपुर, घुमन सर, बनगोठड़ी, पिलोद आदि ग्राम पंचायतों में 6 से अधिक जनता जल योजनाओं के अलावा दर्जनों अन्य विद्युत कनेक्शन है, जिनके बिजली खर्च ने पंचायतों के खाते साफ कर दिये हैं। आगामी गर्मियों में जलापूर्ति बनाये रखने के लिये जिला परिषद के सीईओ रामनिवास जाट द्वारा ग्राम पंचायतों के प्रशासकों को सख्त निर्देश दिए गये है कि ग्राम पंचायत के पास उपलब्ध फण्ड से केवल बिजली बिल जमा करावें तथा जनसंख्या के अनुपात में जलदाय विभाग के नॉर्म्स से अधिक घण्टे मोटर चलाकर जल का दुरुपयोग करने वाले तथा बार बार मोटर जलाने वाले पम्प चालकों को हटाया जावे।