टीचर पद पर नियुक्ति नही देने के मामले में, सरकार से भी मांगी पालना रिपोर्ट
झुंझुनू, राजस्थान हाई कोर्ट ने एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी महिला अभ्यर्थी को टीचर ग्रेड तृतीय पद पर कोर्ट आदेश के बावजूद नियुक्ति नही दिए जाने के मामले में दायर अवमानना याचिका में कड़ा रुख अपनाते हुए वर्तमान में पदस्थापित दोषी अधिकारियों के नाम एक सप्ताह के भीतर रिकॉर्ड पर लाने आदेश दिए हैं,साथ ही सरकार से नियुक्ति दिए जाने के आदेश की पालना रिपोर्ट भी मांगी है। मामले के अनुसार भोजासर की अभ्यर्थी माया कुमारी शेषमा ने हाई कोर्ट में एडवोकेट संजय महला के जरिये कोर्ट आदेश की पालना नही करने वाले दोषी अधिकारियों को दंडित करने व आदेश की पालना सुनिश्चित कर नियुक्ति देने हेतु अवमानना याचिका दायर कर बताया कि उसने टीचर ग्रेड तृतीय भर्ती-2013 में धौलपुर जिले से आवेदन किया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 2017 में संशोधित परिणाम जारी हुआ। मेरिट में स्थान आने पर भी जिला परिषद धौलपुर ने उसे ईमित्र द्वारा फॉर्म में की गयी त्रुटि के चलते, जिसमे जेंडर कालम में फीमेल की जगह मेल भर दिया गया था, को आधार मानकर, महिला वर्ग की बजाय ओबीसी पुरूष वर्ग में शामिल किया व पुरूष वर्ग की कटऑफ अधिक होने पर उसे चयन से वंचित कर दिया। इस पर अभ्यर्थी ने कोर्ट की शरण लेकर याचिका दायर कर उसे महिला ओबीसी वर्ग में शामिल करने की मांग की। कोर्ट ने 31 मई 2019 को याचिका मंजूर कर 2 सप्ताह में उसे महिला वर्ग में नियुक्ति दिए जाने के आदेश दिए। कोर्ट आदेश की पालना में अधिकारियों की अनदेखी व लापरवाही को लेकर अवमानना याचिका दायर कर दोषी अधिकारियों को दंडित करने व आदेश की पालना सुनिश्चित करने की प्रार्थना की।एडवोकेट संजय महला ने पंचायती राज विभाग के सचिव व धौलपुर के सीईओ ने कोर्ट आदेश की जानबूझकर अवहेलना की है।लंबा समय बीत जाने के बाद भी नियुक्ति नही दी है। मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने वर्तमान में पंचायती राज विभाग के सचिव व सीईओ धौलपुर पद पर पदस्थापित अफसरों के नाम सात दिवस में प्रस्तुत करने व सरकार की ओर से उपस्थित अति. महाधिवक्ता को 2 सप्ताह में पालना रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु अंतिम अवसर प्रदान किया व साथ ही आदेशित किया कि यदि इसमे अपीलीय कोर्ट का अगर कोई स्टे है तो प्रस्तुत करे। प्रकरण चार सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने के आदेश दिए।