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इस्लामपुर ग्राम पंचायत पर मंडराया बीमारियों के संक्रमण का खतरा

सरकारी कर्मचारी भी कचरे डालने वालो से खाते है खौफ

झुंझुनू, जिले के इस्लामपुर ग्राम पंचायत में हर गली और मोहल्ले में इन दिनों कचरे के ढेर लगे हुए हैं। पिछले लगभग डेढ़ महीने से गांव के अंदर किसी भी प्रकार से सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। नालियों के नजदीक भी कचरे के ढेर लगे हुए हैं। इसके अलावा गांव के कई मुख्य मार्गों पर आपको कचरे के ढेर लगे हुए देखे जा सकते हैं। बदबू के चलते जिनके पास से गुजर ना भी अब मुश्किल हो चला है। वर्तमान में कोरोना संक्रमण का खतरा फैला हुआ है लेकिन इस्लामपुर कस्बे में भले ही कोरोना के कहर से लोगों की मौत न हो लेकिन इस कचरे से संक्रमित बीमारियां एक बार फैल गई तो उससे बड़ी जनहानि होने की संभावना बनी हुई है। क्योंकि वर्तमान समय में चिकित्सा विभाग का पूरा ध्यान सिर्फ कोरोनावायरस पर और अन्य बीमारियों के मरीजों को भी देखने से परहेज किया जा रहा है। कस्बे के वार्ड नंबर 4 में जलदाय विभाग की पानी की टंकी के नीचे संक्रमित कचरे के ढेर लगे हुए हैं। यहीं पर पेयजल आपूर्ति के लिए वाल्व भी लगे हुए हैं जलदाय विभाग और ग्राम पंचायत प्रशासक दोनों ने अपनी आंखें मूंद ली हैं। जिसके चलते लोगों में बीमारियां फैलने का खतरा बना हुआ है। इसी प्रकार कस्बे में स्थित सरकारी बालिका विद्यालय के पास भी कचरे के ढेर लगे हुए हैं जिसके नजदीक से गुजरना भी बदबू के चलते मुश्किल हो चला है साथ ही कस्बे की नालियों के सहारे निकाले गए कचरे के ढेर लगे हुए हैं चाहे वह कस्बे के बाजार हो या अन्य मार्ग हर तरफ कचरे के ढेर ही लगे दिखाई देते हैं। चीचड़ोली स्टैंड के पास भी जगह पर कचरे के ढेर लगे हुए हैं। इस संबंध में ग्रामविकास अधिकारी मकसूद अली और कनिष्ठ लिपिक सुनील कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि 31 मार्च को सफाई के लिए दिया हुआ टेंडर पूरा हो चुका है और विकास अधिकारी को इस टेंडर को बढ़ाने के लिए अनुमति मांगी गई है। ग्रामीणों ने बताया कि ठेकेदार ने मार्च के महीने में भी ठीक से गांव में सफाई नहीं की। वही ग्राम सेवक व लिपिक सुनील कुमार का भी मानना है कि ठेकेदार ने सिर्फ 20 मार्च तक ही सफाई की है इसके बाद उसने सफाई नहीं की। संवाददाता द्वारा पूछने पर पता चला कि मार्च के महीने में कस्बे में फैली गंदगी को लेकर सोशल मीडिया व समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित हुए उससे ठेकेदार चीड़ गया और उसने चिड़ने के बाद बिल्कुल भी सफाई नहीं करनी बताई गई है। वही ग्राम पंचायत के लिपिक सुनील कुमार ने बताया कि 20 मार्च तक का ही भुगतान ठेकेदार को किया जाएगा। ये बात सही है कि स्थानीय लोगो की भी कुछ जिम्मेदारी बनती है लेकिन जब सरकारी कर्मचारी ही कचरे डालने वालो पर कोई करवाई करने के मूड में दिखाई नहीं पड़ते ऐसी स्थिति में ग्रामीणों से यह अपेक्षा करना की वह कचरे डालने वालो के नाम बताये यह ठीक नहीं है। क्योकि आम आदमी किसी कानूनी लफड़े में क्यों पड़ेगा जब सरकारी कर्मचारी ही इन लोगो के खिलाफ कार्रवाई करने में डरते प्रतीत होते है।

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