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भाजपा आलाकमान के लिए आसान नहीं है पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की उपेक्षा

सालासर, [बाबूलाल सैनी ] प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह के लिए राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की उपेक्षा करना इतना आसान नहीं है आज 4 मार्च को वसुंधरा राजे सिंधिया ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि राजस्थान में भाजपा उनकी उपेक्षा नहीं कर सकती। जो नरेंद्र मोदी और अमित शाह चुनाव से एक साल पहले गुजरात जैसे राज्य की पूरी सरकार बदल देते हैं,वो राजस्थान में वसुंधरा राजे को साइड लाइन करने में नाकाम रहे हैं।
सालासर में अपने जन्मदिन पर ताकत दिखा रही वसुंधरा की लोकप्रियता का पैमाना मापने के बाद ही भाजपा ने अपने राष्ट्रीय महामंत्री और राजस्थान के प्रभारी अरुण सिंह को सालासर जाकर वसुंधरा के जन्मदिन पर बधाई देने को कहा होगा। ताकि लोगों में भाजपा में गुटबाजी का संदेश चुनाव से पहले ना जाए। यूं सतीश पूनिया ने जिस तरह लगातार वसुंधरा की उपेक्षा की है, उससे ये तो जाहिर है कि पूनिया को भाजपा आलाकमान का समर्थन हासिल है।वरना पूनिया राजस्थान में इतने बड़े नेता नहीं है कि वह अपनी मर्जी से भाजपा में वसुंधरा को अनदेखा कर सकें। लेकिन अब भाजपा आलाकमान को अहसास हो गया है कि उन्होंने जल्दबाजी में वसुंधरा को राजस्थान से बेदखल करने की कोशिश की, तो चुनाव में उसे भारी पड़ सकता है।

इसमें कोई शक नहीं कि जिस तरह अशोक गहलोत के समर्थक राज्य के हर हिस्से में मिलते हैं,वैसे ही भाजपा में यह स्थिति वसुंधरा की है। उनमें आज भी राजस्थान में सबसे ज्यादा भीड़ जुटाने की क्षमता है और विधायकों और संगठन में उन्हें समर्थन हासिल है। कई विधायक और पदाधिकारी तो खुलकर उनके साथ हैं ही,उनके अलावा और भी ऐसे कई नेता है जो को इस बात को मानते हैं कि राजस्थान में वसुंधरा बिना भाजपा का कल्याण नहीं हो सकता।

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