बीमा आवेदन में गांव का नाम गलत अंकित था
बीमा कंपनी करती रही फसल खराबे का मुआवजा देने से आनाकानी
पीठासीन अधिकारी एवं अध्यक्ष मनोज मील ने फैसला लिखते समय राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को कॉट करते हुए कहा-
किसान अन्नदाता के रूप में ईश्वर का रूप है
“बीमा आवेदन में दुरुस्त करने की जिम्मेदारी बीमा कंपनी की थी”
बीमा कंपनी को मानसिक संताप और परिवाद व्यय समेत मुआवजे के भुगतान के आदेश
झुंझुनू, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बीमा कंपनी को परिवादी किसान को मानसिक संताप और परिवार व्यय समेत फसल खराबे का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि बीमा कंपनी एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड ने इस आधार पर शेखसर के किसान कल्याण सिंह को मुआवजा देने से इनकार कर दिया था कि उसके बीमा आवेदन में जगह का नाम गलत यानी राजस्व ग्राम शेखसर की जगह बीबासर लिखा गया है। दरअसल कल्याण सिंह की 10.02 हैक्टेयर कृषि भूमि है, जो बीआरकेजीबी से किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए रहनशुदा है। 2019 में उनकी खरीफ की फसल का 5,660 रुपए प्रीमियम भी बैंक ने बीमा कंपनी को जमा करवाया था। शेखसर में फसल खराब होने पर अन्य किसानों को मुआवजा मिल गया, लेकिन कल्याण सिंह को नहीं मिलने पर उन्होंने पहले बैंक में संपर्क किया, तो बैंक ने बताया कि मुआवजा देने का काम बीमा कंपनी का है। इसके बाद में बीमा कंपनी से निवेदन किया, तो जवाब मिला कि आपके बीमा आवेदन में कृषि भूमि बीबासर में बताई गई है, एवं बीबासर में फसल खराब नहीं हुई, इसलिए आपको मुआवजा नहीं मिला। इसके बाद मुआवजा देने की बजाय बैंक और बीमा कंपनी एक दूसरे पर जिम्मेदारी टालते हुए किसान कल्याण सिंह को चक्कर लगवाते रहे। आखिरकार कल्याण सिंह ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में परिवाद दर्ज करवाया। जिस पर दोनों पक्षों से सुनवाई करने के बाद जिला आयोग के अध्यक्ष मनोज मील एवं सदस्या नीतू सैनी ने अपने आदेश में लिखा है कि देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी कहा था कि धरती का सीना चीरकर अन्न पैदा करने वाला किसान अन्नदाता के रूप में ईश्वर है। किसान ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत कृषि ऋण ले रखा है, यह तभी स्वीकृत होता है जब किसान की कृषि भूमि को राजस्व अधिकारी प्रमाणित करता है। किसान ने केसीसी का लाभ लेते समय जिस भूमि का जिक्र किया है, वह शेखसर में है। परिवादी किसान के बीमा आवेदन में भूलवश राजस्व ग्राम शेखसर की बजाय बीबासर अंकित होने को सही करने का दायित्व बैंक और बीमा कंपनी का बनता है। अब आयोग ने बीमा कंपनी को नियमानुसार मुआवजा आयोग के फैसले की तिथि से 60 दिन की अवधि में परिवादी को देने और मानसिक संताप पेटे 25 हजार रुपए एवं परिवाद व्यय पेटे 5 हजार रुपए देने के आदेश दिए हैं। 60 दिन की अवधि में भुगतान नहीं करने पर रकम अदायगी तक बीमा कंपनी को 9 फीसदी वार्षिक ब्याज सहित राशि देनी होगी।