सीकर में वरिष्ठ पत्रकार एवं शिक्षाविद् कमल माथुर को दी श्रद्धांजलि
व्यक्ति की पहचान उसके द्वारा जीवन भर किये गये कार्यों से होती है। स्व. माथुर ने अपना सम्पूर्ण जीवन सादगी और ईमानदारी से जिया। मृत्यु निश्चित है लेकिन उसके द्वारा किये गये कार्यों से ही उसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन होता है। यह विचार रैवासा पीठाधीश्वर राघवाचार्य जी महाराज ने वरिष्ठ पत्रकार स्व. कमल माथुर (गुरुजी) की शोक सभा में व्यक्ति किये। उन्होंने कहा कि गीता में कहा गया है कि कर्म ही प्रधान है इसी को सार बनाते हुए स्व. माथुर ने अच्छा कर्म करते हुए अपना जीवन जीया। उनके विचार थे कि ज्ञान सबसे अमूल्य वस्तु है जिसे देने वाला भी वापस नहीं ले सकता। उन्होंने अपने ज्ञान का सदैव सदुपयोग किया और गरीब व वंचित की आवाज अपनी कलम के माध्यम से उठाते रहे। गौरतलब है कि जनपद के वरिष्ठ पत्रकार कमल माथुर का विगत दिवस निधन हो गया था। मंगलवार को आयोजित शोकसभा में बड़ी संख्या में गणमान्यजनों एवं शहरवासियों ने स्व. माथुर के चित्र पर पुष्पांजली अर्पित की और उनके द्वारा किये गये कार्यों को याद किया। इस दौरान गीता सार के माध्यम से जीवन के बारे में बताया गया। शोकसभा में शहर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्राप्त शोक संदेशों का वाचन किया गया। स्व. माथुर स्वयं भी कई समाजसेवी संस्थाओं से जुड़े हुए थे।